History of Gomti River: The water of the river tells its story in its own words, whatever ghat it passes through, it starts being called that
Gomti River

Gomti River: गोमती नदी का इतिहास: नदिया का जल अपनी कहानी अपनी जुबानी बयां करता है, वो जिस भी घाट से होकर गुज़रती है बस उसी की कहलाने लगती है। पत्थरों को आकार देती हुई अपना रास्ता खुद बनाने वाली प्राचीन नदियां कई सदियां देख चुकी हैं। भारत में हर छोर पर एक नदी आपका स्वागत करती नज़र आएगी। नदियों का जल ठीक उसी प्रकार निर्मल है, जिस प्रकार हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति। भारत को नदियों का देश कहा जाता है, यहां छोटी बड़ी करीबन 200 नदियां बहती हैं। नदियां भारतीय संस्कृति की कहानी अपनी ज़ुबानी बयां करती हैं।

इसी सूची में गोमती नदी का नाम भी शामिल है, जो गंगा की सहायक नदियों में से एक है। गंगा जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश करती इस नदी के किनारों पर न सिर्फ हिन्दु धार्मिक स्थल मौजूद है बल्कि सदियों पुरानी मस्जिदें भी मौजूद हैं। गोमती ताल से अपनी यात्रा आरंभ करने वाली गोमती नदी 960 किलोमीटर का एक लंबा सफर तय कर वाराणसी जिले के निकट कैथी शहर मार्कंडेय महादेव मंदिर के सामने गंगा से मिल जाती है।

दरअसल, उत्तरप्रदेश के पीलीभीत को गोमती का जन्म स्थल माना जाता है। इस नदी का पौराणिक महत्व भी है। जी हां ऐसी मान्यता है कि कल कल करती गोमती में भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त होने के लिए वशिष्ट मुनि के आदेशानुसार गोमती नदी में स्नान किया था।

वो जगह जहां भगवान राम ने स्नान किया था अब वो जगह धोपाप के नाम से प्रसिद्ध हैं । ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर गंगा दशहरा के दिन स्नान करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और पाप धुल जाते हैं। इसके अलावा लखनऊ में इस नदी के तट पर एक शानदार पार्क देखने को मिलता है। गोमती रिवर फ्रंट पार्क को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं। इसके चलते यह पार्क राजधानी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं।

मार्कण्डेय महादेव का मंदिर भी गोमती के संगम पर बना हुआ है, जो लोगों की आस्था का विशेष स्थल है। गोमती जब बहती है, तो रास्ते में कई छोटे बड़े पुल भी आते हैं, जिन्हें पार करती हुई नदी आगे बढ़ जाती है। इन पुलों में सबसे विशेष दो पुल हैं, एक सुदामा पुल और दूसरा शाही पुल। इस नदी पर बना शाही पुल 654 फुट लम्बा पत्थर का पुल है, जो जौनपुर में स्थित है। यह नदी उत्तर प्रदेश के जौनपुर और सुल्तानपुर जिलों को दो बराबर भागों में बांटती है।

शाही पुल का इतिहास मुगलों के समय से ताल्लुक रखता है। अकबर के काल में बने इस पुल का खाका यानि डिज़ाइन अफगान वास्तुकार अफज़ल ने तैयार किया था। गोमती पर बना सुदामा पुल भी अपनी एक खास पहचान रखता है। ये पुल एक पैदल यात्री पुल है, तो द्वारका गुजरात के जगत मंदिर और पंचकुई तीर्थ को आपस में जोड़ता है। गोमती के किनारे जो नगर बसे हुए हैं उनमें से प्रमुख हैं, लखनऊ, सुल्तानपुर और जौनपुर।                                         

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