विश्व भर में नववर्ष का स्वागत बड़े ही हर्षोल्लास से किया जाता है। समस्त व्यक्ति इसे अलग-अलग तौर-तरीकों, रीति-रिवाजों, मान्यताओं के आधार पर मनाते आ रहे हैं। नववर्ष एक ऐसा उत्सव है, जिसे मनाने के लिए पूरे संसार के लोग प्रतीक्षारत रहते हैं। नया वर्ष साल के पहले दिन से प्रारंभ होता है और तत्पश्चात 365 दिनों का फिर से चक्र चलना आरंभ हो जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को नए वर्ष की शुभकामनाएं भेजते हैं और खुशियां मनाते हैं। नव वर्ष के मनाने का रिवाज मानव सभ्यता के विकास से जुड़ा हुआ है। दुनिया में नववर्ष का स्वागत किस प्रकार होता है आइए जानते हैं।
न्यूयॉर्क में झुकती हैं क्रिस्टल बॉल
104 वर्षों से अधिक समय से न्यूयॉर्क का ‘टाइम्स स्क्वॉयर’ विश्व भर के लिए नववर्ष पर आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां पहली बार वर्ष 1904 में नववर्ष का सार्वजनिक आयोजन हुआ था। यहां छह फीट व्यास तथा 400 किलोग्राम से अधिक वजन की एक क्रिस्टल बॉल लगी हुई है। इस बॉल में 500 क्रिस्टल और 600 लाइट बल्ब हैं। नववर्ष प्रारंभ से ठीक एक मिनट पूर्व इसे झुकाया जाना शुरू किया जाता है और ठीक मध्यरात्रि 12 बजे यह 77 फीट नीचे झुक जाती है। इस अवसर का साक्षी बनने के लिए प्रतिवर्ष 31 दिसंबर की मध्यरात्रि को टाइम्स स्क्वॉयर दुनिया भर से आए पांच लाख से अधिक दर्शकों से खचाखच भर जाता है। जबकि टी.वी. और इंटरनेट पर लाइव टेलीकास्ट द्वारा लगभग 100 करोड़ से अधिक लोग यह घटनाक्रम देखते हैं।
डेनमार्क में टूटती हैं प्लेटें
अगर आप डेनमार्क में हैं और नए साल की पूर्व संध्या पर आपके घर के बाहर तड़ातड़ प्लेटें टूटनी शुरू हो जाएं तो गुस्सा करने की जगह जी खोल कर मुस्कराइए। इसकी वजह भी बड़ी बढ़िया है। यहां साल भर पुरानी प्लेटों को केवल इसलिए बचा कर रखा जाता है कि नए साल पर इन्हें अपने परिचितों और दोस्तों के दरवाजों पर तोड़ कर नया साल आने की सूचना दी जाए। जिसके दरवाजे पर प्लेटों का जितना अंबार लगा होता है, उसके दोस्तों की संख्या उतनी ही ज्यादा मानी जाती है।

ब्राजील में ताबड़तोड़ आतिशबाजी
ब्राजील के सभी शहरों, खासकर रियो डि जेनेरो में नए साल की पूर्व संध्या पर 31 दिसंबर मध्यरात्रि से ठीक आधा घंटा पूर्व ताबड़तोड़ आतिशबाजी शुरू होती है, जो ठीक 12 बजे तक चलती है। नए साल पर समुद्र तटों पर होने वाली इन आतिशबाजियों को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक उमड़ते हैं। नए साल पर शुभ शगुन के लिए ब्राजील निवासी सफेद पोशाक धारण करते हैं। मध्यरात्रि के बाद नया साल शुरू होते ही स्थानीय नागरिक समुद्री लहरों में सात बार भीगते हुए फूल फेंकते हैं। स्थानीय मान्यता है कि समुद्र की रक्षा करने वाली देवी इससे प्रसन्न होकर नए साल को खुशहाली से भर देगी। यहां कुछ जगहों पर समुद्र तट पर मोमबत्तियां भी जलाई जाती हैं।
कोलंबिया व इथोपिया में पुतला दहन
कोलंबिया और इथोपिया में नए साल की पूर्व संध्या पर मिस्टर ओल्ड ईयर नामक परंपरा देखने को मिलती है। यह बीते हुए कल की दुखद स्मृतियों से छुटकारा पाने और नए साल की सुखद शुरुआत का टोटका है। इस परंपरा में रविवार को सभी सदस्य मिलकर एक बड़ा पुतला बनाते हैं, जिसके अंदर पटाखों के साथ ऐसी सभी चीजें रख दी जाती हैं, जो बीते वर्ष में परिवार के लिए दुख का कारक बनीं। इस पुतले को घर के सभी सदस्यों के पुराने कपड़ें पहनाए जाते हैं और नए साल की पूर्व संध्या पर इसे आग लगा दी जाती है।

मैक्सिकों में खाए जाते हैं अंगूर
मैक्सिकों में नए साल की पूर्व संध्या पर अधिकांश लोग घर पर रिश्तेदार और मित्रों के साथ टी.वी. कार्यक्रम देखना पसंद करते हैं। जैसे ही घड़ी में बारह का घंटा बजना शुरू होता है, घर पर मौजूद सभी सदस्य प्रत्येक घंटे की आवाज के साथ एक अंगूर का दाना मुंह में डालते हैं। इस प्रकार बाहर अंगूर के दाने खाने के बाद वे एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। यहां ऐसे लोग भी मिल जाएंगे जो नववर्ष की पूर्व संध्या पर कपड़ों से भरा सूटकेस लेकर मुहल्ले का चक्कर इस विश्वास के साथ लगाते हैं कि इससे उन्हें नए साल में किसी अच्छी जगह पाने का अवसर मिल सकेगा।
साइबेरिया में पौधे सजाए जाते हैं
इस अवसर की तैयारी में साइबेरिया के लोग नववर्ष की पूर्व यानी 31 दिसंबर को अपने मकान में उगे किसी एक पौधे को दुल्हन की तरह सजाते हैं, इसे रेशमी लाल रंग का परिधान पहनाते हैं तथा इसका मुंह ढंक देते हैं। पहली जनवरी को प्रात: घर के सभी लोग एकत्र होकर, मिलकर बड़ी अदा व आदर के साथ, इसी दुल्हन का घूंघट उठाते हैं और हर्षोल्लास के साथ इसका स्वागत करते हैं, जैसे सचमुच ही परिवार में नववधु का आगमन हुआ हो। लोग इसे अपने परिवार हेतु साल भर के लिए खुशहाली, समृद्धि का सूचक मानते हैं।
रूस में होती हैं बहुरंगी आतिशबाजियां
रूस में नववर्ष मनाने की परंपरा तीन सौ साल पहले आरंभ हुई थी जब वहां पीटर प्रथम ने नए साल का पौधा लगाया और यह घोषणा की कि प्रति वर्ष पहली जनवरी को नए साल का त्योहार मनाया जाएगा। इसी दिन रूसी ‘सेंटाक्लॉज’ सड़कों पर अपनी विशेष पोशाक व परेड से बच्चों का मन बहलाते हैं। लोग इस दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। छोटे बच्चों को तोहफे का इंतजार रहता है तो बड़े यह सोचते हैं कि आने वाला साल उनके लिए खुशियां और समृद्धि लेकर आएगा। यहां 13-14 जनवरी की रात में नया साल दोबारा मनाया जाता है, इसे पुराना नया साल कहा जाता है। रूस को छोड़कर सारी दुनिया में जूलियन कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है। इन दोनों प्रकार के कैलेंडर में 13 दिन का फर्क होता है।
रूस में भी बहुरंगी आतिशबाजी के नजारे तथा धमाके की गूंज होती है। घर से बाहर निकलकर शोरगुल, नृत्य-गान और हुजूम सा जगह-जगह दृश्य होता है।
रोम में अविवाहित लड़कियां, कुमारी बालायें एक साथ झुंड बनाकर सड़कों पर निकल पड़ती हैं और अपने पैरों में बंधे घुंघरुओं द्वारा विभिन्न प्रकार के नृत्य के माध्यम से, मधुर झंकार बिखेरती हुई घूमती हैं। अभिप्राय है, इस दृश्य, संगीत से घर परिवार में, वर्ष भर आपसी खुशहाली, मधुर प्रीति का संचार होता रहेगा।
जापान में घर सजाए जाते हैं
यहां जापान में नववर्ष का स्वागत सूर्योदय में जल को पीकर किया जाता है। जापानियों का विश्वास है कि इस जल को पीने से व्यक्ति लंबी उम्र के होते हैं। इस दिन घरों में चावल से बना खास भोज्य वस्तु ‘मोर्चा’ तथा ‘कमल’ की जड़ खाने का भी रिवाज है। जापानियों की नववर्ष पर्व का एक विशेष पहलू यह भी है कि इस दिन वे अपने समस्त पिछले ऋण चुका देना अनिवार्य समझते हैं। वे चाहे इसके लिए उन्हें घर की ही कोई चीज क्यों न विक्रय करनी पड़े। नववर्ष के आगमन पर जापानी घर में खास सजावट की जाती है। घर के दरवाजे हरे बांस तथा चीड़ की पत्तियों से सजाए जाते हैं। जापानी समाज में चीड़ को सच्चरित्रता तथा बांस को दीर्घ जीवन का परिचायक माना जाता है।
जापानी नववर्ष 29 दिसंबर की रात से 3 जनवरी तक मनाते हैं। इसके साथ ही बौद्ध और शिवों के मंदिरों की सफाई एवं सजावट दिसंबर महीने में जाती है। याबूरी त्योहार का एक मुख्य कार्यक्रम होता है- साल की अंतिम रात को 12 बजे मंदिर की घंटियों का 108 बार बजना। लोगों की सुविधा के लिए इसका सजीव प्रसारण रेडियो और टीवी पर भी किया जाता है। इन घंटियों की आवाज के साथ पूरा राष्ट्र एक साथ नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ प्रार्थना करता है।
इंगलैंड- गिरजाघरों में घंटियां बजाई जाती हैं
इंगलैंड के दो भागों लंकाशायर तथा यार्कशायर में 31 दिसंबर की रात को ग्यारह बजे सभी गिरजाघरों में घंटिया बजने लगती हैं। तो मौजूद व्यक्तियों के कानों में शंखनाद होता है कि पुराना वर्ष खत्म हो रहा है तथा स्मरण होता है कि आगामी साल हर दिशा में विगत वर्ष से ज्यादा अच्छा तथा नेक होगा। शुरू में गिरजाघरों की घंटियां शोक युक्त स्वर में बजती हैं। ऐसे वक्त में अकस्मात ही सबको पिछले साल में दिवंगत हुए अपने मित्रों तथा परिचितों का स्मरण हो आता है। कुछ वक्त के लिए वातावरण में मायूसी तथा उदासी छा जाती है। माहौल बोझिल हो उठता है किंतु जल्द ही घंटियों का स्वर तेज हो उठता है तब मन में नई उमंग कड़वी यादगारों को भूलाकर नए साल के स्वागत के लिए तैयार हो जाते हैं।
ईरान- घरों में गेहूं तथा जौ बोए जाते हैं
नववर्ष के इस आयोजन को ईरान में ‘नौरोज’ कहते हैं। उसके 15 दिन पहले वहां घरों में गेहूं तथा जौ बो दिए जाते हैं, जिनमें नववर्षोत्सव अंकुर निकल आते हैं। नौरोज के दिन परिवार के सदस्य एक मेज के चारों ओर बैठते हैं और बारी-बारी से इन अंकुरों को जल से भरे एक पात्र में डालते हैं। इस पात्र के अगल-बगल एक शीशा, एक अंडा, एक मोमबत्ती और एक रोटी रखी रहती है। ऐसा करना लोग बड़ा शुभ मानते हैं। रात को ईरान के लोग, अपने-अपने घरों पर प्रकाश करते हैं तथा एक-दूसरे को बधाई देते हैं।

थाईलैंड में एक दूसरे पर पानी का छिड़काव करते हैं
थाईलैंड में नए साल के त्योहार को ‘सोन्गक्रान’ कहते हैं। उनका नए साल का यह त्योहार 13 से 15 अप्रैल तक तीन दिन चलता है। रीति के अनुसार इन दिनों में सब लोग एक-दूसरे पर पानी का छिड़काव करते हैं। बाल्टियां भर-भरकर किसी पर भी निशाना साधा जाता है। इन दिनों लोग बड़ों के पांव छूकर गलतियों के लिए माफी मांगते हैं व उनके हाथों पर पानी डालते हैं और ऐसा मानते हैं कि इससे आने वाले साल में अच्छी वर्षा होगी। इन दिनों सभी लोग गौतम बुद्ध की मूॢतयों को स्नान कराते हैं और प्रार्थना के साथ-साथ चावल, फल, मिठाइयां आदि दान करते हैं।
ऑस्ट्रेलिया- मुख्य कार्यक्रम आतिशबाजी का होता है
आस्ट्रेलिया में नववर्ष उत्सव का मुख्य आकर्षण ‘सिडनी हार्बर ब्रिज’ होता है, जिसे देखने के लिए काफी संख्या में लोगों की भीड़ जुटती है। इसमें मुख्य कार्यक्रम आतिशबाजी का होता है, जो सूरज ढलने के बाद शुरू हो जाता है, लेकिन मध्य रात्रि तक पहुंचते-पहुंचते इसकी रंगत और बढ़ जाती है। यहां पानी पर भी आतिशबाजियां होती हैं, जो कि देखते ही बनती हैं।
स्पेन- अंगूर खाने की परंपरा है
स्पेन में नववर्ष आने के ठीक 12 बजे के बाद एक दर्जन ताजे अंगूर खाने की परंपरा है। इनकी मान्यता है कि ऐसा करने से वे साल भर निरोग रहते हैं। यहां पर नववर्ष 31 दिसंबर की रात्रि को मनाया जाता है। सब लोग अपने-अपने अंगूरों के साथ बारह बजने की प्रतीक्षा करते हैं, जैसे ही बारह बजते हैं, घड़ी के घंटों के साथ इस विशेष प्रथा का पालन होता है।
कोरिया- सामूहिक विवाह होते हैं
कोरिया में नया साल सौरवर्ष और चंद्र वर्ष के अनुसार दो बार मनाया जाता है। ज्यादातर लोग सौरवर्ष को ही नए साल के रूप में मनाते हैं। इसे ‘सोल-नल’ कहा जाता है और यह पूरे परिवार के इकट्ठा होकर आपस में मिलकर मनोरंजन, प्रेम और हंसी-खुशी बांटने का दिन होता है। कोरिया के व्यक्ति जनवरी के प्रथम तीन दिन नए साल का उत्सव मनाते हैं।
दक्षिण अमेरिका- साबूत बीज और शलजम की पत्तियां खाने की प्रथा है
दक्षिण अमेरिका में नए वर्ष के दिन लोबिया के साबूत बीज और शलजम की पत्तियां खाने की प्रथा है। इनकी मान्यता है कि लोबिया के बीज पैसे के प्रतीक हैं और शलजम की पत्तियां रुपये की। ये दोनों चीजें पाचन क्रिया में भी महत्त्वपूर्ण मानी जाती हैं। इसलिए नए साल पर इनका इस्तेमाल स्वास्थ्य और अधिकतादायक समझा जाता है। दक्षिण अमेरिका के अलग देशों में नए साल की इस परंपरा में थोड़ा-बहुत अंतर नजर आता है। टेक्सॉस और अलाबामा में लोबिया के साथ शलजम की जगह बंदगोभी और शलजम को पकाकर भी खाया जाता है और दूसरे पत्तों या सब्जी के साथ मिलाकर भी।
अफगानिस्तान- लोग नए कपड़े पहनते हैं, नृत्य करते हैं
अफगानिस्तान में नववर्ष पहली जनवरी को न मनाकर ‘अमल’ की पहली तारीख अर्थात् ग्रेगरी कैलेंडर की तारीख 21 मार्च को मनाया जाता है। 20 मार्च नई दुनिया का मुख्य दिन होता है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और रात को हरी सब्जियों के साथ-साथ कढ़ी चावल बनाते हैं। 12 बजे बत्तियां बुझा दी जाती हैं तथा रिकॉर्ड की धुन पर लोग नृत्य करते हैं। 12 बजते ही सभी एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देना शुरू कर देते हैं। यह कार्यक्रम अधिकतर खुले आकाश के नीचे होता है।
यहां के सात फलों को मिलाकर एक पेय ‘मेवाना नीवराज’ अर्थात् नए साल की मेवा बनाया जाता है। दो-तीन बजे के करीब घर से बाहर कहीं जाना और घास पर टहलना अवश्य होता है। इसे ‘सबजाला हा गाट कर दान’ कहते हैं।
म्यांमार- भगवान बुद्ध की प्रतिमा को सुगंधित तेलों से स्नान कराया जाता है
म्यांमार में इस वर्ष को ‘तिजान’ के नाम से मनाते हैं। यहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा को सुगंधित तेलों से स्नान कराया जाता है। तत्पश्चात सुगंधित जल द्वारा लोगों पर भारत की होली की तरह जल फेंका जाता है। भारत में होली पर दोपहर पश्चात जल फेंकना बंद हो जाता है, लेकिन म्यांमार में कुछ देर के आराम के पश्चात फिर वही क्रिया शुरू हो जाती है। संध्या समय परस्पर बधाई दी जाती है, मिठाइयां बांटी जाती है।
चीन- नव वर्ष के दिन यहां विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं
चीन में नववर्ष आने के एक महीने पहले से घरों की सफाई और रंग-रोगन आरंभ हो जाता है। इस त्योहार में लाल रंग महत्त्वपूर्ण होता है और खिड़की-दरवाजे प्राय: इसी रंग में रंगे जाते हैं। नववर्ष के दिन यहां कुछ विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं और पहनने वाले परिधानों में रंगों का विशेष ध्यान रखा जाता है। लाल रंग पहनना शुभ और काला या सफेद रंग पहनना अशुभ समझा जाता है।
व्यंजन खाओ सौभाग्य जगाओ
दुनिया के कई स्थानों में नए साल पर कई प्रकार के पारंपरिक व्यंजन खाने की भी मान्यता है। इन रीति-रिवाजों के पीछे सौभाग्य जगाने का विश्वास काम करता है। नीदरलैंड में इस दिन गोल डूनट्स खाए जाते हैं, क्योंकि इनकी आकृति को साल पूरा होने का प्रतीक (फूल सर्किल) माना जाता है। अमेरिका के कई भागों में इस दिन काली मटर के व्यंजन बनाए जाते हैं और माना जाता है कि यह साल भर बुरी नजर से बचाए रखेंगे। यूरोप के कई हिस्सों में नववर्ष पर बंदगोभी को खाना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इसे खाने से नए साल पर सौभाग्य भी इसी की तरह पर्त-दर-पर्त खुलता जाता है।
इस तरह नववर्ष पूरे संसार में उत्सव के रूप में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। लेकिन यह समाज के लोगों को प्रेरणा भी देता है कि बीते हुए वर्ष में हमने क्या किया और आने वाले वर्ष में हमें क्या करना है, क्या वास्तव में हम अपने ध्येय पथ की ओर बढ़ रहे हैं। आइए इस वर्ष का स्वागत इसी चिंतन/मनन के साथ करें।
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