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ध्यान की साधना, समता की साधना है – आचार्य महाप्रज्ञ

जब तक इस मिथ्या दृष्टिकोण का निरसन नहीं होगा तब तक समाज की समस्या का समाधान नहीं होगा। हमें सत्य को खोजना होगा। सत्य को खोजे बिना, सत्य को उपलब्ध किए बिना हमारी समस्याएं नहीं सुलझ पाएंगी।

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