युवा वर्ग में हिंदी पढ़ने और लिखने की चाह पूरी तरह से खत्म होती जा रही है और मातृभाषा किसी कोने में सिमट कर मरती हुई सी नज़र आने लगी है। अगर ऐसा ही होता रहा तो धीरे-धीरे हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी कहीं विलुप्त हो जाएगी। हमारे देश के युवाओं को ये बात समझने की ज़रुरत है कि हिन्दी केवल एक भाषा नहीं बल्कि देश की अखंडता का प्रमाण भी है।
