Posted inधर्म

वास्तविक सच्चाई को समझना – मुनिश्री तरुणसागरजी

जीवन में सच्चाई दो प्रकार की होती है। एक व्यवहारिक सच्चाई और दूसरी वास्तविक सच्चाई। बेटा मेरा है, जमीन-जायदाद मेरी है। यह व्यवहारिक सच्चाई है, वास्तविक सच्चाई नहीं है। वास्तविक सच्चाई तो यह है कि तुम्हारी आत्मा को छोड़कर तुम्हारा कोई नहीं है। यह शरीर भी तुम्हारा नहीं है।

Posted inधर्म

मन की भूख अपार है – मुनिश्री तरुणसागरजी

प्राणों से अपने प्रभु को पुकारो। प्रभु से याचना मत करो। प्रार्थना करो। अन्तर्ध्यान लगाओ। खुद की तलाश खुद में खोजो। खुद को पाना है तो खुद में खोजना जरूरी है।

Gift this article