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पर्दे और पर्दे – गृहलक्ष्मी कहानियां

घर में लगे पर्दे तो कमरे की शोभा बढ़ाते हैं पर वहीं अगर मन की आंखों पर पर्दा पड़ा हो तो इंसान चाहकर भी सच्चाई को नहीं देख पाता और वही उसकी सबसे बड़ी भूल होती है।

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