ghamand bada bala
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एक जुलाहा था। उसके बुने कपड़ों के डिजाइन लोगों को बहुत पसंद आते थे। वे आते और उसके कपड़े देखकर सराहना किए बिना नहीं रहते। धीरे-धीरे जुलाहे को इसका अहंकार हो गया।

अब जो भी उसके घर ‘आता, वह उसे अपने बुने कपड़े दिखाता और उसे बताने लगता कि वह कितना बड़ा कलाकार है। एक दिन उसके घर एक साधु आया। जुलाहे ने आदतन उसे भी अपने कपड़े दिखाए और पूछा कि कैसे बुने हैं। साधु ने कहा कि अच्छे हैं। जुलाहे को आशा थी कि वह तारीफों के पुल बाँध देगा। उसने साधु से कहा कि आपको मालूम नहीं कि इस पूरे क्षेत्र में मेरा बुना कपड़ा कितना पसंद किया जाता है। साधु ने उसे अपने पास बुलाया और उसे छत में लगा मकड़ी का एक जाला दिखाया। फिर उन्होंने जुलाहे से पूछा कि क्या तुम इसकी तरह कपड़ा बुन सकते हो? जुलाहा निरुत्तर रह गया।

सारः कभी भी अपने हुनर का घमंड नहीं करना चाहिए।

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)