चंडीगढ़ की बात करें तो ये शहर मॉडर्न और नेचुरल का ब्लेन्ड है। यहां को प्रकृति दिखेगी तो आधुनिक आर्किटेक्चर भी। लेकिन चंडीगढ़ की सिर्फ इतनी सी पहचान बिलकुल नहीं है। यहां आपको खाने के ढेरों ठिकाने मिलेंगे तो खूबसूरत गार्डन भी। चंडीगढ़ को ‘हेपनिंग’ सिटी ऐसे ही नहीं कहते हैं। कार से इस शहर की ओर आ रहे हैं तो आपका स्वागत करेंगे खूब सारे ढाबे भी। ये ढाबे आपको ऐसा स्वाद देंगे, जो आप शायद कभी भूल ना पाएं। चंडीगढ़ में और भी बहुत कुछ है घूमने को। लेकिन 1 दिन में ही घूमना है ये शहर तो लिस्ट तैयार है, बस चल पड़िए पंजाब के राजधानी चंडीगढ़ की ओर-

पहला ठिकाना, रॉक गार्डन–
चंडीगढ़ में सबसे पहले आपको रॉक गार्डन देखना चाहिए। यहां पर कुछ खास मौकों पर आना और भी अच्छा रहता है क्योंकि खास मौकों पर यहां खास फंक्शन भी होते हैं, जैसे तीज का त्योहार। यहां आप सुबह 7.30 से रात 9 बजे के बीच आ सकते हैं। यहां घूमने के लिए आपको करीब 45 मिनट का समय लगेगा। इंट्री फीस नहीं है। शहर के सेक्टर 1 में बना ये गार्डेन चंडीगड़ के पुराने रोड इंस्पेक्टर नेक चंद के दिमाग की उपज था और 1957 में बनवाया गया था। इसको ढेर सारे अर्बन और इंडस्ट्रियल वेस्ट से बनवाया गया था। 40 एकड़ का ये गार्डेन स्काल्पचर और अनोखे आर्ट पीस के लिए जाना जाता है। नेक चंद ने इसे खुद बनाना शुरू किया था लेकिन अब यहां 5000 से ज्यादा स्टेचू डिस्प्ले में लगे हैं।

सुखना लेक का सुख–
जी हां, सुखना लेक आकार सुख तो आपको बहुत महसूस होने वाला है। यहां का नजारा तो आपको भाएगा ही सोलर पावर से चलने वाली बोट, जिसमें करीब 25 लोग एक साथ बैठ सकते हैं, वो भी आपको हैरान करेगी। सुखना लेक आने की फीस नहीं है। ये लेक नेचुरल नहीं है और 1958 में बनवाई गई थी। 3 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली ये झील फोटोग्राफी, फिटनेस और पिकनिक के लिए लोगों का खास आकर्षण है। यहां आपको कई तरह की मछलियों और चिड़ियों से रूबरू होने का मौका मिलेगा। इस झील का ख्याल भारत सरकार के अंतर्गत रखा जाता है।
चंडीगढ़ म्यूजियम एन आर्ट गैलेरी–
इस गैलरी में भी आपको 45 मिनट का समय लग सकता है। इस गैलेरी में आपको कला से रूबरू होने का मौका तो मिलेगा ही यहां पर होने वाला लाइट एंड साउंड शो भी आपको जरूर पसंद आएगा। शुक्रवार, शनिवार और रविवार के अलावा ये शो आधिकारिक छुट्टियों वाले दिन भी होता है। आपको इतिहास में जरा भी रुचि है तो ये जगह आपके लिए ही है। इसको 1947 में बनाया गया था। हालांकि इसका उद्घाटन 1968 तक नहीं हुआ था। यहां पर पेंटिंग, आर्टइफेक्ट और स्काल्प्चर देखे जा सकते हैं। इस म्यूजियम के कुल 7 हिस्से हैं। हर हिस्से में आपको अलग-अलग तरह के ऐतिहासिक कलेक्शन मिल जाएंगे। यहां पर आपको 1857 में शुरू हुए स्वतन्त्रता संग्राम की तस्वीरें भी मिल जाएंगी।
रोज गार्डेन में लग जाएगा दिल–
इस रोज गार्डेन में फरवरी के अंत और मार्च के शुरुआती दिनों में रोज फेस्टिवल आयोजित होता है। इस वक्त आप यहां पर बेहद सुंदर और खुशबूदार गुलाबों को देख पाएंगे। शहर के सेक्टर 16 में बना रोज गार्डेन 30 एकड़ में बना है और चंडीगढ़ आने के बाद इसको भूलने की गलती बिलकुल नहीं कीजिएगा। पूरे एशिया में ये अपने तरह का सबसे बड़ा गार्डेन है। इसको बनाने का काम 1967 में पूरा हुआ था। इसका पूरा नाम देश के पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के नाम पर रोज गार्डेन रखा गया है। जैसा कि नाम से ही पता चल जाता है, इस गार्डेन में आपको ढेरों तरह के गुलाब देखने को मिलेंगे, साथ में 825 तरह के दूसरे पौधे भी आप यहां देख सकते हैं। यहां पर 32500 प्रजाति के पेड़ भी हैं, जो आपको प्रकृति की गोद जैसा महसूस जरूर कराएंगे। इसके अलावा इन पेड़ों को लगाने का तरीका इतना सुंदर है कि आप इसको एक टक देखते रह जाएंगे। इस जगह से शिवालिक की पहाड़ियां भी नजर आती हैं, जिनके साथ बहुत सुंदर दृश्य बन जाता है। रोज गार्डेन के बिलकुल बीच में फाउंटेन भी है।
भारत की अकेली फूलों से सजी लेजर वैली–
ये वैली अपने तरह की अनोखी इसलिए है क्योंकि ये भारत की अकेली वैली है, जिसे खास थीम गार्डेन से सजाया गया है। यहां पर फरवरी में होने वाले 3 दिन के फेस्टिवल में भी यात्रियों की आमद खूब होती है। ये शहर के सेक्टर 1 के राजेंद्र पार्क से शुरू होकर सेक्टर 3 के बौगेनविलिया गार्डेन तक जाती है। सेक्टर 23 में ये वैली हल्का कर्व भी लेती है। बौगेनविलिया गार्डेन भी अपने खास गुलालबी फूलों वाले पेड़ बौगेनविलिया के लिए जाना जाता है और इसका निर्माण 1976 में किया गया था।
चंडीगढ़ का नाम–
चंडीगढ़ का नाम भी बड़े रोचक तरीके से रखा गया है। इस शहर का नाम देवी चंडी के नाम पर रखा गया है।
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