Adhik Maas 2023

Adhik Maas 2023: हिंदू धर्म के महीनों के नाम से हम सभी परिचित हैं। अंग्रेजी वर्ष की तरह ही हिंदू पंचांग में भी 12 महीने होते हैं। हिंदू पंचांग के एक साल के 12 महीनों के अतिरिक्त हर तीन साल में एक महीना अधिक भी होता है, जिसे अधिकमास के नाम से जानते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में अधिकमास के कई नाम बताए गए हैं, जैसे मलमास, खरमास और पुरुषोत्तम मास। शास्त्रों में अधिकमास में सभी तरह के शुभ कार्यों को करने की मनाही है। इस बार साल 2023 में सावन के महीने में अधिकमास का समायोजन हो रहा है।

यानी इस बार सावन दो महीने का रहेगा। इसमें से 18 जुलाई से 16 अगस्त तक का सावन महीना अधिकमास होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्यों से व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति मिलती है। आज इस लेख में हम जानेंगे कि अधिकमास क्यों लगता है, अधिकमास का महत्व क्या है और अधिक मास में कौनसे शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

हर तीन साल में लगता है एक अधिकमास

Adhik Maas 2023
There seems to be an excess month every three years

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि वशिष्ठ सिद्धांत के अनुसार, हिंदू वर्ष के 12 महीने की तिथियों का निर्धारण सूर्य और चंद्रमा के आधार पर होता है। साल के प्रत्येक महीने में सूर्य अपनी राशि बदलते हैं, जिसके कारण चंद्रवर्ष की तिथियों में अंतर आ जाता है। सूर्य वर्ष और चंद्रवर्ष के बीच के अंतर को खत्म करने के लिए हर तीन साल में चंद्रवर्ष में एक महीना अधिक माना जाता है ताकि बाकी के 12 महीनों में तिथियों का निर्धारण सही से हो सके। हिंदुओं की पुरानी गणना विधि के अनुसार, हर सूर्य वर्ष में 365 दिन और 6 घंटे होते हैं, जबकि चंद्र वर्ष में 354 दिन होते हैं।

इस गणना के अनुसार, हर साल सूर्य और चंद्र वर्ष के बीच में 11 दिन का अंतर आ जाता है। हर तीन साल में यह अंतर 33 दिनों का हो जाता है। समय चक्र की गणना को सही बनाने के लिए हर तीन साल में इन 33 दिनों को एक चंद्र मास के रूप में जोड़ा जाता हैं, जिसे हम अधिकमास के नाम से जानते हैं। यह मास अधिक होने के कारण मलिन होता है, जिसके कारण हम अधिक मास को मलमास भी कहते हैं।

अधिकमास का महत्व

Adhik Maas 2023
Importance of Adhik Maas

पौराणिक शास्त्रों और कथाओं के आधार पर यह माना जाता है कि अधिकमास के प्रतिनिधि भगवान विष्णु हैं इसलिए अधिकमास में विष्णु मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए। अधिकमास में किए जाने वाले धार्मिक कार्यों, दान पुण्य का फल अधिक होता है। जो व्यक्ति अधिकमास में दूसरे बेसहारा लोगों की नि: स्वार्थ सेवा करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। अधिकमास में व्यक्ति को ईश्वर का ध्यान लगाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, संसार के प्रत्येक जीव की रचना पंचतत्वों से मिलकर हुई है।

इन पंचतत्वों की कम ज्यादा मात्रा के कारण ही प्रत्येक जीव की संरचना और विशेषता अलग अलग होती है। इसलिए अधिकमास में किए गए योग, मनन, चिंतन से व्यक्ति के पंचतत्वों में संतुलन बना रहता है और व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग की और बढ़ाने लगता है। अपने जीवन को सार्थक बनाने और भगवान की कृपादृष्टि पाने के लिए व्यक्ति को अधिकमास में भजन – कीर्तन आदि करते रहना चाहिए।

अधिकमास में ऐसे शुभ कार्य हैं वर्जित

Adhik Maas 2023
Subh Karya

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, अधिकमास में कुछ शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए। अधिकमास में विवाह, नामकरण, ग्रह प्रवेश करना या किसी नए घर या वाहन की खरीद करना उचित नहीं माना गया है। अधिकमास में शुभ कार्य करने से जीवन में तरह तरह की परेशानियां आती हैं।

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