Step Relationships
Step Relationships

Step Relationships: रिश्ते वो अनमोल मोती हैं, जिनकी सजावट और बनावट पर अगर पूर्ण रूप से ध्यान न दिया जाए, तो वे धीरे धीरे अपनी चमक खोने लगते हैं। हर रिश्ते को वक्त की दरकार है और जहां रिश्तों में एक दूसरे के लिए समय की कमी है, वहीं मानो रिश्तों में भी ठनी है। फिर चाहे वो पति पत्नी का रिश्ता हो यां पिता पुत्र का। इसके अलावा अगर सौतेले रिश्तों की बात करें, तो वहां वक्त की कमी रिश्तों को खराब नहीं करती, मगर मन में अपनेपन की कमी, सौतेले रिश्तों को स्वीकार करने में हिचकिचाहट महसूस करती है। क्या हर सौतेला रिश्ता निरर्थक होता है, क्या सौतेले रिश्तों का कोई मोल नही। अगर आप भी ऐसी ही सोच रखते हैं, तो ये पूरी तरह से गलत है। आइए जानते एक कहानी के ज़रिए

राधा जल्दी चलो बाज़ार में भीड़ हो जाएगी, त्योहारों का वक्त है।

मां, बस दो मिनट दे दो, अभी आती हूं।

छाता उठा लेना, कभी कभी बादल महाराज गरज़ने के साथ साथ बरसने भी लगते हैं।

राधा ने चिल्लाकर कहा, ले लिया न मां, जल्दी चलो पापा के आने से पहले घर भी तो आना है।

राधा ने रिक्शा रोका और दोनों बाज़ार की ओर चल पड़ी।

त्योहारों के वक्त में खरीददारी कते हुए न वक्त का पता चला और न ही सामान का।

उपर से बारिश भी दनादन बरसने लगी और यहां मां का घुटनों का दर्द दोबारा से शुरू हो चुका था।

जैसे तैसे करके मां को पटरी पर बैठाया और छाता खोलकर उनका सर ढ़क दिया। बारिश इस कदर तेज़ी से बरस रही थी कि इन हालातों में कोई रिक्शेवाला क्या, आटो यां कैब भी नहीं मिल पाई।

इतने में एक गाड़ी पास से होकर गुज़री और उनकी नज़र हम पर गई।

गाड़ी रूकी और खिड़की से एक नौजवान ने झांककर मां से पूछा कि आपको कहां तक जाना है। आइए मैं छोड़ दूं।

मां ने मना कर दिया। अब मां के घुटने के दर्द और उनके बार बार आग्रह के बाद हम लोग गाड़ी में बैठ गए।

गाड़ी में बैठते ही राधा एकदम हैरान हो गई। उसकी नज़र वहां सीट बेल्ट लगाए, एक छोटे बच्चे पर गई।

राधा ने बच्चे को देखते ही पूछा, ये आपका बच्चा है, तो अजय ने बोला, जी हां ये मेरी प्यारी सी परी है। इतने में राधा ने बच्ची को गोद में ले लिया।

तभी मां ने पूछा, बेटा आप कौन हैं,

तो आवाज़ आई कि माजी, मेरा नाम अजय है और मीरा रोड पर मेरा अपना क्लीनिक है। क्लीनिक बंद करके घर लौट रहा था, तो मेरी नज़र आप पर गई, वैसे माजी ये घुटनों का दर्द आपको कब से है।

बेटा बहुत वक्त गुज़र गया, इतना सुनते ही अजय ने राधा को अपना कार्ड दिया और कहा कि आप कल मेरे कलीनिक पर माजी को ले आना, मैं एक बार इनका चैकअप कर लूंगा।

अब राधा, तो बच्चे में मग्न थी, शायद उसने मां और अजय के बीच हुई कोई बात सुनी भी नहीं थी।

राधा का बच्ची की तरफ झुकाव देखकर अजय मुस्कुराने लगा। अब इतने में माजी ने कहा कि बेटा इसी चौराहे को पार करके गली के कोने पर छोड़ देना। अजय ने कहा कि माजी मैं आपको घर के सामने उतार दूंगा, ये सुनते ही राधा ने उन्हें अपना घर बता दिया और उन्हें उतारकर अजय घर की ओर लौट गया।

अब घर में घुसते ही पिताजी ने मां को सहारा दिया और पलंग पर बैठा दिया, अब मैं देर रात तक मां के घुटनों की मालिश करती रही। तभी मां ने कहा कि राधा तुमने वो तस्वीर देखी थी, जो कल शर्मा जी ने भेजी थी।

राधा ने छूटते ही बोला कि एक तरफ आपका घुटना दर्द हो रहा है और आपको तस्वीर की चिंता हो रही है। मुझे नहीं करनी कोई शादी।

राधा की उम्र छत्तीस वर्ष हो चुकी थी, मगर उसका मन किसी तस्वीर को देखकर हां नहीं करता था। न जाने उसे किसकी तलाश थी।

तभी मां ने कहा कि राधा अब जाकर सो जाओ, सुबह अजय के क्लीनिक पर चलना है। ये सुनकर राधा थोड़ी सी हैरान हो गई।

अगली सुबह क्लीनिक पर राधा मां को लेकर पहुंच गई। अजय वहां पहले से ही मौजूद था। उसने माजी को देखा तो उन्हें चैकअप के लिए बुला लिया। अब माजी को अजय का स्वभाव बेहद पसंद आया और वहां राधा भी बच्ची से काफी घुल मिल गई थी।

मां के प्रेम से वंचित बच्ची को राधा बेहद स्नेह देती और अजय इस प्यार को महसूस कर पा रहा था। वहीं मां ने घर लौटते ही पिताजी से सारी बातचीत की और विचार करके माजी के साथ अजय के घर पहुंचे और राधा संग अजय का विवाह तय कर दिया।

अब राधा माता पिता के इस फैसले से पहले पहल थोड़ा परेशान थी, मगर बच्ची को गोद में लेते ही सारे किंतु परंतु भूल गई। अब राधा और अजय शादी के बंधन में बंध चुके थे। अब सबकी जुबां पर एक ही बात थी, कि क्या राधा नन्ही परी की सौतेली मां बनकर रह जाएगी यां उसे प्यार देगी। घर से बाहर निकलते ही लोगों की नज़रे राधा से न जाने कितने ही सवाल पूछती थी। मगर राधा ने परी की बेहतरीन परवरिश कर लोगों को इस बात का जवाब दे दिया। शादी के कुछ सालां के बाद राधा और अजय के घर एक नन्हे चिराग ने जन्म लिया। मगर उसके जन्म के बाद भी राधा का प्रेम परी की तरफ कभी भी कम नहीं हुआ बल्कि और बढ़ता गया। अब परी पच्चीस बरस की हो चुकी थी। अपनी मेडिकल की पढ़ाई के बाद परी डाक्टरी की प्रक्टिस कर रही थी। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक न जाने राधा उससे कितनी दफा हाल चाल जानती थी। हांलाकि परी इस कठोर सत्य को जान चुकी थी कि राधा उसकी सौतेली मां है, मगर उनके रिश्ते में कोई सौतेलेपन की परछाई नज़र नहीं आ पाई, क्यों की हर सौतेला रिश्ता बेकार जो नहीं होता है।

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