कौन थीं देवी शांता? रामायण में क्यों नहीं है शांता का जिक्र?: Devi Shanta
Devi Shanta

रामायण में आखिर क्यों भगवान राम की बहन शांता का जिक्र नहीं है?

क्या आपको पता है भगवान राम की एक बहन भी थीं, जिनका नाम शांता थाI शायद ही हममें से किसी को शांता के बारे में कुछ पता हो, क्योंकि हमने जो रामायण देखा व पढ़ा है उसमें शांता का जिक्र है ही नहींI

Devi Shanta: रामायण की कहानी कई युगों से लोग सुनते, पढ़ते व देखते आ रहे हैंI हममें से शायद ही किसी का बचपन ऐसा होगा जिसने टेलीविजन का सबसे मशहूर धारावाहिक रामायण नहीं देखा होगाI रामायण के माध्यम से ही हमने राजा दशरथ के चार पुत्रों राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुधन चारों भाईयों के प्रेम के बारे में विस्तार से जाना हैI लेकिन क्या आपको पता है भगवान राम की एक बहन भी थीं, जिनका नाम शांता थाI शायद ही हममें से किसी को शांता के बारे में कुछ पता हो, क्योंकि हमने जो रामायण देखा व पढ़ा है उसमें शांता का जिक्र है ही नहींI इसलिए आज हम आपको भगवान श्री राम की बहन शांता के बारे में बताएँगे कि आखिर कौन थीं शांता? उनका जन्म कैसे हुआ और क्या है उनकी कहानीI

कौन थीं प्रभु श्री राम की बहन शांता

Devi Shanta
Who is Devi Shanta

महाराज दशरथ की तीन रानियाँ थीं, कौशल्या, कैकयी और सुमित्राI दशरथ और कौशल्या अयोध्या के राजा-रानी थेI सभी जानते हैं कि राजा दशरथ के चार पुत्र थेI लेकिन यह बहुत कम लोगों को पता है कि इन चार पुत्रों के अलावा उनकी एक पुत्री भी थी, जिनका नाम शांता थाI शांता माता कौशल्या और दशरथ की पुत्री थींI शांता बहुत ही सुंदर एक होनहार कन्या थीं, वो हर क्षेत्र में निपुण थींI शांता को वेद, कला, शिल्प, युद्ध कला, विज्ञान, साहित्य एवं पाक कला सभी का अनूठा ज्ञान प्राप्त थाI अपने युद्ध कौशल से वह सदैव अपने पिता राजा दशरथ को गौरवान्वित कर देती थींI

रामायण में क्यों नहीं है देवी शांता का जिक्र?

 Shanta
Shanta in Ramayan

रामायण में शांता का जिक्र इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि वे बचपन में ही राजा दशरथ का महल छोड़कर अंगदेश चली गई थींI शांता के बारे में इतिहास में बहुत ही कम उल्लेख मिलता हैI उनके बारे में कई कहानियां प्रचलित हैंI

पहली कथा– पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दशरथ की पहली पत्नी महारानी कौशल्या की बहन रानी वर्षिणी और उनके पति अंगदेश के राजा रोमपद को कोई संतान नहीं थीI एक बार वर्षिणी ने कौशल्या और राजा दशरथ से कहा कि काश उनके पास भी शांता जैसी एक सुशील और गुणवती पुत्री होतीI राजा दशरथ से उनकी पीड़ा देखी नहीं गई और उन्होंने अपनी पुत्री शांता को उन्हें गोद देने का वचन दे दियाI रघुकुल की रित प्राण जाई पर वचन न जाई के अनुसार राजा दशरथ एवं माता कौशल्या को अपनी पुत्री को अंगदेश के राजा रोमपद एवं रानी वर्षिणी को गोद देना पड़ाI शांता को पुत्री के रूप में पाकर रोमपद और वर्षिणी बहुत प्रसन्न हो गए और उन्होंने राजा दशरथ का आभार व्यक्त कियाI इस प्रकार शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गईंI

दूसरी कथा – बात उस समय की है जब राजा दशरथ और कौशल्या का विवाह भी नहीं हुआ थाI ऐसा कहा जाता है कि रावण को पहले से ही पता चल चुका था कि अयोध्या के राजा दशरथ और कौशल्या की संतान ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगीI इसलिए रावण ने कौशल्या को पहले ही मारने की योजना बनाईI उसने कौशल्या को एक संदूक में बंद किया और नदी में बहा दियाI वही से राजा दशरथ शिकार के लिए जा रहे थेI उन्होंने कौशल्या को बचाया और उस समय नारद जी ने उनका गन्धर्व विवाह कराया थाI उनके विवाह के बाद उनके यहां एक कन्या ने जन्म लिया, जिसका नाम शांता थाI वो जन्म से दिव्यांगना थी राजा दशरथ ने उसका कई बार ईलाज कराया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआI तब कई ऋषि मुनियों से सलाह की गई, तो उन्हें पता चला कि रानी कौशल्या और राजा दशरथ का गोत्र एक ही है इसीलिए उन्हें इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैI उन्हें यह भी सलाह दी गई कि अगर इस कन्या के माता पिता को बदल दिया जाए, तो यह कन्या ठीक हो जाएगीI यही कारण था कि राजा दशरथ ने शांता को रोमपद और वर्षिणी को गोद दे दिया थाI

तीसरी कथा- कई अन्य कथाओं के अनुसार राजा दशरथ ने शांता को इसलिए त्यागा क्योंकि वह पुत्री थी और कुल आगे नहीं बढ़ा सकती थी, ना ही राज्य को संभाल सकती थीI इसलिए राजा दशरथ ने शांता को रोमपद और वर्षिणी को गोद दे दिया थाI शांता को गोद दे देने के बाद दशरथ की कोई भी संतान नहीं थी, जिसके कारण वे परेशान रहने लगे थे और इसी कारण संतान के लिए राजा दशरथ ने पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करवाया, जिसके बाद उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति हुईI

किससे और कैसे हुआ था शांता का विवाह?

Devi Shanta Marriage
Devi Shanta Marriage

राजा रोमपद को अपनी पुत्री से बहुत लगाव थाI वे अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थेI एक बार एक ब्राह्मण उनके द्वार पर आयाI किन्तु वे शांता से बातचीत में इतने व्यस्त थे कि उन्होंने ब्राह्मण की तरफ़ ध्यान ही नहीं दिया और ब्राह्मण को खाली हाथ ही लौटना पड़ाI इसके कारण ब्राह्मण को काफी गुस्सा आया। वह ब्राह्मण इंद्र देव का भक्त था, इसलिए भक्त के अनादर से देवों के देव इंद्र देव क्रोधित हो उठें और उन्होंने वरुण देव को आदेश दिया कि अंगदेश में वर्षा न होI इंद्र देव की आज्ञा के अनुसार वरुण देव ने ठीक वैसा ही कियाI कई वर्षों तक वर्षा न होने के कारण अगंदेश में सूखा पड़ गया था और चारों तरफ़ हाहाकार मच गयाI राजा रोमपद को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें, उनसे अपनी प्रजा की तकलीफ देखी नहीं गई और इस समस्या का समाधान पाने के लिए राजा रोमपद ऋषि ऋंग के पास गएI ऋषि ऋंग ने उन्हें वर्षा के लिए एक यज्ञ का आयोजन करने को कहाI

ऋषि के निर्देशानुसार रोमपद ने पूरे विधि-विधान के साथ यज्ञ कियाI यज्ञ के संपन्न होते ही अंगदेश में वर्षा होने लगीI प्रजा इतनी खुश हुई कि अंगदेश में जश्‍न का माहौल बन गया, सभी ख़ुशी से झूम उठे थेI तभी वर्षिणी और रोमपद ने ऋषि ऋंग से प्रसन्न होकर अपनी पुत्री शांता का विवाह उनसे करने का फैसला कियाI पुराणों के अनुसार ऋषि ऋंग विभंडक ऋषि के पुत्र थेI एक दिन जब विभंडक ऋषि नदी में स्नान कर रहे थे, तब नदी में ही उनका वीर्यपात हो गयाI उस जल को एक हिरणी ने पी लिया था, जिसके फलस्वरूप ऋंग ऋषि का जन्म हुआ थाI

राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति में कैसे सहायक बनी बेटी शांता 

Ramayan
Raja Dashrath

जब कई सालों तक राजा दशरथ को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई तो वे परेशान रखने लगेI राजा दशरथ और उनकी तीनों रानियां इस बात को लेकर चिंतित रहती थीं कि पुत्र नहीं होने पर उत्तराधिकारी कौन होगाI उनकी चिंता दूर करने के लिए ऋषि वशिष्ठ ने सलाह दिया कि ऋंग ऋषि से पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाया जाएI इस यज्ञ से पुत्र की प्राप्ति होगीI दशरथ ने उनके मंत्री सुमंत की सलाह पर पुत्रकामेष्ठि यज्ञ में महान ऋषियों को बुलायाI इस यज्ञ में दशरथ ने ऋंग ऋषि को भी बुलायाI ऋंग ऋषि एक पुण्य आत्मा थे तथा जहां वे पांव रखते थे वहां यश फैल जाता थाI राजा दशरथ ने आयोजन करने का आदेश दियाI ऋषि ऋंग अपनी एक घोर तपस्या को पूरा करके उन्हीं दिनों अपने आश्रम लौटे थेI पहले तो ऋषी ऋंग ने इस यज्ञ के लिए मना कर दिया था लेकिन पत्नी शांता के कहने पर वो तैयार हो गएI कहते हैं कि पुत्रेष्ठि यज्ञ कराने वाले का जीवनभर का पुण्य इस यज्ञ की आहुति में नष्ट हो जाता हैI  लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी, ”मैं अकेला नहीं आ सकताI मैं यज्ञ कराने के लिए सहमत हूं, लेकिन मेरी पत्नी शांता भी मेरे साथ आएगीI वह भी ऋत्विक के रूप में कार्य करेगीI” राजा दशरथ के मंत्री सुमंत इस शर्त को मानने के लिए सहमत हो गएI ऋषी ऋंग और शांता अयोध्या पहूंचेI शांता ने जहां भी पैर रखा, वहां से सूखा गायब हो गयाI दशरथ और कौशल्या सोच में पड़ गए कि आखिर यह कौन है? तब शांता ने स्वयं अपनी पहचान प्रकट कीI  उन्होंने कहा, ”मैं आपकी पुत्री शांता हूं।” दशरथ और कौशल्या को यह जानकर बहुत खुशी हुई कि वह उनकी पुत्री शांता हैI ऐसा माना जाता है कि ऋंग ऋषि और शांता का वंश ही आगे चलकर सेंगर राजपूत बनाI सेंगर राजपूत को ऋंगवंशी राजपूत कहा जाता हैI

कैसे मिले भगवान श्री राम और शांता?

shree ram
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काफी लंबे समय तक भगवान श्री राम और उनके तीनों भाइयों को उनकी बहन शांता के बारे में कोई जानकारी नहीं थीI वे नहीं जानते थे कि उनकी एक बड़ी बहन भी हैI कई साल बीतने के बाद भी माता कौशल्या अपनी पुत्री शांता के वियोग को भूल नहीं पाई थीI उन्हें हमेशा शांता की याद आती रहती थी, जिसके कारण कई बार रानी कौशल्या और राजा दशरथ के बीच मतभेद हो जाता थाI अपनी माता के दुख को महसूस कर भगवान राम ने माता कौशल्या से प्रश्न किया कि ऐसी क्या चीज़ है जिसके बारे में वे हमेशा सोचती रहती हैं, किस बात के कारण वे हमेशा हमेशा उदास रहती है? तब माता कौशल्या ने भगवान राम को अपने मन की पीड़ा के बारे में बतायाI प्रभु राम को उनकी बड़ी बहन शांता के बारे में बताया और जिसके बाद भगवान राम अपने तीनों भाइयों के साथ अपनी बड़ी बहन शांता से मिलने गएI जब भगवान राम अपनी बहन शांता से मिलते, तब शांता अपने त्याग का फल उनसे मांगती हैI तब भगवान राम हमेशा उनके साथ रहने का वचन देते हैं और इस तरीके से जीवन भर वे एक दूसरे की परछाई बनकर रहते हैंI

भारत में यहां होती है देवी शांता की पूजा

देवी शांता की पूजा
Devi Shanta Pooja

हिमाचल के कुल्लू में ऋंग ऋषि के मंदिर में भगवान राम की बड़ी बहन शांता की पूजा अर्चना की जातीI यह मंदिर कुल्लू से 50 कि.मी दूर बना हुआ हैI यहां देवी शांता की प्रतिमा भी स्थापित हैI इस मंदिर में देवी शांता और उनके पति ऋंग ऋषि की साथ में पूजा होती हैI दोनों की पूजा के लिए कई जगहों से भक्त दर्शन के लिए आते हैंI शांता देवी के इस मंदिर में जो भी भक्त देवी शांता और ऋंग ऋषि की सच्चे मन से पूजा करता है उसे भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त होता हैI

 देवी शांता के मंदिर में दशहरा बड़ी धूम-धाम से मनाई जाती हैI इसके अलावा उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के हरैया तालुका में श्रृंगी नारी के मंदिर में आज भी देवी शांता की पूजा होती हैI यहां आज भी लोग प्रतिदिन श्रद्धा के साथ पूजा करने आते हैंI ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैंI

FAQ | क्या आप जानते हैं

शांता किसकी बेटी थीं?

शांता माता कौशल्या और राजा दशरथ की पुत्री थींI शांता बहुत ही सुंदर एक होंनहार कन्या थीं, वो हर क्षेत्र में निपूर्ण थींI शांता को वेद, कला, शिल्प, युद्ध कला, विज्ञान, साहित्य एवं पाक कला सभी का अनूठा ज्ञान प्राप्त थाI

शांता की शादी किससे हुई थी?

शांता की शादी ऋषि ऋंग से हुई थीI ऋषि ऋंग विभंडक ऋषि के पुत्र थेI वे ऋंग ऋषि ही थे, जिन्होंने राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया थाI जिससे राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ थाI ऐसा माना जाता है कि ऋंग ऋषि और शांता का वंश ही आगे चलकर सेंगर राजपूत बनाI सेंगर राजपूत को ऋंगवंशी राजपूत कहा जाता हैI

क्या प्रभु राम की कोई बहन थी?

हम सभी जानते हैं कि श्री राम के चार भाई थे, लेकिन ये बहुत कम लोगों को पता है कि उनकी एक बहन भी थींI श्री राम की इस बहन का नाम शांता थाI जिसे कौशल्या की बहन रानी वर्षिणी और उनके पति अंगदेश के राजा रोमपद ने गोद लिया थाI

भगवान राम के कितने पुत्र थे?

भगवान राम के दो जुड़वां बेटे थे, जिनका नाम लव और कुश थाI

क्या कभी भगवान राम अपनी बहन से मिले?

काफी लंबे समय तक भगवान श्री राम और उनके तीनों भाइयों को उनकी बहन शांता के बारे में कोई जानकारी नहीं थीI लेकिन अपनी माता के दुख को महसूस कर उन्होंने माता कौशल्या से पूछा कि आखिर किस बात के कारण वे हमेशा उदास रहती है? तब माता कौशल्या ने प्रभु राम को उनकी बड़ी बहन शांता के बारे में बताया और जिसके बाद भगवान राम अपने तीनों भाइयों के साथ अपनी बड़ी बहन शांता से मिलने गएI