माघी पूर्णिमा के दिन प्रयाग सहित देश भर की अन्‍य पवित्र नदियों में स्‍नान करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मान्यता है कि माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं अत: इस पावन समय गंगाजल का स्पर्शमात्र भी स्वर्ग की प्राप्ति देता है। पुराणों में माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान से भी उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक प्रसन्न माघ स्नान करने से होते हैं।
 
माघ माह की पूर्णिमा को ‘बत्तीस पूर्णिमा’ भी कहते हैं। पुत्र और सौभाग्य को प्राप्त करने के लिए मध्याह्न में शिवोपासना की जाती है।
 
 
कथा
 
कांतिका नगरी में धनेश्वर नामक एक ब्राह्मण रहता था। वह नि:संतान था। बहुत उपाय किया, लेकिन उसकी पत्नी रूपमती से कोई संतान नहीं हुई। ब्राह्मण दान आदि मांगने भी जाता था। एक व्यक्ति ने ब्राह्मण दंपत्ति को दान देने से इसलिए मना कर दिया कि वह नि:संतान दंपत्ति को दान नहीं करता है। लेकिन उसने उस नि:संतान दंपत्ति को एक सलाह दी कि चंद्रिका देवी की वे आराधना करें। इसके पश्चात ब्राह्मण दंपत्ति ने मां काली की घनघोर आराधना की। 16 दिन उपवास करने के पश्चात मां काली प्रकट हुईं। मां बोलीं कि “तुमको संतान की प्राप्ति अवश्य होगी। अपनी शक्ति के अनुसार आटे से बना दीप जलाओं और उसमें एक-एक दीप की वृद्धि करते रहना। यह कर्क पूर्णिमा के दिन तक 22 दीपों को जलाने की हो जानी चाहिए।” देवी के कथनानुसार ब्राह्मण ने आम के वृक्ष से एक आम तोड़ कर पूजन हेतु अपनी पत्नी को दे दिया। पत्नी इसके बाद गर्भवती हो गयी। देवी के आशीर्वाद से देवदास नाम का पुत्र पैदा हुआ। देवदास पढ़ने के लिए काशी गया, उसका मामा भी साथ गया। रास्ते में घटना हुई। प्रपंचवश उसे विवाह करना पड़ा। देवदास ने जबकि साफ-साफ बता दिया था कि वह अल्पायु है, लेकिन विधि के चक्र के चलते उसे मजबूरन विवाह करना पड़ा। उधर, काशी में एक रात उसे दबोचने के लिए काल आया, लेकिन व्रत के प्रताप से देवदास जीवित हो गया।
 
 
घर में खुशहाली लाने के लिए करें ये उपाय
 
 
 
– इस दिन देवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए घी का एक दीपक जलाएं। इससे धन-धान की कमी कभी नहीं होती है।
– जिन लड़के-लड़कियों के विवाह में बाधाएं उत्पन्न हो रही हों उन्हें माघी पूर्णिमा पर भगवान शिव और पार्वती को सफेद कपड़ा चढ़ाना चाहिए।
– अगर पितृदोष है तो इस दिन पितरों के तर्पण के लिए दिन बहुत उत्तम बनाया जाता है। वस्त्र एंव भोजन साम्रगी दान करें इससे पितरों की तृप्ति होती है।
– इस दिन घर में सुख-शांति बनाए रखने के लिए भगवान सत्यनारायण की कथा-पूजा करें।