भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
रोते हुए आ रही थी मीनू। स्कूल की खेलकूद प्रतियोगिता में इस बार मीनू को कुछ भी पुरस्कार नहीं मिला। पापा ने प्रॉमिस किया था कहीं घुमाने ले जाएंगे। जब स्कूल की गर्मियों की छुट्टियां हुई तो एक मंदिर घुमाने ले गए पापा पूरे परिवार को।
भुवनेश्वर और उसके आस-पास बहुत सारे मंदिर है। पूरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह कोणार्क मंदिर भी बहुत ही विख्यात है। सूर्य मंदिर कहते हैं उसे। यह उड़ीसा की सर्वोत्तम कृति है। इसकी उत्कृष्ट शिल्प-कला, नक्काशी एवं पशुओं तथा मानव आकृतियों का सटीक प्रदर्शन, इसे अन्य मंदिरों से कहीं बेहतर सिद्ध करता है।
आश्चर्यचकित हो कर सब लोग देख रहे थे। मीनू को मंदिर के निर्माण के बारे में जानने की इच्छा हुई।
पापा कहने लगे-
“बारह सौ वास्तुकारों और कारीगरों की सेना ने बारह वर्षों की अथक मेहनत से इसका निर्माण किया। राजा ने एक निश्चित तिथि तक कार्य पूर्ण करने का कड़ा आदेश दिया। बिसु महाराणा के पर्यवेक्षण में, इन वास्तुकारों की टीम ने पहले ही अपना पूरा कौशल लगा रखा था। तब बिसु महाराणा का बारह वर्षीय पुत्र, “धर्मपद” आगे आया। उसने तब तक के निर्माण का गहन निरीक्षण किया, हालांकि उसे मंदिर निर्माण का व्यवहारिक ज्ञान नहीं था, परन्तु उसने मंदिर स्थापत्य के शास्त्रों का पूर्ण अध्ययन किया हुआ था। उसने मंदिर के अंतिम केन्द्रीय शिला को लगाने की समस्या सुझाव का प्रस्ताव दिया। उसने यह करके सबको आश्चर्य में डाल दिया।”
यही कहके पापा रुक गए।
फिर मीनू को गोदी ले कर समझाने लगे कि दुनिया में कुछ भी करना असंभव नहीं है। अगर मेहनत और लगन से सभी काम करने की ठान लो तो वो सब आसान लगेगा। दुनिया में नाम होगा, जैसे बारह साल के धर्मपद का नाम युग-युग तक अमर हो गया है इतिहास में।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’
