कमरे के बीचों बीच उसकी आग में झुलसी हुई लाश, जो आधी जल चुकी थी, एक सफेद चादर में ढकी हुई थी। वह जल चुकी थी, सांसें खत्म हो चुकी थीं, लेकिन उसकी आग से अनछुई रूह वहीं कमरे में एक कोने में बैठी मुस्कुरा रही थी। घरवालों की, लोगों की, रिश्तेदारों की बातें सुन रही थी। कई बहुत अफसोस कर रहे थे कि देखो, बेचारी जलकर मर गई।
