कौए से जुड़े कई शगुन-अपशगुन हमारे समाज में आमतौर पर प्रचलित हैं। वाल्मीकि रामायण के सुन्दर कांड में एक प्रसंग है कि रावण के युद्ध में जाते समय उसके सिर पर कई कौए एक साथ मंडराने लगे, इससे यह सिद्ध होने लगा कि उसका विनाश सुनिश्चित है। इसी प्रकार महाभारत के भीष्म पर्व में भी एक स्थान पर उल्लेख है कि जिस समय कौरवों की सेना युद्ध के लिए चली तो कौओं का झुंड उनके ऊपर मंडराने लगा जो कि सेना एवं सेनापति के विनाश का सूचक है। इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि जैसी मान्यता है कि कौए भावी घटनाओं की सूचना देते हैं यह उनकी कार्यवृत्ति से पता चलता है। जैसा कि कहा गया है कि कौआ या उनका झुंड जिन मनुष्य-मनुष्यों के ऊपर मंडराता है उसका विनाश हो जाता है। जानिए कि किन परिस्थितियों में कौए का दिखाई देना शुभ होता है और किन हालातों में अशुभ –
