अपने बच्चे को हर माता-पिता क्लास में टॉप करते देखना चाहते हैं। अगर टॉप न करे तो क्लास के बाकी बच्चों में अच्छा तो जरूर हो। मगर हर बच्चे में ये खासियत तो होती नहीं है। इसलिए हर बच्चे से पढ़ने में अच्छा होने की अपेक्षा करना गलत होता है। यहीं पर कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जिनके अंदर पढ़ने को लेकर जज्बा होता है। मगर उनकी परवरिश में कुछ ऐसी कमियां रह जाती हैं कि वो पढ़ाई से जुड़ी अपनी प्रतिभा पहचान ही नहीं पाते हैं। इसलिए पेरेंट्स को चाहिए कि वो बच्चे की परवरिश में कुछ बातों का ध्यान रखें कि बच्चा शुरू से ही पढ़ने की अहमियत समझे और पढ़ाई की ओर अपना रुझान भी समझ सके। 
मन भटके नहीं-
अक्सर बच्चों की पढ़ाई के समय घरों में टीवी चल रहा होता है, या लोग बातें कर रहे होते हैं। वजह ये बताई जाती है कि बच्चा तो अभी बहुत छोटा है, अभी कोई असर नहीं होगा। ऐसे ही पढ़ने दो। मगर ये बात गलत है। पूरी पढ़ाई के दौरान ना भी हो सके तो कम से कम कुछ मिनटों के लिए तो उसे बिलकुल शांति में पढ़ने दें। उससे कहें कि बस इन 20 मिनट में बिना किसी दूसरी बात पर ध्यान दिए पढ़ लो। मोबाइल, टीवी वाली इस दुनिया में ये थोड़ा कठिन लग सकता है लेकिन कोशिश तो कीजिए। 
होमवर्क सजा नहीं है-
बच्चे स्कूल और ट्यूशन के बाद जिस काम से सबसे दूर रहना चाहते हैं, वो है होमवर्क। उन्हें ये बोझ लगता है। जबकि ये पढ़ाई को और बेहतर तरीके से करने और समझने का एक जरिया भर है। बच्चों को समझाइए कि होमवर्क कितनी अहमियत रखता है और ये सजा बिलकुल भी नहीं है। इसके लिए आप बच्चे को ये समझाइए कि होमवर्क भी मजा दे सकता है। ये एक कठिन काम है लेकिन किया जाना चाहिए। जैसे आप बच्चे को बताइए कि फूड ग्रुप को घर के किचन में आसानी से समझा जा सकता है, चलो एक बार मेरे साथ कुकिंग करो समझ आ जाएगा। 
बच्चा खुद करे सबकुछ-
बच्चे को स्कूल से मिले ज़्यादातर कामों में माएं पूरी मदद करती हैं। जबकि ये पूरी तरह से सही नहीं है, कुछ कामों में तो किसी बड़े की जरूरत होती ही है। लेकिन इन कामों को भी बच्चों से कराने की कोशिश करें। ऐसा न करने पर वो आप पर निर्भर हो जाएगा। कैसे? उदाहरण हमसे सुन लीजिए। कई बार बच्चों को स्कूल से प्रोजेक्ट मिलता है, लेकिन उसे मां पूरी मेहनत करके पूरा कर देती है। लेकिन यहीं पर आपको बच्चे को शामिल करना होगा। बच्चे को प्रोजेक्ट के कुछ हिस्से बनाने के लिए दीजिए। वो इन्हें बनाते हुए अपने काम पर आत्मविश्वास बना पाएगा, फिर काम कोई भी हो। 
जब ये करोगे तब-
बच्चे को पढ़ाई की अहमियत ऐसे भी समझाई जा सकती है कि उन्हें बताएं कि पढ़ाई से जरूरी और कुछ नहीं। उनसे कहें कि ये याद कर लो फिर खेलना या ये कम पूरा करो तब टीवी देखना। वो समझेंगे कि पढ़ना हर दूसरे काम से जरूरी है। 
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