Chaitra Navratri: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन हिंदू धर्म में बहुत खास माना जाता है क्योंकि इसी दिन से नया साल (विक्रम संवत 2082) और चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। यह दिन पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन और दूसरे धार्मिक कामों के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
नवरात्र को सकारात्मक ऊर्जा, मन की शुद्धि और मोक्ष पाने का जरिया माना गया है। इस बार नए साल के राजा और मंत्री दोनों सूर्य होंगे, जो ताकत और ज्ञान का प्रतीक हैं। रेवती नक्षत्र और ऐंद्र योग के संयोग में शुरू होने वाले इस नवरात्र में भक्ति और शक्ति का अद्भुत मेल देखने को मिलेगा।
नवरात्र का समय अभीष्ट सिद्धि और सभी मनोकामनाओं को शीघ्र पूरा करने वाला माना जाता है। इस पावन अवसर पर श्रद्धालु मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए लोग दुर्गा सप्तशती, कीलक, कवच, अर्गला स्तोत्र, दुर्गा चालीसा, बीज मंत्र का जाप और भगवती पुराण जैसे ग्रंथों का पाठ करते हैं।
यह समय आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है और मां की भक्ति से जीवन में सकारात्मकता, शक्ति और सफलता प्राप्त होती है। नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के भक्त उपवास रखकर, मंत्रों का जाप करके और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। इस दौरान मां की कृपा से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। नवरात्र का यह पावन समय आत्मशुद्धि, मन की एकाग्रता और दिव्य ऊर्जा को प्राप्त करने का सर्वोत्तम अवसर है।
पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग
चैत्र शुक्ल नवमी, जो इस वर्ष छह अप्रैल, रविवार को पड़ रही है, महानवमी के पावन पर्व के रूप में मनाई जाएगी। इस दिन सुबह 9:40 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र का प्रभाव रहेगा जो ज्ञान, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद पूरे दिन पुष्य नक्षत्र का योग रहेगा, जिसे अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा
इस पावन दिन श्रद्धालु देवी दुर्गा के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा-अर्चना करेंगे। मां सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियों की दाता माना जाता है और इनकी पूजा से भक्तों को आध्यात्मिक और भौतिक सफलता प्राप्त होती है। इस दिन विशेष भोग अर्पित किया जाएगा और दुर्गा पाठ का समापन किया जाएगा। हवन, कन्या पूजन और पुष्पांजलि जैसे धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से भक्त मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करेंगे।
पुष्य नक्षत्र
पुष्य नक्षत्र को हिंदू ज्योतिष में अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इस नक्षत्र का संबंध धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी से होने के कारण, इस दिन किए गए शुभ कार्यों में विशेष सफलता प्राप्त होती है। 6 अप्रैल, रविवार को पुष्य नक्षत्र के प्रभाव में होने के कारण यह दिन भूमि या भवन की खरीदारी, पूंजी निवेश, नए व्यवसाय या नौकरी की शुरुआत, वाहन, रत्न और आभूषण जैसे कीमती सामानों की खरीदारी के लिए अत्यंत उत्तम माना जा रहा है।
18 अप्रैल को चैत्र शुक्ल विजयादशमी
18 अप्रैल, गुरुवार को चैत्र शुक्ल विजयादशमी का पावन दिन मनाया जाएगा, जो नवरात्र और रामनवमी के व्रत का समापन करने का समय होगा। इस दिन देवी दुर्गा की विधिवत विदाई की जाएगी, जिसमें भक्त मां को विदाई देते हुए उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करेंगे। विजयादशमी के दिन नवरात्र और रामनवमी के व्रतधारी पारण (व्रत तोड़ना) करेंगे, जो शुभ मुहूर्त में किया जाएगा।
इस दिन जयंती धारण करना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि यह विजय और सफलता का प्रतीक है। विजयादशमी का यह पर्व हमें जीवन में सकारात्मकता, साहस और विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। इस दिन धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यह दिन नवरात्र के पावन समापन और नए सिरे से जीवन की शुरुआत करने का अवसर प्रदान करता है।
देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर
चैत्र नवरात्र का पहला दिन रविवार को पड़ रहा है, जिसके कारण देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा। हाथी पर मां दुर्गा के आगमन को बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह पर्याप्त वर्षा, सुख-समृद्धि और आर्थिक उन्नति का संकेत देता है। हाथी शक्ति, बुद्धि और समृद्धि का प्रतीक है, इसलिए इस दिन से ही नवरात्र के दौरान देवी की कृपा से देश, कृषि, पर्यावरण, जीव-जंतु और मनुष्य सभी को लाभ मिलने की उम्मीद की जाती है। यह समय प्रकृति और मानव जीवन में संतुलन और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
चैत्र नवरात्रि में नौ दुर्गा के प्रिय रंग और पूजा सामग्री
- माता शैलपुत्री
रंग: पीला
सामग्री: पीले वस्त्र, फल, चंदन, पुष्प
- मां ब्रह्मचारिणी
रंग: हरा
सामग्री: हरे वस्त्र, फल, फूल
- देवी चंद्रघंटा
रंग: पीला और हरा
सामग्री: पीले और हरे वस्त्र, फल, फूल
- माता कुष्मांडा
रंग: नारंगी
सामग्री: नारंगी वस्त्र, फल, फूल
- स्कंदमाता
रंग: सफेद
सामग्री: सफेद वस्त्र, फल, फूल
- देवी कात्यायनी
रंग: लाल
सामग्री: लाल वस्त्र, फल, फूल
- माता कालरात्रि
रंग: नीला
सामग्री: नीले वस्त्र, फल, फूल
- महागौरी
रंग: गुलाबी
सामग्री: गुलाबी वस्त्र, फल, फूल
- मां सिद्धिदात्री
रंग: बैंगनी
सामग्री: बैंगनी वस्त्र, फल, फूल, अबीर, चंदन
