पति-‘पत्नी का रिश्ता बेहद नाजुक, प्रेम से भरा । दो अनजान लोग विवाह बंधन में बॅधके “एक” हो जाते हैं और पूरी उम्र साथ काटते हैं । उनके सुख-दुःख, सपने, सन्ताने सब एक हो जाते हैं । हमारे देश में तो विवाह सात जन्मों का बंधन माना जाता है । पाश्चात्य संस्कृति और आधुनिक भारत में तलाक का बढ़ता अनुपात भी इस रिश्ते की खूबसूरती व अपनेपन को तोड़ नहीं सकता ।
इस रिश्ते को तोड़ती है तो केवल एक दूसरे के प्रति सम्मान की कमी । कई बार देखा गया है कि कई पुरूष पत्नी को अपने सामने कुछ नहीं समझते है और बच्चों व दूसरों के सामने उन्हें बेइज्जत करने से बाज नहीं आते ।
पत्नी भले ही उनसे अधिक योग्य  हो या ज्यादा कमाती हो, ज्यादा अच्छी हो या खूबसूरत हो ये पुरूष उसे यथोचित सम्मान नहीं देते । मित्रों रिश्तेदारों या घर की बाईयों के सामने भी वे अपनी पत्नी की इन्सल्ट कर बैठते है ।
क्यों करते है पुरूष ऐसा-
हमारे देश में लड़के को बचपन से ही सिखाया जाता है कि वह अपने साथ जन्मी बहिन से बेहतर है । समाज में लड़के के जन्म को सेलीब्रेट किया जाता है । मुण्डन, थाली या पराथ बजाना लड़के के जन्म पर होता है । प्रारम्भ से ही लड़कों को ज्यादा अहमियत दी जाती है और इसीलिए उसके मन में “महत्वपूर्ण” होने की अवधारणा विकसित हो जाती है । वे स्वयं को सुपीरीयर समझने लगता है ।
सामान्यतः लड़कियों, स्त्रियों, महिलाओं का एक्सपोजर पुरूषों जितना नहीं होता, इसलिए उनकी जानकारी व नॉलेज घर के बाहर के क्षेत्रों में कम होती है । पुरूष  इसी बात से स्वयं को अधिक निपुण समझने लगता है । कई बार पुरूषों की हीन भावना भी उन्हें आक्रामक होने को विवश करती है ।  स्वयं से योग्य या सुन्दर पत्नी होने पर वो उसकी खीज पत्नी को गाहे-बगाहे बेइज्जत करके निकालते है । स्त्री को कमतर समझने पर या उसके उपर रौब गॉठने की मनःस्थिती भी पुरूष  को पत्नी के सम्मान को ठेस पहुचाने को उकसाती है ।
कई बार चिढ के, जानबूझ कर, पति पत्नी को चोट पहुॅचाने या मन दुःखाने के लिए बेइज्जती करता है तो कई बार आदतवश भी ऐसा कर बैठता है ।  
क्या हो सकता है ?
बुरी तरह से ट्रीट होना हम में से किसी को भी पसंद नहीं आता फिर घर की लक्ष्मी का तिरस्कार, कई मामलों में उसकी रूचि खत्म कर सकता है । पत्नी भी मौके और बहाने ढूढ सकती है पति का अपमान करने का । दोनों के रूचि पूर्ण सम्बन्ध खत्म हो सकते है । यदि दोनों र्विर्कगं है तो ईगो क्लेश हो के तलाक हो सकता है ।
क्यों दे सम्मान ?
दूसरे को सम्मान देना तो हमारी तहजीब व संस्कृति है इसमें भला शर्म कैसी ? पत्नी तो अर्द्वागिनी है ।आपके बराबर की सुख दुःख की हकदार । उससे गंदी तरह बोलने का हक आपको कदापि नही है । पत्नी यदि होम मेकर भी है तो भी उसकी अपनी अहमियत है । उसे सम्मान देना आपका फर्ज है । दूसरों को सम्मान देने से स्वयं, आपके संस्कार पता चलते    हैं । अक्सर फलों से लदी डाली ही  झुकी हुई होती है । वाद विवाद से नेगेटिव एनर्जी जेनरेट होती है, सम्बन्ध बिगड़ते है ।
आप अपने बच्चों के लिए अच्छा उदाहरण कभी नहीं बन पायेंगे । स्वयं की श्रेष्ठता प्रमाणित करने के लिए कभी भी अपशब्दों का सहारा लेने से काम नहीं बनेगा । पत्नी को नीचा दिखाने के चक्कर में कई बार पति भूल करते रहते हैं । पढ़े-लिखें अच्छे घर के लोग भी अपने पद व प्रतिष्ठा के चलते पत्नियों से मारपीट तक करते हैं । अक्सर लोग वाईफ को “टेकन फार ग्रान्टेड”  ले लेते है और उससे कैसा भी व्यवहार कर बैठते है ।
क्या होता है ऐसे रिश्तों में-
यदि पति पत्नी को अकेले में या सबके सामने या घर पर सम्मान नहीं देता तो इससे दाम्पत्य जीवन पर बुरा असर पड़ता है ।
बच्चे भी मॉ को सम्मान नहीं देंगे । सास ससुर भी घर की स्त्री को इम्पौरटेन्स नहीं देंगे ।
संयुक्त परिवार है तो अन्य रिश्ते नातों पर भी फर्क पड़ेगा ।
पत्नी के मन में या तो कुंठा पलने लगेगी या ष्विद्रोह पनपेगा ।
पत्नी यदि जवाब देने लग जाए अथवा विरोध करेगी तो घर युद्व का मैदान बन जाएगा ।
बच्चों में अच्छे संस्कार नहीं पनपेंगे । उनकी भाषा भी असंयत हो जाएगी ।
पापा की तरह वो भी या तो मॉ को कुछ नहीं समझेंगे या फिर मॉ के पक्ष में होकर पिता के विरूद्व  हो जाऐंगे ।
परिवार दरकने लगेंगे । पत्नी यदि सह भी लेगी  है तो भी देखने वालों को बुरा लगेगा ।
कैसे बदले आदत-
यदि आप भी आज तक पत्नी को कमतर समझते आ रहे है तो प्रण कीजिए कि अपनी आदत बदलेंगे ।
शुरूआत उसके हर काम को एक्नॉलेज करने से करें ।
शुक्रिया-धन्यवाद कहने से पत्नी का मनोबल बढ़ेगा ।
यदा कदा तारीफ करें तो बड़प्पन आप ही का झलकेगा ।
पत्नी से ऊंची आवाज में बात करना या छोटी छोटी गल्तियों के लिए उसे डाटना बंद कर दीजिए ।
बच्चों से भी मम्मी से ऊंची आवाज में बात करने को मना करें ।
पत्नी की राय किन्हीं मुद्दों पर आपसे अलग है तो धैर्यपूर्वक उसकी बात सुने, हो सकता है वो सही हो ।
शुरूआत में हिचक हो सकती है पर घबराएॅ नहीं, आप सुदृढ़ दाम्पत्य की ओर ही कदम बढ़ायेंगे ।
प्यार से बोल के तो देखें-
पत्नी से प्यार से बोल कर तो देखें उसे सम्मान दे के तो देखें आपका दाम्पत्य गुलजार हो जाएगा ।
वो दोड़ दौड़ के आपका काम करेगी । हर व्यक्ति प्यार का भूखा होता है । पत्नी भी आप ही की तरह प्यार व सम्मान की हकदार है । आप परिवार के मुखिया है तो क्या हुआ, पत्नी की हैसियर भी आप ही के समकक्ष है ।
सम्मान केवल बोली में ही नहीं, हाव-भाव आचार-व्यवहार में भी दिखना चाहिए ।
गृहस्थी तो दो पहियों की गाड़ी है यदि एक पहिया भी इमबैलेन्स हुआ तो मुश्किल हो जाएगी। ं
जीवन साथी को सम्मान देने से कभी भी आप नीचे नहीं हो जाते है बल्कि आपका बड़प्पन संस्कार, शिक्षा व उसके प्रति चिन्ता झलकती है ।
पति पत्नी के रिश्ते की धुरी प्रेम विश्वास व सम्मान ही है । इनमें से एक भी यदि कम हुआ तो रिश्ता बिगड़ते देर नहीं लगगी ।