सत्यम का संबंध परम अस्तित्त्व के साथ है, इसी तरह शिवम् शब्द परम कल्याण को व्यक्त करता है एवं ‘सुंदरम् तो परम सुंदरम है ही। इन तीनों में एक तात्विक संबंध है। जो कुछ सत्य है, वही कल्याणकारी है एवं वही सुंदर भी होता है। अर्थात्ï सत्यम् एवं शिवम्ï ही सुंदरता का आधार है। इसी आधार पर परम रूपवती कैकेयी को सुंदर नहीं माना जा सकता।
