ज्योतिष शास्त्र घर को मंदिर के समान संज्ञा दी गई है और पूर्वजों ने जो कि काहे की हो मन को शांति नहीं मिलती इसलिए घर की शुद्धि बहुत जरूरी है यदि ज्योतिष शास्त्र वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कुछ बदलाव किए जाए तो स्वास्थ्य भी ठीक रहता है मन भी शांत रहता है साथ ही  दिमाग में पूरी तरह से अपने आपको नियंत्रित करने में सक्षम होता है. घर से नकारात्मक ऊर्जा का निकलना जरूरी है वरना हर व्यक्ति के स्वभाव में नकारात्मकता कर करती चली जाएगी अतः वास्तु शास्त्र के अनुसार जरूरी टिप्स को जरूर ध्यान रखते हुए घर में जरूरी बदलाव कराएं।

दिशाओं के शुभ अशुभ परिणामों को ध्यान में रखकर निर्मित किया गया भवन,उसमें निवास करने वालों को सुख,संपदा,सफलता प्रदान करता है.यदि भवन के निर्माण में दिशाओं को महत्व न देते हुए अव्यवस्थित व दोषयुक्त निर्माण किया गया तो उस घर में रहने वाले लोग दुखी,रोगी,और सदा धन की कमी महसूस करते हैं. यदि आपके घर में भी ऐसा है तो इन सुझावों पर अमल कर सकते हैं-

1-घर से जुड़े वास्तु नियमों का ख़याल करते हुए घर का निर्माण करने से पहले भूमि पूजा अवश्य करवानी चाहिए.

2-किसी भी तिराहे या चौराहे पर,वीरान जगह पर,मसलन शहर या गाँव से बाहर,शोरशराबे और अवैध गतिविधियों वाली जगह पर घर नहीं बनाना चाहिए.

3-घर बनवाते समय पुरानी लकड़ी,ईंटों या शीशों आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए.इस तरह के कबाड़ कभी भी अपने घर के किसी कोने में न रखें

4-घर का मुख्य द्वार ईशान,उत्तर,वायव्य और पश्चिम दिशा में से किसी एक में रखना शुभ होता है

5-मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियाँ नहीं होनी चाहिएँ और यदि संभव हो तो सीढ़ियों के आरंभ और अंत में द्वार बनवाना चाहिए

6-सीढ़ियाँ दक्षिण ,पश्चिम ,या दक्षिण – पश्चिम दिशा में हो तो शुभ होती हैं.उत्तर-पूर्व या फिर कहें ईशान कोण में बनी सीढ़ियों का वास्तु दोष आर्थिक नुक़सान,बीमारी और तमाम तरह की अड़चने लाता है.

7-सीढ़ियों को हमेशा क़्लौक वाइज़ बनवाना चाहिए

8-घर के बीच का ब्रह्म स्थान हमेशा ख़ाली रखें

9-घर के भीतर नकारात्मक ऊर्जा न प्रवेश कर सके,इसके लिए घर के मुख्य द्वार पर रोली से दाईं ओर ‘शुभ ‘और बाईं ओर ‘लाभ’ लिखें.साथ ही दरवाज़े के ऊपर रोली से ही ‘ॐ’ की आक्रति बनाएँ.इसके साथ ही स्वस्तिक बनाने से भी शुभता बढ़ जाती है.

10-घर के द्वार पर अशोक की पत्तियों से बनी वंदनवार लगाएँ. ऐसा करने से घर की सुखसमृद्धि बनी रहती है और घर में सब मंगल ही मंगल रहता है.

11- घर के प्रत्येक कोने में देवी-देवताओं के चित्र या मूर्ति रखने के बजाय ईशान,उत्तर या पूर्व दिशा में देवी देवताओं के चित्र या मूर्तियाँ रखने के बजाय ईशान,उत्तर या पूर्व दिशा में पूजा स्थल बनाकर पूजा करें

12-घर की छत,बालकनी,या सीढ़ी के नीचे कभी भी कबाड़ भर कर न रखें.

13-घर में गाड़ी रखने के लिए दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा सबसे शुभ होती है.

14-वास्तु के हिसाब से ओवरहैंड टैंक हमेशा उत्तर-पश्चिम दिशा में होने चाहिए

15-माना जाता है,रसोईघर को जितनी सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी उतना ही हमारा स्वास्थ्य अच्छा होगा.वास्तु के अनुसार किचन हमेशा घर के आग्नेय कोण यानी हमेशा दक्षिण-पूर्वी दिशा में होना चाहिए.

16-यदि दक्षिणमुखी भवन या भूमि ख़रीदना अनिवार्य हो,तो पहले उस भू खंड को किसी और व्यक्ति के नाम पर ख़रीद लें.अगर पहले से उस पर कुछ निर्माण है तो उसे तोड़ दें.याद रहे भवन का दक्षिण भाग ऊँचा हो,इससे मकान मालिक ,ऐश्वर्य सम्पन्न होता है.

17-अगर दक्षिणमुखी घर में वास्तुदोष है तो द्वार के ठीक सामने आशिर्वाद मुद्रा में हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर लगाने से भी दक्षिण दिशा की ओर मुख्य द्वार का वास्तु दोष दूर होता है.

18-दक्षिण दिशा के घर का पानी उत्तरी दिशा से होकर ,बाहर की ओर प्रवाहित हो तो धन लाभ होता है.घर का मुख्य दरवाज़ा कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ़ नहीं होना चाहिए.

19-बच्चों के स्टडी रूम में हरे रंग के परदों का प्रयोग करना चाहिए.इसके अलावा अगर स्टडी रूम या घर में कहीं टूटे खिलौने हैं तो उन्हें तुरंत हटा दें.वास्तु के अनुसार ऐसी वस्तुएँ नेगेटिव वाइब्ज बढ़ाती हैं.इसका परिणाम यह होता है कि बच्चों की आँख,कान,नाक और गले सम्बंधी बीमारियाँ होने का ख़तरा बना रहता है.

20-कभी भी स्टडी टेबल पर गंदगी नहीं फैलने देनी चाहिए,अन्यथा इससे नकारात्मकता बढ़ती है,और बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता.

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