भगवान श्रीकृष्ण के वैसे तो एक ही रूप है, हम सबके पालनहर्ता का। लेकिन कृष्ण के कुछ और रूपों की महिमा का गुणगान भी भक्त करते हैं। और वो इन्हें दिल से मानते भी हैं। इन भक्तों के बीच कृष्ण के कई रूपों की भी चर्चा होती और वो इनके होने को भी दिल से मानते हैं। पहले आपने कृष्ण भगवान के पराक्रम की ढेरों कहानियां भी सुनी होंगी लेकिन अब उनके 7 रूपों के बारे में भी जान लीजिए। ये वो रूप हैं, जो आपको जीवन जीने का राज समझा देंगे। जो आपको हर जीवन के किसी ना किसी मोड़ पर आपको आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करेंगे। कृष्ण के इन्हीं रूपों को पहचान लीजिए-
बचपन का रूप-
बाल कृष्ण को अक्सर बाल गोपाल कह दिया जाता है। कृष्ण का इस रूप से सभी परिचित हैं और इस रूप को उनके अवतरण से जुड़ी घटनाओं के लिए भी जाना जाता है। श्रीमद्भागवत में उनकी बाल लीलाओं के बारे में पढ़ा जा सकता है। लेकिन बिना पढे भी ज़्यादातर हिन्दू परिवारों में कृष्ण के बाल रूप को अच्छे से पहचाना जाता है और ढेरों खनियों पर भी बात होती है। छोटे से कृष्ण ने ही राक्षसों और राक्षसनियों वाढ कर दिया था। इसी वक्त उन्हें माखन चोर भी कहा गया था। 
गोपाल रूप-
कृष्ण जी को गोपाल भी कहा जाता है और ऐसा इसलिए है क्योंकि वो ग्वाले थे। वो अक्सर गाय चराने जाया करते थे। पुराणों में गोप-कृष्ण लीला का वर्णन भी है, जिसमें गोपी का मतलब ग्वालन से लगाया जाता है। 
रक्षक कृष्ण-
कृष्ण जी को वैसे भी पालनहर्ता माना गया है। रक्षक उनके इसी रूप का नाम भर है। दरअसल कृष्ण जी ने कई दफा दानवों से जनता की रक्षा की। इतना ही नहीं इंद्र के प्रकोप के चलते जब पूरा वृंदावन जलमग्न होने लगा तो भी वो कृष्ण ही थे, जिन्होंने सभी को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी चोटी उंगली पर उठा लिया था। 
कृष्ण जी का शिष्य रूप- 
कृष्ण जी ने भले ही ढेरों सीखें दी हों लेकिन उन्होंने खुद सीखने की प्रक्रिया भी बदस्तूर जारी रखी थी। माना जाता है की कृष्ण जी ने धर्म में 22वें तीर्थंकर नेमीनाथजी से भी ज्ञान प्राप्त किया था। कृष्ण के गुरु का नाम सांदीपनी था और वो गुरु दक्षिणा के तौर पर सांदीपनी के पुत्र को यमराज से भी ले आए थे। 
दोस्त कृष्ण-
कृष्ण की दोस्ती के किस्से भी आपने सुने ही होंगे। उन्होंने गरीब सुदामा से कितनी गहरी दोस्ती निभाई थी। लेकिन उनके कई और दोस्त भी थे जैसे मकरन्दर, सदानन्द, अर्जुन श्रीदामा, भद्र, सुभद्र, मणिभद्र,मधुमंगल, सुबाहु, सुबल, चन्द्रहास, बकुल, शारद, बुद्धिप्रकाश। पुराणों में कृष्ण की 8 सखियों के नाम भी बताए जाते हैं। द्रौपदी को भी श्री कृष्ण की सखी माना गया है। 
कृष्ण का प्रेम-
कृष्ण अपने प्रेम के लिए भी जाने जाते हैं। कृष्ण की रासलीलाएं तो कभी न कभी सुनी ही होंगी। इनको आधायत्मिक लेखों में अहम स्थान दिया गया है। उनकी प्रेमिकाओं में राधा और रुकमणि को तो सब जानते ही हैं। 
कृष्ण अवतार-
कृष्ण खुद विष्णु जी के अवतार थे। महाभारत में तो उन्होंने अपना विराट रूप ही सबको दिखा दिया था। कृष्ण को पूर्णावतार भी कहा जाता है।