आनंद का नाम संध्या की जुबान से सुनते ही बेला को मानो किसी ने मनों बर्फ में रख दिया हो। क्षण-भर के लिए वह किसी सोच में खो गई और फिर माथे पर बल लाकर बोली- ‘अच्छे हैं-तुम्हें पूछते थे।’ ‘क्या?’ उसने उत्साहपूर्वक पूछा। ‘यही कि गंदी गलियों से लौटी नहीं अभी?’ नीलकंठ नॉवेल भाग […]
