माता-पिता ले रहे हैं तलाक, तो इन उपायों से करें बच्चों को तैयार: Parenting Tips
आज हम आपको ऐसे ही कुछ टिप्स के बारे में बताने वाले हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को तलाक के लिए तैयार कर सकते हैं।
Divorced Parents: माता-पिता का अलग होना बच्चों के लिए बरदाश्त कर पाना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता दोनों से ही अटैच होते हैं और तलाक के बाद बच्चों को किसके साथ रहना पड़ेगा, यह सोचकर ही परेशानी होने लगती है। ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों को तलाक के लिए पहले से ही तैयार करने की जरूरत होती है, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार का मानसिक तनाव न हो। आज हम आपको ऐसे ही कुछ टिप्स के बारे में बताने वाले हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को तलाक के लिए तैयार कर सकते हैं।
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आप अगर अपने बच्चों को पहली बार तलाक के बारे में बताने वाले हैं तो बेहतर होगा कि आप अपने पार्टनर के साथ ही उनके साथ बातचीत करें इसके साथ ही उन्हें समझाते वक्त कभी भी गुस्सा और दुख प्रकट न करें इससे आपका बच्चा और भी ज्यादा परेशान हो सकता है। ऐसी बातचीत के लिए ऐसे दिन का चुनाव करें जब आपको कुछ फैमिली टाइम मिले। अगर आप अपने बच्चों को उसके माता या पिता के साथ मिलकर तलाक के बारे में नहीं बताना चाहते हैं, तो किसी ऐसे व्यक्ति का सहारा ले, जिससे बच्चा बेहद नजदीकी संबंध रखता है। इससे बच्चों को समझाने में मदद मिलेगी।

बच्चों को तलाक के बारे में बताने के बीच अगर आप उसे तलाक के असल वजह के बारे में नहीं बताना चाहते हैं, तो उसे कुछ ऐसी वजह दे, जिससे आपका बच्चा आसानी से आपकी मनोस्थिति को समझ सके। इसके अलावा अपने बच्चों को बताएं कि तलाक से क्या चीजें बदलेंगी और क्या चीजें नहीं बदलेंगी।

जब भी किसी माता-पिता का तलाक होता है, तो बच्चों के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह हो जाती है कि आखिरकार वह अपने माता-पिता को एक साथ फिर कब देख पाएंगे। ऐसे में उन्हें रिएश्योरेंस की बहुत जरूरत पड़ती है। इस स्थिति में आप अपने बच्चों को समझाने की कोशिश करें कि उसे जब भी अपने जिंदगी में उसके माता-पिता की जरूरत होगी, तो आप दोनों मिलकर उसके साथ खड़े रहेंगे।

बच्चों को अपने तलाक के बारे में बताने के बाद आप उनके साथ समय-समय पर क्वालिटी टाइम स्पेंड करते रहे , ताकि आपका बच्चा खुद को अकेला न महसूस करें। इससे उन्हें एक रीएश्योरेंस मिल जाएगा कि तलाक के बावजूद उसके माता-पिता हमेशा उसके साथ हैं।
कभी भी आप अपने बच्चों पर इस बात का प्रेशर ना डालें कि उसे अपने माता-पिता में से किसी एक को चुनना होगा। नहीं तो इससे बच्चा हमेशा डिप्रेशन में रह सकता है। हमेशा उन्हें खुली आजादी दे कि वह अपने हिसाब से अपने माता-पिता का चुनाव करें।
