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नीलकंठ-गुलशन नन्दा भाग-10

बेला चली गई, पर आनंद के मन में एक आग-सी लग गई जिसने उसके मन और मस्तिष्क को अपनी लपेट में ले लिया। उसे बेला की बातों पर विश्वास आ गया। बेला ने हर बात इस ढंग से कही कि उसमें किसी प्रकार की शंका का स्थान न रह जाए। आनंद को रायसाहब पर क्रोध […]

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नीलकंठ-गुलशन नन्दा भाग-9

संध्या की हठ और उसकी गंभीरता ने रलियाराम को विवश कर दिया कि वह उसे सब कह दे। उसने उसे बताया कि उसकी माँ गरीबों की बस्ती में किसी सराय में रहती है और यात्रियों को चाय इत्यादि पिलाकर बसर करती है। उसने यह भी बताया कि वह भले आदमियों का स्थान नहीं, वहाँ हर […]

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नीलकंठ-गुलशन नन्दा भाग-8

‘दीदी, मम्मी कहाँ हैं?’ ‘रसोईघर में और हाँ बेला, क्या हुआ तुम्हारे कॉलेज का?’ ‘दाखिला मिलने की आशा तो है, जन्म का सर्टिफिकेट मांगा है।’ ‘वह तो मिल ही जाएगा, चलो जरा मेज-कुर्सियाँ लगा लें।’ नीलकंठ नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1 ‘अभी आई दीदी-’ यह कहते हुए वह […]

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नीलकंठ-गुलशन नन्दा भाग-7

आनंद बेला को खींचता हुआ थोड़ा आगे ले गया और एक स्थान पर रुककर उसने बेला को धरती पर उल्टे लेट जाने को कहा। आनंद स्वयं भी बेला के पास उल्टा लेट गया और हाथ से संकेत करके बोला- ‘वह देखो-क्या है?’ नीलकंठ नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1 […]

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नीलकंठ-गुलशन नन्दा भाग-6

अभी सूर्य की किरणों ने सोना न बरसाया था, किंतु चहचहाते हुए पक्षियों ने अपना संदेश सुनाना आरंभ कर दिया था। माँ ने उठते ही बेला को उठाना चाहा, पर वह यौवन की निद्रा में यों बेसुध थी, मानो वर्षों से सो रही हो। माँ ने जब पूना जाने वाली गाड़ी का वर्णन किया तो […]

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नीलकंठ-गुलशन नन्दा भाग-5

गाड़ी सुरंग से बाहर निकली तो खिड़की से हवा के तेज झोंकों ने दोनों को सचेत कर दिया। दोनों झट से अलग हो गए। बेला के गंभीर और चिंतित मुख पर मुस्कान की हल्की-सी एक रेखा दौड़ गई और वह भागते हुए ‘टॉयलेट’ का द्वार खोल भीतर चली गई, अपनी लज्जामयी दृष्टि को छिपाने के […]

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नीलकंठ-गुलशन नन्दा भाग-4

जैसे ही पूना एक्सप्रेस ने कल्याण का स्टेशन छोड़ा, वैसे ही बेला ने चुपके से डिब्बे में प्रवेश किया। आनंद द्वार की ओर पीठ पीछे किए कोई पत्रिका देख रहा था। बेला ने किवाड़ बंदकर चिटखनी लगा दी। आहट पाते ही आनंद ने पत्रिका को छोड़ अपनी गर्दन मोड़ी। बेला ने झट से अपना मुँह […]

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नीलकंठ-गुलशन नन्दा भाग-3

‘साहिब! आपसे कोई मिलने आया है।’ चपरासी ने भीतर प्रवेश करते हुए कहा। ‘कौन है?’ आनंद ने हाथ बढ़ाया। ‘कार्ड नहीं दिया, कोई महिला हैं।’ ‘कोई गाड़ी के विषय में, या…’ ‘केवल आपसे मिलना चाहती हैं।’ नीलकंठ नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1 ‘अच्छा भीतर भेज दो।’ चपरासी के […]

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नीलकंठ-गुलशन नन्दा भाग-2

रेनु डाकिए के हाथ से तार का लिफाफा लेकर ब़ाग प्लेटफार्म की ओर दौड़ी, जहाँ रायसाहब, मालकिन और संध्या बैठे शाम की चाय पी रहे थे। रेनु के हाथ में लिफाफा देखकर संध्या ने पूछा, ‘कौन आया है?’ ‘पोस्टमैन-पापा का तार आया है।’ लिफाफा पापा के हाथ में थमाते हुए रेनु एक ही सांस में […]

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