Internet Safety for Children: इंटरनेट बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, लेकिन माता-पिता बच्चों को फोन देने से डरते हैं। समय के साथ बच्चों को कदम से कदम मिलाकर चलाने के लिए थोड़ी सतर्कता बरतनी माता-पिता के लिए भी जरूरी है।
29 वर्षीय रूही की 4 साल की बेटी में आने वाले मेहमानों से टॉफी बिस्कुट पाकर नहीं बल्कि फोन पाकर बेहद खुश हो जाती है। रूही अपने दोस्त गरिमा को बताती है कि मैं अपने बच्चे की आदत से बहुत परेशान हूं। एक बार तो मेरी बेटी ने एक शादी में रिश्तेदार का आईफोन लेने के लिए उनको जोर से मार भी दिया है। उसके इस रवैये से मुझे सबके सामने शॄमदा होना पड़ा। फोन की इस लत को लेकर मैं सबसे इस समस्या का समाधान मांगती हूं। मेरी बेटी बिना फोन देखे खाना भी नहीं खाती है। अगर फोन में इंटरनेट नहीं चलता है तो वह गुस्से में आकर चीजें फेंकने लगती है। अपनी सहेली की बात सुनकर गरिमा भी परेशान हो गई। गरिमा ने उसे कई तरह के सुझाव भी दिए। रूही ने कहा कि मैं अपनी बेटी की इस आदत को सुधारना चाहती हूं। रूही कहती है कि मुझे नहीं पता था बचपन में फोन दिखाने की ये आदत मेरे लिए कितनी मुसीबत बन जाएगी।
गरिमा अपनी सहेली को समझाते हुए कहती है कि तू परेशान ना हो। ये समस्या केवल रूही की नहीं आजकल अधिकतर घरों में बच्चे फोन देखकर ही खाना खाते हैं। बच्चे की ये लत एक दिन में नहीं
जाएगी। इसके लिए आपको कुछ आदते अपनानी होगी। बच्चों को मोबाइल से दूर रखने के लिए यह टिप्स अपनाएं-

- बच्चे को फोन पर डराने वाले वीडियो दिखाएं, उसे डराएं। प्यार से बच्चे नहीं समझते हैं।
- बच्चों को फोन दिखाने के बजाय टीवी पर वीडियो दिखा सकते हैं।
- उनका ध्यान दूसरी तरफ आकॢषत करने के लिए उन्हें ऐसे खिलौने दें जो उन्हें पसंद आए।
- उनकी रूचि के अनुसार उन्हें दूसरे कामों में व्यस्त रखें।
- अपने बच्चे के सामने मोबाइल न चलाएं।
- बच्चे जब मोबाइल के लिए जिद करता है तो उसे ना बोले। अपने इस फैसले पर अडिग रहें।
- बच्चे जब मोबाइल के लिए जिद करता है तो उसे ना बोले। अपने इस फैसले पर अडिग रहें।
- बच्चे के माइंड को डाइवर्ट करने के लिए उनका फेवरेट खाना बनाएं।
- बच्चें के लिए डेली रूटीन सेट करें।
- पढ़ाई-लिखाई को सबसे पहले, दूसरे नंबर पर खेलकूद और सबसे आखिर में स्क्रीन को समय देना चाहिए।
कोमल मन पर भीषण असर

- ज्यादा फोन देखने से बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं और उनकी भूख भी कम हो रही है।
- संवाद शैली पर भी असर हो रहा है।
- माता-पिता से रिश्ते कमजोर हो रहे हैं।
- मूवमेंट डिसऑर्डर की समस्या हो रही है।
- बच्चों के हाथों और गर्दन पर भी असर पड़ रहा है।
- बच्चों का दिमाग हो रहा है सुस्त।
डिवाइस फ्री डिनर

- खाना खाते समय डिनर टेबल पर मोबाइल को अपने से दूर रखें। आप अपने घर में आज से ही यह नियम बना लें कि डायनिंग टेबल पर सभी बिना फोन के ही बैठेंगे।
- घर में बच्चों को फोन छुड़ाने के लिए बड़ों को भी मेहनत करनी होगी। घर में सभी सदस्य बच्चों के सामने फोन न चलाएं।
- अपने बच्चे को स्वस्थ और हेल्दी बनाना चाहते हैं तो अमेरिकन प्रैडयाटिक एसोसिएशन के अनुसार आपके बच्चों का स्क्रीन टाइम 30 मिनट से ज्यादा एक दिन में नहीं होना चाहिए। बच्चों को मोबाइल देखते समय आंख से फोन की दूरी 8 से 10 फीट दूर होनी चाहिए।
- बच्चों की रुचि के अनुसार हॉबी क्लास चुनें ।
- बच्चों को शारीरिक कार्यों में व्यस्त रखें।
- बच्चों को वीडियो देखने के बजाय ब्लूटूथ स्पीकर में ऑडियो सुनायें।
- बच्चों को कुछ ऐसे कार्य करने के लिए लिए दें और उनसे कहें कि इन्हें समय पर पूरा करेंगे तो उन्हें फोन देखने को मिलेगा
- 10 साल तक की उम्र के बच्चों को अकेले में इंटरनेट इस्तेमाल न करने दें।
पेरेंटिंग लॉक कैसे लगाएं
बच्चों को फोन से दूर रखना आसान नहीं है और उन्हें दूर रखना भी नहीं चाहिए, लेकिन बच्चों को मोबाइल देने से पहले हर मातापिता को उसमें पैरेंटिंग लॉक लगाकर देना चाहिए। सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर पर जाएं सर्च बार के पास आपको तीन डॉट का ऑप्शन दिखेगा वहां क्लिक करके
आप सेटिंग में पेरेंटल कंट्रोल को ऑन कीजिए। ऐसा करते ही आपसे ये पिन मांगेगा। इसमें आपको अपने हिसाब से पिन डालना है जो बच्चों को न पता हो। अब जो स्क्रीन खुलेगी उसमें आप सभी
रिस्ट्रिक्शन सेट कर सकते हैं। कैसी फिल्में, कैसे एप्स, कैसे गेम्स बच्चों के लिए सही हैं वो सभी आप तय करें। बच्चे डाउनलोडिंग को लेकर सावधान भी रहेंगे और आपकी पेरेंटिंग प्रॉब्लम्स में से एक का समाधान भी होगा। आशा है कि ये जानकारी आपके जरूर काम आएगी। अपने बच्चों को इंटरनेट की दुनिया में सुरक्षित रखें।
