महाशिवरात्रि को लेकर हिंदू शास्त्रों और ग्रंथों में निहित ये पौराणिक कथाएं: Mahashivratri 2024
Mahashivratri 2024

Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि, माना जाता है कि इसी दिन से सृष्टि का प्रारम्भ हुआ था। इस पर्व को माघ फागुन फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि, जिसे शिवरात्रि या शिव की महान रात के रूप में भी जाना जाता है। यह भारतीयों का एक अहम त्यौहार है। महाशिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू पर्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था।

यह पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक, भगवान शिव के सम्मान में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यदि इस पर्व को ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से देखे तो यह फरवरी या मार्च से मेल खाता है। महाशिवरात्रि के दिन भारत के घरों-घरों में भगवान शिव व पत्नी पार्वती की पूजा होती हैं। इस दिन पूजा के साथ व्रत रखने की भी मान्यता है। एक साल में कुल 12 शिवरात्रि होती है मगर 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को सिर्फ भारत ही नहीं पूरे विश्व में उमंग और उत्साह से बनाया जाता है।

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पौराणिक कथाएं

महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा विभिन्न हिंदू शास्त्रों और ग्रंथों में निहित है।

समुद्र मंथन

Mahashivratri 2024
Samudra Manthan

महाशिवरात्रि से जुड़ा एक लोकप्रिय मिथक समुद्र मंथन है। हिन्दू पौराणिक कथा ग्रंथों के अनुसार, देव और असुर दोनों अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे। हालाँकि इस समुद्र मंथन से अमृत के साथ, हलाहल नामक जहर भी समुद्र से निकला था।

हलाहल नामक जहर में इतनी शक्ति थी कि वह सारे ब्रह्माण्ड को नष्ट कर सकता था। इस विष की विनाशकारी शक्ति से डरकर देवता और असुर सहायता के लिए भगवान शिव की शरण में पहुंचे। क्यूंकि भगवान शिव ही इसे नष्ट कर सकते थे। शिव ने सभी प्राणियों के प्रति अपनी करुणा में, जहर पी लिया। मगर, शिव ने उसे निगलने के बजाय अपने कण्ठ में रख लिया था। जिसकी वजह से उन्हें “नीलकंठ” (नीले गले वाला) नाम मिला।

विष की विनाशकारी शक्ति से भगवान शिव को अत्यधिक पीड़ा हुई। इसके असर को कम करने के लिए और दुनिया की रक्षा के लिए शिव ने तांडव, ब्रह्मांडीय नृत्य किया था। शिव के साथ देवताओं ने भी अलग-अलग नृत्य और संगीत बजाये। इसी घटना का सम्मान करने और भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त पूरी रात जागते हैं, प्रार्थनाओं और अनुष्ठानों में लगे रहते हैं।

भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह

समुद्र मंथन के अलावा महाशिवरात्रि से जुड़ी एक और पौराणिक कथा शिव और पार्वती के विवाह की है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव का प्यार पाने के लिए घोर तपस्या की थी। देवी पार्वती की घोर तपस्या और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, शिव महाशिवरात्रि की चांदनी रात में उनसे विवाह करने के लिए सहमत हुए। उस दिन से शिव और पार्वती के भक्त इस मिलन को शिव और शक्ति के बीच दिव्य मिलन के प्रतीक के रूप में मनाते हैं।

अनुष्ठान और पूजा परम्परा

Rituals and worship traditions
Rituals and worship traditions

महाशिवरात्रि, भगवान शिव की उपासना और उनके सम्मान के लिए यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्तों द्वारा विभिन्न अनुष्ठानों और पूजा पद्धतियों के साथ महाशिवरात्रि मनाई जाती है। यहां महाशिवरात्रि से जुड़े कुछ विशिष्ट रीति-रिवाज और परंपराएं है-

शिव लिंग पूजा: महाशिवरात्रि पर भक्त विशेष रूप से शिव मंदिरों में जाते हैं और शिव लिंग की पूजा करते हैं। शिव लिंग को भगवान शिव की ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। भक्त विशेष अनुष्ठान यानी अभिषेकम, दूध, पानी, शहद और अन्य शुभ पदार्थों से शिव लिंग स्नान करते है।

उपवास या व्रत: महाशिवरात्रि पर भक्त अक्सर उपवास रखते हैं, कभी-कभी भोजन और पानी से भी परहेज करते हैं। माना जाता है कि यह व्रत शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है। इसके साथ ही भक्त इसे तपस्या और भक्ति के रूप में करते है।

रात्रि जागरण: कई भक्त महाशिवरात्रि के पर्व पर रात भर जागते हैं, प्रार्थनाओं में लगे रहते हैं, भजन कीर्तन करते हैं और भक्ति गीत गाते हैं। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार इस रात्रि जागरण को शुभ माना जाता है और भक्तों का मानना है कि इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और वह अपने भक्तों को आशीर्वाद देते है।

बिल्व पत्र और बेल का रस: भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाना अत्यधिक शुभ माना जाता है। भक्तों का मानना है कि इन पत्तों को चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। बेल का रस भी एक पवित्र प्रसाद माना जाता है। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर देश के हर शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाया जाता है।

शिव ग्रंथों का पाठ: महाशिवरात्रि पर भक्त भगवान शिव से संबंधित ग्रंथों और कहानियों, जैसे शिव पुराण या रुद्र संहिता को पढ़ते और सुनते है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव के ग्रंथों और कहानियों को पढ़ने और सुनने से शिव प्रसन्न होते है।

ध्यान और योग: महाशिवरात्रि पर भक्त आध्यात्मिक विकास प्राप्त करने और भगवान शिव के साथ गहरे स्तर पर जुड़ने के लिए ध्यान और योग अभ्यास में शामिल होते हैं। भगवान शिव के भक्त इस दिन सत्संग यानी आध्यात्मिक सभा में भाग लेते हैं और महाशिवरात्रि के महत्व और भगवान शिव की शिक्षाओं पर प्रवचन सुनते हैं।

महाशिवरात्रि का महत्व

हिंदू धर्म में महा शिवरात्रि का महत्वपूर्ण महत्व है और विभिन्न कारणों से इसे बहुत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

शुद्धिकरण: महा शिवरात्रि को आंतरिक चिंतन, शुद्धि का समय माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भक्त अमूमन आध्यात्मिक शक्ति और विकास की तलाश में, मन और शरीर को शुद्ध करने के लिए उपवास, ध्यान और प्रार्थना में शामिल होते हैं।

पापों से मुक्ति: हिन्दू शास्त्रों के अनुसार रीती-रिवाज़ों और प्रार्थनाओं के साथ महाशिवरात्रि का पालन करने से भक्तों को उनके पापों से मुक्ति मिलती है और उनकी आत्मा शुद्ध होती है। इसे आध्यात्मिक मुक्ति और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति के अवसर के रूप में देखा जाता है।

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व: महाशिवरात्रि न केवल एक धार्मिक त्योहार है बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी रखता है। यह सभी वर्ग को उत्सव में एक साथ लाता है। हिंदुओं के बीच एकता की भावना और साझा सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा भी देता है।

महाशिवरात्रि एक ऐसा त्योहार है जो आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक यानी हर तरह से मनुष्य के जीवन अहम योगदान रखता है, जो भक्तों को आत्म-चिंतन, भक्ति और परमात्मा के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...