जैसे ‘निल बट्टे सन्नाटा’ में स्वरा भास्कर अपनी बेटी को मैथ्स सिखाने के लिए पहले खुद मैथ्स सीखती हैं, ठीक वैसे ही कमल ग्रोवर ने अपने बेटे को बेझिझक रोड पर साइकिल चलाते देखने के लिए पहले खुद साइकिल ली और फिर उसके साथ साइकलिंग शुरू की ताकि उसे कॉन्फिडेंस आए और इन्हें स्कूल के दिनों-सा मजा फिर से एंजॉय करने का मौका मिले। कमल ने घर को संभालने के अलावा शुरूआत तो अपने फैमिली बिज़नेस को संभालने से की, फिर वो सक्षम वेलफेयर असोसिएशन से जुड़ी और आजकल वो गरीब बच्चों को शिक्षा देने में व्यस्त हैं।
ये है सबसे बड़ी चुनौती
कमल कहती हैं, ‘लोग बहुत मटेरियलिस्टिक हो गए हैं। कई बार ये समझना मुश्किल होता है कि हम मदद कर रहे हैं या हमारा इस्तेमाल किया जा रहा है।’
ये है सकारात्मक सोच का रहस्य
कमल बताती हैं कि लोगों की गॉसिप से दूर रहने के लिए वो अपना ज्यादा समय या तो परिवार के बच्चों के साथ बिताती हैं या घर के बड़े-बुजुर्गों के साथ रहती हैं। उनका मानना है कि बच्चों का साथ आपमें भी नया जोश भर देता है, जबकि बड़े-बुजिर्गों के बीच बैठकर आप कुछ अच्छा ही सीखते हैं।
सफलता का मंत्र
- हमेशा खुश रहने की कोशिश करें।
- नकारात्मक बातों को हंसी में उड़ा दें।
- पैसों से खुशी को न तौलें।
- लोगों से मिले-जुले।
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