Overview:भाद्रपद पूर्णिमा 2025 - स्नान,दान मुहूर्त और शुभ दान से बढ़ाए धन-लाभ और समृद्धि
भाद्रपद पूर्णिमा 2025 का पर्व 7 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व है। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और विजय मुहूर्त में दान करना शुभ माना जाता है। अन्न, वस्त्र, चांदी, सफेद वस्तुएं और काले तिल का दान करने से पितृ दोष दूर होता है, धन लाभ मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है
Bhadrapada Purnima 2025: भाद्रपद पूर्णिमा का दिन सनातन धर्म में बहुत पवित्र और पुण्यकारी माना जाता है। इस वर्ष यह पूर्णिमा 7 सितंबर 2025 को मनाई जा रही है, जो कि एक खास दिन है क्योंकि इसे स्नान, दान और पितरों के तर्पण के लिए बेहद शुभ माना जाता है । पंचांग के अनुसार, तिथि की शुरुआत इस दिन रात्रि 01:41 बजे और समापन रात्रि 11:38 बजे पर होता है।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त (04:31–05:16 बजे) स्नान के लिए उत्तम समय है, वहीं विजय मुहूर्त (02:44–03:15 बजे दोपहर) दान कार्य के लिए बेहद फलदायी माना जाता है । मान्यता है कि इन शुभ मुहूर्तों में स्नान और दान करने से पापों का नाश हो, मन को शांति मिले और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे।
दान की बात करें तो इस पूर्णिमा पर अन्न-वस्त्र, चांदी, सफेद वस्तुएँ (दूध, दही, चावल, चीनी, मिठाई) और काले तिल का दान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है । ऐसा धार्मिक विश्वास है कि इस दिन ऐसा दान करने से धन-लाभ बढ़ता है, पितृ दोष दूर होता है और लक्ष्मी-विष्णु की कृपा बनी रहती है।
पूर्णिमा तिथि और उसका महत्व

भाद्रपद माह की पूर्णिमा, यानी यह दिन विशेष आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन व्रत, पितरों का तर्पण, स्नान और पूजा-अर्चना करना शुभ फलदायी माना जाता है । यह दिन श्राद्ध पक्ष की शुरुआत भी करता है, जो पितृ-तर्पण और विधिपूर्वक पूजा का आरंभिक आधार है पूर्णिमा के दौरान किए गए धार्मिक कार्यों से परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहती है और पारिवारिक सुख-समृद्धि का द्वार खुलता है।
शुभ स्नान मुहूर्त
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 04:31 से 05:16 तक) स्नान करने के लिए सबसे उत्तम समय माना गया है । इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करना पापों की सफाई और मन की शांति के लिए अत्यंत लाभदायक माना जाता है। यह समय शुद्ध और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जिससे साधक को मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता प्राप्त होती है।
शुभ दान मुहूर्त
दान के लिए दोपहर का विजय मुहूर्त (02:44 से 03:15 बजे) श्रेष्ठ समय है I इस मुहूर्त में यदि कोई दान करें—चाहे अन्न, वस्त्र या अन्य सामग्री—तो उसके पुण्य-फल की मान्यता बहुत बढ़ जाती है। दोपहर का यह समय, दिन का उत्कर्ष काल होता है, जिसमें दान का असर अधिक ऊँचा माना जाता है। इससे घर में तरक्की और समृद्धि आती है।
दाने में क्या-क्या शामिल करें
इस पावन दिन दान में अन्न-वस्त्र, चांदी, सफेद वस्तुएँ (दूध, दही, चीनी, चावल, मिठाई) और काले तिल देने की परंपरा है । अन्न से अन्न की कमी दूर होती है, चांदी से चंद्र ग्रह को बल मिलता है और लक्ष्मी-विष्णु प्रसन्न होते हैं। सफेद वस्तुएँ शांति और समृद्धि लाती हैं, जबकि काले तिल पितृ दोष दूर कर पितरों का आशीर्वाद बनाए रखते हैं। यह सभी चीजें आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण हैं।
आध्यात्मिक लाभ और समग्र महत्व
भाद्रपद पूर्णिमा का दिन मोक्ष, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन किए गए व्रत, स्नान और दान से मनुष्य के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है, परिवार को लक्ष्मी-विष्णु की कृपा मिलती है और पितृ दोष दूर होता है । यह दिन एक नई शुरुआत का संदेश देता है, जहां पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करते हुए, साधक अपने जीवन को पुण्य और प्रकाश-मयी दिशा में अग्रसर कर सकता है।
