Dirty Wellness Trend
Dirty Wellness Trend

डर्टी वेलनेस की ख़ास बात

डर्टी वेलनेस नामक एक नया ट्रेंड उभर रहा है जो प्रकृति के करीब लौटने और प्राकृतिक जीवनशैली अपनाने पर जोर देता है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है और हमें प्रकृति से जोड़ने का काम करता है।

Dirty Wellness Trend: आधुनिक जीवनशैली ने मनुष्य को तकनीक के करीब और प्रकृति से दूर कर दिया है। लगातार स्क्रीन का उपयोग, केमिकल युक्त उत्पादों का अत्यधिक सेवन और प्रदूषण भरे माहौल में रहना हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए डर्टी वेलनेस नामक एक नया ट्रेंड उभर रहा है जो प्रकृति के करीब लौटने और प्राकृतिक जीवनशैली अपनाने पर जोर देता है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है और हमें प्रकृति से जोड़ने का काम करता है।

डर्टी वेलनेस का पहला महत्वपूर्ण पहलू अर्थिंग या ग्राउंडिंग है। जिसका अर्थ है कि हम अपने शरीर को मिट्टी, घास या रेत के संपर्क में लाएँ। जब हमारा शरीर प्राकृतिक सतहों से जुड़ता है तो यह तनाव को कम करता है, नींद में सुधार करता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। हमारे भारतीय गाँवों में आज भी लोग नंगे पैर चलते हैं और मिट्टी में खेलते हैं, जिससे वे स्वस्थ रहते हैं।

सौंदर्य और स्वास्थ्य उत्पादों में रसायनों की भरमार होती है। मड थेरेपी और प्राकृतिक सौंदर्य उत्पादों का उपयोग इस समस्या का हल हो सकता है। मिट्टी में मौजूद खनिज त्वचा की सफाई करते हैं और उसे प्राकृतिक चमक देते हैं। पुराने समय में हल्दी, चंदन और मुल्तानी मिट्टी जैसी चीज़ों का उपयोग त्वचा की देखभाल के लिए किया जाता था। डर्टी वेलनेस इन्हीं पारंपरिक तरीकों को आधुनिक जीवनशैली में वापस ला रहा है।

प्राकृतिक वातावरण में समय बिताने से मन को गहरी शांति मिलती है। जापान में फॉरेस्ट बाथिंग नामक एक पद्धति विकसित की गई है जिसमें लोग जंगलों में जाकर प्रकृति का अनुभव करते हैं। यह मानसिक तनाव को कम करने, ध्यान केंद्रित करने और ऑक्सीजन स्तर को संतुलित करने में सहायक है। बचपन में हम पेड़ों के नीचे खेलते थे, मिट्टी में दौड़ते थे और बारिश में भीगते थे। आज का डिजिटल युग हमें इस अनुभव से दूर कर रहा है। डर्टी वेलनेस हमें इस जीवनशैली की ओर लौटने के लिए प्रेरित करता है।

स्वस्थ जीवन के लिए खानपान का विशेष महत्व है। प्रोसेस्ड फूड और फास्ट फूड के अधिक सेवन से शरीर बीमारियों की चपेट में आ रहा है। डर्टी वेलनेस प्राकृतिक और जैविक आहार को अपनाने पर जोर देता है। ताजे फल, सब्जियाँ, अंकुरित अनाज और देसी घी जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थ शरीर को संतुलित रखते हैं और रोगों से बचाते हैं। हमारे पूर्वज घर के बने खाने को प्राथमिकता देते थे जिससे वे अधिक स्वस्थ रहते थे। डर्टी वेलनेस हमें उन्हीं आदतों को अपनाने की प्रेरणा देता है ताकि हम बिना किसी अतिरिक्त रसायन के संतुलित जीवन जी सकें।

डर्टी वेलनेस केवल एक ट्रेंड नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है, जो हमें प्रकृति से जोड़ने का प्रयास करता है। मिट्टी के संपर्क में रहना, प्राकृतिक खानपान अपनाना, जंगलों में समय बिताना और रासायनिक उत्पादों से बचना – ये सभी आदतें हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएंगी। आज के दौर में, जब हर कोई तकनीक में उलझा हुआ है, डर्टी वेलनेस हमें एक सरल और स्वस्थ जीवन की ओर लौटने का मार्ग दिखाता है। यह केवल एक स्वास्थ्य उपाय नहीं बल्कि एक संपूर्ण जीवन दर्शन है जो हमें वास्तविक सुख और संतोष की अनुभूति कराता है।

संजय शेफर्ड एक लेखक और घुमक्कड़ हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ। पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और मुंबई में हुई। 2016 से परस्पर घूम और लिख रहे हैं। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन एवं टोयटा, महेन्द्रा एडवेंचर और पर्यटन मंत्रालय...