Posted inकविता-शायरी, हिंदी कहानियाँ

मेरा कसूर क्या था? – गृहलक्ष्मी कविता

मृत्यु द्वार पे खड़ी द्रौपदी अब अंतिम विदाई लेती है। करुण, व्यथित मन और निश्तेज़ नयन से हस्तिनापुर से पूछती है कि बता आख़िर मेरा कसूर क्या था?

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