Purple Crying Reason: बच्चा जन्म से लेकर बड़े होने तक कई स्टेजेज से गुजरता है। कभी वह हंसता है तो कभी बेवजह रोता है। हालांकि बच्चे का रोना सामान्य बात है और वह उसकी ग्रोथ के लिए जरूरी भी है। बच्चे का पेट भरा है, वह एक्टिव है और पर्याप्त नींद ले चुका है लेकिन फिर भी लगातार रो रहा है, तो ये सामान्य नहीं है। ये लक्षण पपर्ल क्राइंग के हो सकते हैं। इस स्थिति में बच्चा असामान्य तरीके से रोता है जिसे संभालना पेरेंट्स के लिए चुनौतिपूर्ण हो जाता है। पर्पल क्राइंग टर्म से अधिकांश पेरेंट्स अनभिज्ञ हैं जिसकी वजह से उन्हें इस दौरान बच्चे को संभालने में परेशानी आती है। यदि आपका बच्चा भी लगातार 2-3 घंटे रोता है और आपको पता नहीं है उसे कैसे डील करना है चलिए जानते हैं इसके बारे में।
क्या है पर्पल क्राइंग

पर्पल क्राइंग एक ऐसी स्थिति है जिसका अनुभव सामान्यतौर पर छोटे बच्चे करते हैं। ये बच्चों के लिए सामान्य विकासात्मक चरण है लेकिन इस दौरान बच्चे को संभालना बेहद चुनौतिपूर्ण हो जाता है। पर्पल क्राइंग स्टेज में बच्चा लगातार रोता रहता है। जन्म से दो महीने तक लगभग सभी बच्चे इस स्थिति का सामना करते हैं। पर्पल क्राइंग का अर्थ है परसिस्टेंट क्राइंग यानी बच्चा इस स्टेज में लगभग दो महीने तक रोता है लेकिन तीन महीने के बाद उसका रोना अपने आप कम हो जाता है। बच्चे खासकर शाम के समय रोते हैं। हालांकि इस दौरान उन्हें कोई शारीरिक समस्या महसूस नहीं होती लेकिन पेरेंट्स बच्चे के लगातार रोने की वजह से मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान हो सकते हैं।
पर्पल क्राइंग के संभावित कारण
– बच्चा यदि दूध पीने के बाद रोता है तो यकीनन उसे डकार की आवश्यकता है।
– कई बार बच्चे रोने के लिए भी रोते हैं।
– भूख लगने की स्थिति में बच्चा रो सकता है।
– कमरे का तापमान अधिक गर्म या ठंडा होने की वजह से भी बच्चा परेशान कर सकता है।
– बार-बार सूसू आने की वजह से बच्चा बैचेनी महसूस कर सकता है।
– कमजोरी या थकान की वजह से भी बच्चा लगातार रो सकता है।
– बच्चे के पेट या कान में दर्द हो सकता है।
पर्पल क्राइंग के लक्षण
– लगातार 3-4 घंटे तक बच्चे का रोना
– भूख होने के बावजूद दूध न पीना
– बुखार
– उल्टी
– पर्याप्त नींद न लेना
– मुट्ठी को जकड़कर रखना
पर्पल क्राइंग स्टेज की अवधि

पर्पल क्राइंग स्टेज की शुरुआत बच्चे के जन्म से लगभग दो हफ्ते बाद होती है और ये लगभग 5 महीने तक चल सकती है। इस दौरान बच्चे में काफी बदलाव महसूस किए जा सकते हैं। खासकर बच्चा शाम और रात के समय अधिक रोता है। इस स्थिति में बच्चे को संभालना काफी मुश्किल हो जाता है।
पर्पल क्राइंग को कैसे करें मैनेज
– बच्चे को गोद में लेकर सहलाएं।
– सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा भूखा तो नहीं।
– बच्चे को पेसिफायर दे सकते हैं।
– बच्चे को धीरे-धीरे स्विंग करें।
– यदि बच्चा दो महीने से छोटा है तो उसे स्वैडल करें।
– बच्चे को ताजी हवा में घुमाएं।
– हो सके तो बच्चे को वॉर्म बाथ कराएं।
– बच्चे को सॉफ्ट और लाइट म्यूजिक सुनाएं।
– बच्चे के पेट और पीठ को रगड़ें।
