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प्रेम जोड़ता है अहंकार तोड़ता है – परमहंस योगानंद

मन अहंकार का एक अंग है जिसे पता है कैसे बन्द हुआ जाए परन्तु उसे खुलना कैसे है यह पता ही नहीं है। प्रेम करने का अर्थ खुलना, समर्पण करना है।

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मनोदशाएं संक्रामक है – परमहंस योगानंद

मनोदशाओं पर विजय पाने के लिए निरन्तर प्रयास करते रहें, क्योंकि जैसे ही आप मनोदशा से ग्रस्त हो जाते हैं, आप अपनी आत्मा रूपी मिट्टïी में गलतियों के बीजों को बोते हैं। मनोदशाओं से घिरने का अर्थ है धीरे-धीरे मृत्यु की ओर बढ़ना, परन्तु यदि आप किसी भी अशान्त करने वाली घटना के होते हुए भी प्रतिदिन मुस्कराने का प्रयत्न करते हैं, तो आप एक नया जन्म पाएंगे।

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