बच्चों के पालन-पोषण करने के लिए मां को हमेशा सजग रहने की जरूरत होती है। आज के समय में हर मां चाहती है कि उसका बच्चा अपना अच्छा भविष्य बनाएं। हर मां अपने बच्चे को निडर बनाना चाहती है। बच्चे को उसके भाई-बहन और परिवार के रिश्तों के बारे में समझाने का काम भी मां का होता है। जो वो बखूबी करती है। देखा जाए तो मां की अपने बच्चे के प्रति देखरेख भी दो तरह की होती है। पहली वो जो डॉल्फिन की तरह होती है, यानि की अपने बच्चे से उसका सम्बन्ध सहयोगी होता है। तो वहीं दूसरी शेरनी की तरह होती है। यानि की उनका अपने बच्चे से सम्बन्ध काफी रफ और टफ होता है। ऐसे में माओं के व्यवहार का असर उनके बच्चे के भविष्य पर पड़ता है। जो कभी अच्छा होता है तो कभी बुरा। जिससे उनका अपने बच्चे से रिश्ता शार्ट-टर्म्स के होते हैं तो कभी संतुलित होता है। जो बच्चों पर अच्छा-बुरा दोनों असर पड़ता है। आज हम बात करेंगे क्या है डॉल्फिन पेरेंटिंग शैली की।

डॉल्फिन मॉम- पेरेंटिंग स्टाइल

स्पोर्ट्स के अनुसार एक्सपर्ट्स के अनुसार जब पेरेंटिंग की बात आती है तो कुछ प्राकृतिक नियम है जिनकी पेरेंट्स भी अनदेखी कर देते हैं। यह अनदेखी ना हो और वह एक समझदार माता पिता की तरह व्यवहार करें क्योंकि वे अपने बच्चों के साथ समाजिक तौर पर बंधे हुए हैं। हंसी खुशी अपनी जिम्मेदारी निभाएं। उसके लिए डॉल्फिन पेरेंटिंग स्टाइल बेस्ट माना गया है। 

ओवर प्रोटेक्टिव नहीं होते डॉल्फिन पेरेंट्स

क्योंकि डॉल्फिंस अपने बच्चों के साथ ना तो ज्यादा ओवरप्रोटेक्टिव होती हैं और ना ही बहुत ज्यादा सपोर्टिव हैं। ना ही उनके व्यवहार में रूखापन देखा जाता है और ना ही जरूरत से ज्यादा प्यार। शोध बताता है कि डॉल्फिन पेरेंटिंग स्टाइल अब तक के पेरेंटिंग स्टाइल्स में बेस्ट है। क्योंकि यह स्टाइल बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है साथ ही उनका वेलविशर भी होता है।यह शैली बच्चों को सीखने और बढ़ने की, सकारात्मक रूप से मदद करती है।

डॉल्फिन पेरेंट्स ज्यादा इंस्ट्रक्शन नहीं देते

हो सकता है आपको यह मुश्किल लगे लेकिन कहीं कोई लक्ष्मण रेखा खींचना इतना मुश्किल तो नहीं लेकिन हां जरूरी है और वह भी तब जब आप अपने बच्चे को कुछ नियम और शर्तों से बांधना चाहते हो इसके पीछे आपका उद्देश्य उनको चेतावनी इंस्ट्रक्शंस देना नहीं है बल्कि छोटी-छोटी बातों के लिए सचेत करना है। एक बच्चे के लिए जितना घर की चारदीवारी में सीखना जरूरी है, उतना ही स्कूल और बाहरी दुनिया के संपर्क आने में सीखना जरूरी है। जो के लिए नियम और शर्तों को मानना जरूरी है लेकिन कभी-कभी इन रूल्स को तोड़ना भी इसी पेरेंटिंग शैली का एक हिस्सा है। एक ओर जब आप बच्चे को किसी पूरे सप्ताह के टाइम टेबल के हिसाब से बांधते हैं, तो कहीं ना कहीं आप उनको सप्ताह के किसी एक दिन थोड़ी छूट भी देना पसंद करते हैं। यह सिर्फ और सिर्फ डॉल्फिन पेरेंटिंग के अंतर्गत संभव है। इस तरह से बच्चा प्रबंधन और संतुलन सीखता है।

डॉल्फिन पेरेंट्स संतुलित होते हैं

डॉल्फिन मॉम- पेरेंटिंग स्टाइल

करेगी प्रिंटिंग शैली में माता-पिता ना तो ज्यादा बच्चों के लिए स्ट्रेस लेते हैं ना ही वह दिशाहीन होते हैं लेकिन थोड़े बहुत फ्री महसूस करना चाहते हैं सीधा सादा सा एक शब्द है संतुलन। यह शैली संतुलित शैली कहलाती है।हालांकि आप अपने बच्चे के पालन के लिए सख्त नियम निर्धारित करते हैं, पर असाधारण स्थितियों में लचीले होते हैं। उसे थोड़ा समय देना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, जब आप चाहते हैं कि आपका बच्चा पढ़ाई में अच्छा हो और उसे परीक्षा में अच्छे ग्रेड लाये तब आप मदद करते हैं।  उसके जुनून का सम्मान करते हैं। इसलिए यदि बच्चा रचनात्मक हैं और किसी भी गतिविधि में रुचि लेता हैं, तो तय करें कि आप उसका समर्थन करेंगे।

आधुनिकता के साथ चल रहे पैरेंट्स

डॉल्फिन स्वभाव के पैरेंट्स हमेशा बच्चों को आधुनिकता के तौर तरीके को बेहतर तरीके से सिखाने में सक्षम होते हैं। क्योंकि इस स्वभाव की मां और पिता आधुनिकता के इस दौर में खोते नहीं। वो अपने बच्चों को उभारने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं जो उन्हें भविष्य में बेहतर बनाती हैं। क्योंकि इस दौर में बच्चों को समझना भी जरूरी होता है। आप अपने बच्चों के सहयोगी बनें, ताकि आपका बच्चा आपसे खुलकर बात कर सके।

डॉल्फिन मां संतुलित सहयोगात्मक है

मेरी मां एक टाइगर मां की तरह बहुत ज्यादा नियंत्रक या रौबदार नहीं है न ही वह एक जेलीफिश की मां की तरह दयालु, दिशाहीन है। मेरी मां इन दोनों ही चीजों का मिश्रण है कठोर भी व लचीली भी। उनके अपने नियम भी हैं और उम्मीदें भी। वह भी चाहती है कि हम अच्छा पढ़ें व अनुशासन में रहें। पर वह हमारे जज्बे को और हमारी इच्छा की भी कदर करती हैं। 

डॉल्फिन मां ज्यादा चीजें शेड्यूल नही करती

मैं कभी भी हर रोज के एक ही गतिविधियों की अनुसूची में फंस कर नहीं रही हूं। न ही मेरे माता पिता के पास ऐसा करने का समय, पैसा व इसमें रुचि है। मेरी मां का मानना है की जो स्मार्ट लोग होते हैं वह बहुत ज्यादा व्यस्त नहीं बिलकुल शांतिपूर्ण होते हैं। बहुत से दादा दादी की तरह ही वह भी हमारे इतनी तेजी के लाइफस्टाइल को देख कर भयभीत होती है और मैंने बहुत से बच्चों को ऐसा देखा है जो अधूरी नींद के शिकार होते हैं या बहुत ही स्ट्रेस रहते हैं, क्योंकि उनके माता पिता उन पर एक भारी भरकम शेड्यूल थोप देते हैं।

डॉल्फिन मां अधिक जानकारियां भी नही देती हैं

डॉल्फिन मां क्लासरूम की सीख के साथ साथ इस दुनिया की सीख को समझने में भी विश्वास रखती है। मैंने अपने पापा की टैक्सी में पैसेंजर को देने वाले खुले पैसे गिनने के माध्यम से गणित सीखा। खेल बच्चे के सामाजिक, बौद्धिक व जज्बातों के विकास के लिए बहुत आवश्यक होता है।डॉल्फिन मां अधिक प्रोटेक्ट भी नही करती  लेकिन गंभीर हानियों से तो अवश्य ही बचाती है। 

डॉल्फिन मां सपोर्ट करती है

सामाजिक बॉन्डिंग हमारे समाज का एक मुख्य केंद्र है। डॉल्फिन मां ने अपने बच्चों को एक सार्थक रूप में दूसरों के साथ जुड़ना सिखाती है। इससे उन्हें सोशल स्किल्स, चरित्र और महत्त्व सिखाने के साथ साथ मां व बच्चे के बीच एक समुदाय की भावना को भी जागृत करती है। वह बच्चों को एक सार्थक व संतुलित जीवन जीने देती है।

डॉल्फिन मां बदलाव एक्सेप्ट करती है

डॉल्फिन मां अपने सभी बच्चों को एक तरह की परवरिश नहीं देती। वह अपने सभी बच्चों को एक ही तकनीक के माध्यम से बड़ा करती है और  वह समय व वातावरण के हिसाब से बदलाव भी ग्रहण करती है।

बच्चों को प्यार करना, उनकी देखभाल करना मां से बेहतर कोई और कर ही नहीं सकता। क्योंकि एक मां ही होती है जो अपने बच्चे का भविष्य बना और बिगाड़ सकती है। अपने बच्चे के साथ डॉल्फिन की तरह दोस्ती रखें। ताकि आने वाले समय में बच्चा आपके साथ अपनी हर ख़ुशी और परेशानी आपके साथ साझा कर सके। और आपका भी ये फर्ज है कि आप अपने बच्चे का अच्छा भविष्य बनाएं।

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