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क्या क्या बनाया है बीवी ने – गृहलक्ष्मी कविता

वो कहती है बनाने में घण्टों लगते है… और खाने में पल भर … कभी कुछ बड़े जतन से बनाती है… सुबह से तैयारी करके… कभी कुछ धुप में सुखा के… तो कभी कुछ पानी में भिगो के… कभी मसालेदार.. तो कभी गुड़ सी मीठी… सारे स्वाद समेट लेती हैं … आलू के पराठों में, […]

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जीने का यही तरीका है अब – गृहलक्ष्मी कविता

अब जीने का यही तरीका है

बच्चे विदेश में

बुजुर्ग वृद्धाश्रम में

बच्चे की अपनी मजबूरी है

पैदा करने वालों की देखभाल

नहीं कर सकते।