azadi ke asal mayne
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भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

मनाली अपने दोस्तों के साथ बहुत उत्साहित थी। पन्द्रह अगस्त को उसके विद्यालय में हर साल की तरह इस वर्ष भी भाषण प्रतियोगिता का आयोजन होना था। इस वर्ष मनाली ने भी इस प्रतियोगिता में अपना नाम दर्ज कराया हुआ था। वह बार-बार अपनी माँ से एक अच्छा-सा भाषण लिखने का अनरोध कर रही थी जिसे कल विद्यालय में सनाना था।

मेघालय के नॉगस्निंग गाँव में 13 वर्षीय मनाली अपनी माँ के साथ रहती थी। वह पढ़ने में जितनी होशियार थी, उससे अधिक चंचल और जिज्ञासु प्रवृत्ति की भी थी। मेघालय की मनोहर जलवायु उसके होठों पर सदा मुस्कान बनकर खिली रहती। इस बार स्वाधीनता दिवस पर आयोजित होने वाली भाषण प्रतियोगिता में न केवल वह शामिल होना चाहती थी, बल्कि जीतने के भी सपने संजोने लगी थी। उसकी माँ घरेलू कार्यों में इतनी व्यस्त थी कि वादा करने के बावजूद भी अभी तक मनाली के लिए भाषण नहीं लिख सकी थी।

कई दिनों के बाद आज आसमान साफ था। सूरज देवता खिलखिला रहे थे। अवसर का लाभ उठाते हुए मनाली की माँ भीगी लकड़ियों को सूखने के लिए बाहर धूप में बिखेर रही थी। भीगी लकड़ियों से चूल्हा जलाना बहुत मुश्किल होता है। समय भी ज्यादा लगता है और आँखें भी अनचाहे जलतीं/बरसती रहती हैं। मनाली अपनी माँ का हाथ बँटा रही थी। वह सोच रही थी कि माँ जल्दी से खाली होकर उसका काम कर दे।

वह अचानक देखती है कि कुछ साइकिल सवार रास्ते को पूरी तरह घेरकर शोर गुल मचाते हुए इधर आ रहे हैं। बीच-बीच में भारत माता की जयकारी भी गूंज रही है। खास बात यह है कि रास्ते के किनारे रहने वाले आम लोगों को बेहद परेशानी हो रही है। रास्ते के किनारे बँधे पालतू पशु रस्सी तोड़कर भाग रहे हैं। मुर्गियों और बत्तखों में भी अफरातफरी मची हुई है। कुत्ते भौंक रहे हैं। कुछ साइकिल सवार अनियन्त्रित होकर गिर रहे हैं तो कुछ अगल-बगल के लोगों को धक्के मार रहे हैं। मनाली बहुत खुश हुई आजादी के एक दिन पहले निकले जुलूस को देखकर। वह मन ही मन उस भीड़ का हिस्सा होना चाहती थी। उन लोगों के साथ मिलकर भारत माता की जय बोलना चाहती थी। आजादी को जी लेना चाहती है। वह इस बात से भी बेपरवाह थी कि उसकी माँ की आँखों से उस अनियन्त्रित जुलूस के प्रति नफरत बरस रही है। उसकी माँ का वश चले तो एक-एक को कठोर सजा देकर ही माने। माँ और बेटी की सोच एक-दूसरे से भिन्न थी। लड़ते-झगड़ते जुलूस तो गुजर गया, पर माँ-बेटी के बीच विपरीत सोच कायम रही। भाषण लिखने से पूर्व दोनों के बीच आजादी को लेकर तनातनी मची हुई थी। मनाली उस जुलूस की गैर जिम्मेदाराना हरकत को उनकी स्वतन्त्रता मान रही थी जबकि उसकी माँ उसे स्वच्छंदता मानकर ऐसा करने वालों को अपराधी समझ रही थी।

माँ के लिखे भाषण से मनाली असहमत थी, पर उसके पास उसके सिवाय कोई चारा नहीं था। न दूसरा भाषण, न दूसरा लिखने वाला, न ज्यादा समय ही। उसे उसके बाप पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था जो रोज की तरह आज भी दारू पीकर कहीं पड़ा होगा। निरुपाय होकर वह विद्यालय की भाषण प्रतियोगिता में उसका क्रम आने पर अनमने मन से भाषण देना शुरु किया “…स्वतन्त्रता का अर्थ सिर्फ अपनी स्वतन्त्रता नहीं है। स्वतन्त्रता का अर्थ है, अपने आस-पास रहने वाले सभी लोग स्वतन्त्र रहें। सब लोग सबके अधिकारों का सम्मान करें। सब लोग अपने कर्तव्यों का निर्वाह करें। अगर किसी के द्वारा किसी अन्य की स्वतन्त्रता में बाधा पड़ती है तो बाधा डालने वाले की स्वतन्त्रता उससे पहले ही समाप्त हो जाती है। वह स्वच्छंद कहलाता है। वह संविधान के अनुसार अपराधी कहलाता है। उसके लिए वह भारतीय दंड विधान संहिता द्वारा दंडनीय होता है।”

तालियों की गड़गड़ाहट ने मनाली के स्वाभिमान को गगनचुम्बी बना दिया था। सभी लोग विस्मित नजरों से उसे देख रहे थे। उसको और भी सुनना चाह रहे थे। उसने जोरदार आवाज में आगे कहा कि, “कल ही हमारे मुहल्ले में कुछ साइकिल सवार पूरा रोड जाम करके चल रहे थे। कुछ गिरे भी और कुछ दूसरों से भी टकरा रहे थे। अगल-बगल में रहने वालों को बहुत तकलीफ हो रही थी। लड़ाई-झगड़े भी हुए। साइकिल सवार इसको खुद की स्वतन्त्रता मान रहे थे जबकि यह स्वच्छंदता है। दूसरों के अधिकारों का हनन करना कभी भी किसी के लिए स्वतन्त्रता नहीं हो सकती। हम उम्मीद करते हैं कि अब से हमारे सभी दोस्त आजादी के असल अर्थ को समझेंगे और दूसरों को समझाएँगे भी।

जय हिंद!

वंदे मातरम!!

भाषण प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार पाकर मनाली का आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया। स्वतन्त्रता के प्रति उसकी और उसके दोस्तों की धारणा बदल गई। विद्यालय की ओर से शिक्षकों ने भी मनाली को बधाइयाँ दीं। घर आकर वह खुशी के मारे अपनी माँ से लिपट गई। माँ की आँखें खुशी से चमकने लगीं। अब उसकी बेटी आजादी के असली अर्थ को समझ गई है।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’