Lord Shiva: हिन्दू धर्म में भगवान शिव का विशेष स्थान है। शिव पुराण में भगवान शिव के 108 संस्कृत नाम शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक नाम भगवान की एक अलग छवि का प्रतिनिधित्व करता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त विभिन्न उपाए करते हैं। भगवान शिव को बेल पत्र, धतूरा और दूध अति प्रिय। लेकिन कई लोग शिव पर ऐसी चीज़े भी अर्पित कर देते हैं जो वर्जित है जैसे:-केतकी के फूल, तुलसी और हल्दी। इन्हीं वर्जित चीजों में शामिल है लाल सिंदूर। भगवान शिव पर लाल सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता। ऐसा क्यों है चलिए जानते हैं।
क्यों नहीं चढ़ाया जाता लाल सिंदूर?

भगवान शिव की पूजा-प्रसाद अन्य देवी-देवताओं की पूजा से कुछ भिन्न होती है। जहां देवी-देवताओं को सिंदूर अतिप्रिय है वहीं भगवान भोलेनाथ पर लाल सिंदूर को अर्पित करना वर्जित है। भगवान शिव पर सिंदूर को चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता है। इसके पीछे शिव पुराण में कारण बताया गया है। लाल सिंदूर शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपनी मांग में भरती हैं और भगवान को अर्पित करती हैं। लेकिन शिव पुराण में भगवान शिव को विनाशक बताया गया है और यही वजह है कि भगवान शिव पर सिंदूर को अर्पित करना सुबह नहीं माना जाता है।
लाल सिंदूर की जगह चढ़ाए चंदन
लाल सिंदूर भगवान शिव को अर्पित करना शुभ नहीं है, लेकिन इसकी जगह भगवान को चंदन का लेप अर्पित किया जा सकता है। भगवान शिव को चंदन अतिप्रिय है। भगवान शिव के मस्तक पर चंदन का त्रिपुंड लगाया जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव को चंदन अर्पित करने से समाज में मान-सम्मान और यश बढ़ता है।
इन चीजों को भी न करें अर्पित

सिंदूर ही नहीं भगवान भोलेनाथ पर कई अन्य चीज़ें भी चढ़ाना वर्जित होता है। जैसे शंख, केतकी के फूल और तुलसी। शंख से जुड़ी प्राणिक कथा के अनुसार, देवी-देवताओं को शंखचूड़ नाम का राक्षस परेशान करता था। सभी देवी-देवता अपनी समस्या के समाधान के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे। तब भगवान शिव ने त्रिशूल से राक्षस का वध किया। और उसकी राख से ही शंख का निर्माण हुआ। इसी कारण भगवान शिव की पूजा में शंख का उपयोग नहीं किया जाता। वहीं केतकी के फूल से भी जुड़ी हुई धार्मिक कथा है, जिसके अनुसार-ब्रह्मा के झूठ में साथ देने के कारण भगवान शिव ने केतकी के फूल को श्राप दिया था। इसी वजह से केतकी के फूल का शिव पूजा इस्तेमाल वर्जित है।
