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नारी आंदोलन की मशाल और मिसाल- सावित्रीबाई फुले

तत्कालीन प्रतिकूल परिस्थितियों में समाज सुधारक  सावित्री बाई फुले युग नायिका बनकर उभरीं। अपनी तीक्ष्ण बुद्धि, निर्भीक व्यक्तित्व, सामाजिक सरोकारों से ओत-प्रोत ज्योतिबा ‘फुले के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दकियानूसी समाज को बदलने हेतु इन्होंने अपने तर्कों के आधार पर बहस की।  सावित्रीबाई का जीवन परिचय  सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 […]

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घूंघट से बाहर निकल रहा है देश का भविष्य

हम अपनी भारतीय संस्कृति में तो महिलाओं को उच्च स्थान देते हैं, लेकिन समाज में नहीं। हम शक्ति के लिए मां दुर्गा को पूजते हैं, धन-वैभव के लिए मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं और ज्ञान व सद्बुद्घि के लिए मां सरस्वती का ध्यान करते हैं। देवी के रूप में हम इन स्त्रियों को पूजते […]

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जिन्होंने बदल दिया शहादत के मायने…

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने वाले सभी क्रांतिकारियों का व्यक्तित्व इतना विराट था कि आप एक शब्द विशेष सुनते ही सीधे उन्हीं को याद करते हैं। जैसे कि अहिंसा से महात्मा गांधी, समाजवाद से जवाहर लाल नेहरू, समानता से भीमराव अम्बेडकर और शहादत से भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव। शहादत…क्रांति के इस सबसे ऊंचे […]

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रोने की कला सीखो -ओशो 

रोना सीखो! रोना बड़ी कला है। सभी को नही आती। पुरुष तो बिल्कुल भूल गए हैं। उन्हें तो याद ही नहीं रही। उन्होंने तो रोने की पूरी प्रक्रिया का दमन कर दिया है। उनकी आंखें तो जड़ हो गयी हैं, पथरीली हो गयी हैं। उनकी आंखों से रौनक भी चली गयी है। उनकी आंखें अंधी […]

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