किसी भी पूजा के महत्त्व से ज्यादा मायने रखता है उस पूजा में चढ़ाया जाने वाला भोग या प्रसाद। इसीलिए आमतौर पर भोग में वही सामग्रियां चढ़ाई जाती हैं, जो प्रभु को पसंद होती हैं। जब बात हो रही हो जन्माष्टमी के व्रत और पूजा की तो इसका भोग भी विशेष ही होता है। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के मौके पर भक्त उनकी पूजा और व्रत पूरे भक्ति भाव से करते हैं इसके साथ ही श्री कृष्ण को प्रसाद के रूप में छप्पन भोग भी चढ़ाया जाता है। 
 
माखन मिश्री 
जन्माष्टमी में मुख्य प्रसाद के रूप में माखन मिश्री को आज भी सर्वोपरि रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण को माखन मिश्री बहुत पसंद था इसलिए इसका भोग लगाना आवश्यक माना जाता है। 
 
पंचामृत /चरणामृत 
इसके बाद आता है पंचामृत  का प्रसाद यह प्रसाद मुख्य रूप से दही  के साथ  पांच तरह की चीज़ें दूध, दही, शहद ,घी, और गंगाजल को मिलाकर तैयार किया जाता है, जिससे लड्डू गोपाल को स्नान कराया जाता है। इसमें तुलसी की पत्ती अवश्य डालनी  चाहिए। 
 
आटे और धनिया की पंजीरी 
पंजीरी का प्रसाद भी श्री कृष्ण को चढ़ने वाले मुख्य भोगों में से एक है। कुछ लोग आटे की पंजीरी बनाते हैं , आटे को भूनकर सारे मेवे और चीनी मिलाकर इसे तैयार किया जाता है। वहीं धनिया की पंजीरी भी कान्हा को भोग में चढ़ाई जाती है। 
 
मेवा पाक
मेवा पाक का प्रसाद भी कान्हा भोग में चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद में  सारे मेवों को चीनी की चाशनी में पाक के बनाया जाता है।  इसका भोग मुख्य रूप से जन्माष्टमी के बाद छठी तक श्री कृष्ण को अर्पण किया जाता है।