वैसे तो नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है- पौष, चैत्र, आषाढ और अश्विन मास में , परन्तु इनमें से दो नवरात्रों का अलग ही महत्त्व है । नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों – महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिनको क्रमशः नंदा देवी, रक्ततदंतिका,शाकम्भरी, दुर्गा,भीमा और भ्रामरी नवदुर्गा कहते हैं। नवरात्रि हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। ख़ासतौर पर चैत्र मास में आने वाली नवरात्रि का अपना विशेष महत्त्व है क्योंकि इसी से हिन्दू नव वर्ष का आरम्भ होता है।
क्या है हिंदू नव वर्ष
भारतीय कैलेंडर के अनुसार हिंदू नव वर्ष चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा के साथ प्रारंभ होता है और पूरे देश में इसे अलग -अलग रूपों में जैसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा और संपूर्ण देश में नवरात्रि या नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। इसे नवसंवत्सर कहते हैं और मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे इसलिए इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि या प्रतिपदा को सृष्टि का आरंभ हुआ था इसीलिए हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है और हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है |
चैत्र नवरात्रि का महत्त्व
इस वर्ष 25 मार्च से नया संवत्सर 2077 आरंभ हो गया है। प्रति वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नया हिंदू वर्ष शुरू हो जाता है। साथ ही इसी तिथि पर नवरात्रि का पहला दिन होता है। हिंदू परंपरा में नव संवत्सर को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू मान्यतानुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की तिथि को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण तिथि माना गया है। ब्रह्मपुराण में उल्लेख है कि चैत्र प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। जिस दिन दुनिया अस्तित्व में आई, उसी दिन प्रतिपदा मानी गई। इसीलिए चैत्र नवरात्रि को अति विशिष्ट तरीके से मनाया जाता है और इसका महत्त्व निश्चय ही विशेष है।
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