पूजा पाठ में रुचि रखने वाले हर शख्स को संक्रांति के बारे में पता होता ही है। ये के ऐसा पर्व है जो साल में 12 बार आता है। मतलब पूरे साल में हर महीने के हिसाब से 12 संक्रांति पड़ती हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर इन 12 में से सबसे अहम संक्रांति कौन सी है? तो जवाब है मिथुन संक्रांति। मिथुन संक्रांति वो पर्व है, जिसमें सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करता है। फिर इस एक राशि के साथ सूर्य पूरे एक महीना विराजमान रहते हैं। इस प्रवेश का बाकी नक्षत्रों पर भी असर पड़ता है।

अलग नक्षत्र, अलग महीना-
मान जाता है कि सूर्य हर महीने अलग नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। इसी तरह इस महीने ये मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। इसीलिए इस महीने की 15 तारीख को मिथुन संक्रांति मनाई जाएगी। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को सूर्य संक्रांति भी कहते हैं।
दो नाम-
मिथुन संक्रांति अक्सर बारिश के मौसम के आसपास ही मनाई जाती है। ज्यादातर बार इसके बाद ही बारिश शुरू होती है। कई लोग इसे रज संक्रांति भी कहते हैं।

सूर्य की पूजा-
इस संक्रांति पर सूर्य देवता की पूजा की जाती है। इस दिन दान-दक्षिणा भी की जाती है।
सिलबट्टे के साथ पूजा पाठ-
मिथुन संक्रांति पर सूर्य भगवान को पूजा जाता है। लेकिन इस दौरान सिलबट्टे की पूजा भी की जाती है। सिलबट्टे को भूदेवी का प्रतीक माना जाता है। इसके लिए सबसे पहले सिलबट्टे को दूध और पानी से नहलाया जाता है। फिर चंदन, फूल, हल्दी और सिंदूर चढ़ाया जाता है।

मान्यता है ये-
मिथुन संक्रांति पर भू देवी की पूजा किए जाने के पीछे एक मान्यता है। माना जाता है कि जिस तरह से महिलाओं को मासिक धर्म होता है, ठीक उसी तरह भू देवी भी मासिक धर्म के दौर से गुजरती हैं। जैसे महिलाओं के लिए इन तीन दिनों को विकास का समय माना जाता है, वैसे ही धरती के लिए भी ये तीन दिन विकास के माने जाते हैं। पूरे तीन दिन बाद चौथे दिन सिलबट्टे को नहला कर माना जाता है कि धरती के लिए वो तीन दिन पूरे हुए।
कृषि कार्य नहीं-
जिस तरह से महिलाओं को मासिक धर्म में काम करने से मना किया जाता है ठीक वैसे ही धरती मां को भी काम नहीं करने दिया जा सकता इसलिए पूजा के सभी दिन कृषि कार्य नहीं किए जाते हैं।
चार दिन-
क्योंकि भू देवी के मासिक धर्म की बात की गई है तो ये पूजा भी 4 दिन चलती है। चौथे दिन सिलबट्टे के स्नान के साथ ही पूजा पूरी होती है।
भगवान विष्णु की पत्नी-
भू देवी भगवान विष्णु की पत्नी हैं। इसलिए उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर में चांदी से बनी भू देवी की मूर्ति है।
पूर्वजों की याद-
इस दिन पूर्वजों को याद किया जाता है। उनको श्रद्धांजलि देकर नारियल, गुड़,घी, और चावल के आटे आदि से बनी मिठाई चढ़ाई जाती है। इस मिठाई को पोड़ा-पीठा कहा जाता
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