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सब्जी का ठेला – गृहलक्ष्मी की कहानियां

कहानी प्रतियोगिता-
प्रिय पाठको, गृहलक्ष्मी के शब्दों से भरे भावभीने संसार को आपने दिया प्यार और सम्मान। आभारी हैं हम और अब बारी है हमारी। तो लीजिए, गृहलक्ष्मी जुटा लाई है आपके लिए एक अवसर अपनी छिपी प्रतिभा
बाहर लाने का, एक प्रभावपूर्ण कहानी के जरिए। कहानी का विषय कुछ भी हो, बस हो दिल छू लेने वाला और शालीन। शब्द संख्या 1000-1200 से ज्यादा न हो। रचना वापसी के लिए टिकट लगा लिफाफा साथ रखना न भूलें। कृपया अपनी कहानी की फोटोकापी संभालकर रखें। कहानी पर विचार करने पर लगभग 3 महीने का समय लगता है, अत: कहानी भेजने के 3 महीने बाद ही संपर्क करें। अगर आपकी
कहानी पुरस्कृत हो गई हो तो कृपया दुबारा न भेजें। याद रखें, अधिक शब्द संख्या वाली कहानियां नहीं चुनी जाएंगी।कॉन्टेस्ट में भाग लें और जीतें आकर्षक उपहार।

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Happy Fathers’ Day:ऐसे भी जता सकते हैं अपना प्यार

भले ही पिता एक माँ की तरह अपने बच्चे को प्यार-दुलार न दिखा पाए, लेकिन उनके दिल में अपने बच्चे के लिए प्यार कम नहीं होता है। जीवन में पिता का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। हर साल जून के तीसरे रविवार को “फादर्स डे” आता हैं। इस वर्ष 17 जून 2017 को “फादर्स डे” है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपके लिए कुछ ऐसी ही images लेकर आए हैं, जो पिता की अहमियत को बयां कर रही हैं। आप भी social media पर ये images अपडेट करके अपनी फीलिंग्स को अपने पिता तक पंहुचा सकते हैं-

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पिता के प्यार में भी छुपी होती है मां जैसी ममता

आज की पीढ़ी को जानकर अचरज होगा कि आज से पहले चार-पांच पुरानी पीढ़ी वाले पुरूष अपने बच्चे की देखभाल तो दूर उन्हें गोद में उठाना तक अपनी मर्दानगी के खिलाफ समझते थे। उनके लिए पुरूष से पिता होने का सफर घर को एक चिराग या वारिस देने से ज्यादा और कुछ नहीं था। पुरूष कमाता और औरत घर चलाती। पुरूष का पुरूष होना उसके पिता होने तक ही सीमित था और वही उसकी मर्दानगी का सबूत थी, इसके अलावा घर के भीतर किसी भी कार्य को करना उसकी शान के खिलाफ माना जाता था।