चन्दानी की कैद में बंद दीवानचन्द अजय की वह दुखती हुई रग थे, जिसके चलते अजय चन्दानी के इशारों पर न सिर्फ आपराधिक कामों को करने पर मजबूर था, बल्कि उसे ये अपराध भी हंसते-मुस्कुराते करने थे। ऐसा ही मौका इस बार भी उसके सामने आ खड़ा हुआ था। अब आगे अंजाम क्या होने वाला था इन सब का?
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बोझिल पलकें, भाग-26
बदले हालात के साथ जहां चन्दानी की नजरों का घेरा अजय पर तंग होता जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ अजय और अंशु के छिपे हुए दिली जज़्बात भी बदल रहे थे। अजय समझ नहीं पा रहा था कि क्या अब भी किस्मत कहीं उस पर रहम कर रही है या खिलवाड़। क्या छिपा था अजय की जिंदगी के अगले मोड़ पर?
बोझिल पलकें, भाग-17
अजय के पिता उसकी कमजोर रग थे और चन्दानी ने अजय की उसी कमजोर रग को बुरी तरह से दबा दिया था, दीवानचन्द को बंदी बनाकर। अंशु को अजय अपनी जिंदगी समझने लगा था, लेकिन जिस पिता ने उसे जिंदगी दी थी, आज उनकी जिंदगी दांव पर लग चुकी थी। क्या अजय के पास अब कहीं, कोई रास्ता बचा था?
बोझिल पलकें, भाग-16
अजय अंशु के साथ एक नई जिंदगी का सपना देख रहा था, लेकिन जिंदगी उसे कुछ और ही दिखाना चाह रही थी। चन्दानी के अपराध-समूह में शामिल होकर अजय एक ऐसी कीचड़ में धंस चुका था, जहां से जीते-जी निकलना नामुमकिन था। अब क्या होगा अजय की जिंदगी का, उसके सपनों का?
