jhagde ka mool karan
jhagde ka mool karan

Hindi Motivational Story: एक सेठ के पास संत भिक्षा माँगने पहुँचे। सेठ भी धार्मिक स्वभाव का था। उसने एक कटोरी चावल संत को भिक्षा में दिया। सेठ ने संत से कहा कि गुरुजी मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ । संत ने कहा ठीक है पूछो क्या पूछना चाहते हो? सेठ ने पूछा कि गुरुजी मैं ये जानना चाहता हूँ कि लोग लड़ाई झगड़े क्यों करते हैं? संत ने कहा मैं यहाँ भिक्षा लेने आया हूँ तुम्हारे मूर्खता पूर्ण सवालों के जवाब देने नहीं आया। ये जवाब सुनते ही सेठ को गुस्सा आ गया। वह सोचने लगा कि ये कैसा संत है, मैंने इसे दान दिया और ये मुझे ही ऐसा जवाब दे रहा है। सेठ ने गुस्से में संत को खूब खरी-खोटी सुना दी।

कुछ देर बाद सेठ शांत हो गया, तब संत ने कहा कि जैसे ही मैंने तुम्हें कुछ अप्रिय बोला, तुम्हें गुस्सा आ गया। गुस्से में तुम मुझ पर चिल्लाने लगे, इस स्थिति में मैं भी तुम पर गुस्सा हो जाता तो हमारे बीच झगड़ा हो जाता। क्रोध ही हर झगड़े की जड़ है। अगर हम क्रोध नहीं करेंगे तो कभी वाद-विवाद होगा ही नहीं। क्रोध को काबू करने की कोशिश करनी चाहिए, तभी जीवन में सुख शान्ति बनी रहती है।

शिक्षा: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हर परिस्थिति का सामना शांति से ही करना चाहिए। अगर हम क्रोध को काबू कर लेंगे तो भविष्य में होने वाली कई परेशानियों से बच सकते हैं। घर-परिवार में क्रोध की वजह से रिश्तों में दरार आ जाती है। मित्रों के बीच शत्रुता हो जाती है। इसलिए क्रोध से बचना चाहिए।

ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंNaye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)