जिस पिता के लिए अजय ने अपराध की दुनिया से मजबूरन खुद को जोड़े रखा था, उनकी मौत के साथ ही वह दुनिया भी दम तोड़ चुकी थी, लेकिन क्यों अभी भी अजय खुद को न तो आजाद महसूस कर रहा था और न ही उसे कोई नयापन महसूस हो रहा था?
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बोझिल पलकें, भाग-23
जिस अंशु को अजय अपनी जिंदगी में उम्मीद की किरण मान बैठा था, वही अंशु आज अजय के अपराधी होने की सारी सच्चाई जानकर उससे मुंह फेरे बैठी थी। तो क्या अजय औऱ अंशु का प्यार पैदा होने से पहले ही दम तोड़ने वाला था?
