मनुष्य के भाग्य परिवर्तन में विशेष भूमिका निभाने वाला बुध ग्रह 25 दिन तक एक राशि में निवास करता है। ग्रहों में इसे युवराज कहा गया है। इसमें पृथ्वी तथा वायु दोनों तत्त्व मौजूद हैं।मनुष्य शरीर में कंधे से लेकर गर्दन तक इसका अधिकार रहता है। इसके द्वारा भाई, सुहृद, मामा, चाचा, भतीजा, विद्या, बुद्धि, चातुर्य आदि के संबंध में विचार किया जाता है।
भारतीय वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को मुख्य रूप से वाणी और बुद्धि का कारक माना जाता है। इसलिए बुध के प्रबल प्रभाव वाले जातक आमतौर पर बहुत बुद्धिमान होते हैं तथा उनका अपनी वाणी पर बहुत अच्छा नियंत्रण होता है, जिसके चलते वे अपनी बुद्धि तथा वाणी कौशल के बल पर मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना लेने में सक्षम होते हैं। अपनी इन्हीं विशेषताओं के चलते बुध आमतौर पर उन्हीं क्षेत्रों तथा उनसे जुड़े लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें सफलता प्राह्रश्वत करने के लिए चतुर वाणी, तेज गणना तथा बुद्धि कौशल की आवश्यकता दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक होती है जैसे कि वकील, पत्रकार, वित्तीय सलाहकार तथा अन्य प्रकार के सलाहकार, अनुसंधान तथा विश्लेषणात्मक क्षेत्रों से जुड़े व्यक्ति, मार्केटिंग क्षेत्र से जुड़े लोग, व्यापार जगत से जुड़े लोग, मध्यस्थता करके मुनाफा कमाने वाले लोग, राजनीतिज्ञ, राजनयिक, अध्यापक, लेखक, ज्योतिषि तथा ऐसे ही अन्य व्यवसाय तथा उनसे जुड़े लोग। इस प्रकार यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि आज के इस व्यावसायिक जगत में बुध ग्रह के प्रभाव वाले जातक ही सबसे अधिक सफल पाये जाते हैं। सूर्य, शुक्र, राहू तथा केतु इसके नैसर्गिक मित्र हैं जबकि चंद्रमा पिता होते हुए भी इसके लिए शत्रु समान ही है। मंगल, गुरु तथा शनि से यह समभाव रखता है यानी उदासीन रहता है।