VITAMINS NEED: स्वस्थ शरीर के लिए विटामिन बहुत आवश्यक होता है। इनकी कमी से शरीर में अनेक बिमारियां हो सकती हैं, विटामिन जीवन को बनाये रखने वाले शारीरिक क्रियाओं को पूरा करने में मदद करते हैं। विटामिन जिसे जीवन सत्व भी कहते हैं, एक प्रकार के कार्बनिक योगिक तत्त्व होते हैं।
ये विभिन्न भोज्य पदार्थों को पचाने, शारीरिक शक्ति प्रदान करने और शरीर की विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं को सम्बल देने में योगदान करते हैं। विटामिन हमारे भोजन को इस योग्य बना देते हैं, जिससे शरीर में भोजन भली प्रकार पच सके, ऊर्जा मिल सके, रोगों से बचाव किया जा सके और शरीर की कमजोर कोशिकाओं को पुन: शक्ति मिले।
विटामिन्स क्या होते हैं?
विटामिन छोटे-छोटे कंपाउंड होते हैं जो शरीर को ठीक से काम करने में मदद करते हैं। विटामिन्स हमें भोजन के जरिये प्राप्त होते हैं। हमारे शरीर को सुचारू रूप से कार्य करते रहने के लिए इनकी आवश्यकता होती है। हमारे शरीर के लिए विभिन्न विटामिन्स की आवश्यकता होती है जो इस प्रकार है-विटामिन- ए ,बी ,सी ,डी ,इ ,के इनमें से यदि एक भी विटामिन की शरीर में कमी हो जाए तो हमारा शरीर अस्वस्थ हो सकता है।
विटामिन्स के प्रकार
वसा में घुलनशील- इस तरह के विटामिन हमारे शरीर के वासा उत्तकों में जमा हो सकते हैं इन्हें शरीर में जमा करना आसान होता है और यह हफ्तों तक जमा रहते हैं। यह हमारी आंत से रक्त में सोखे जाते हैं वसा की मदद से।
विटामिन ए, डी और के घुलनशील विटामिन हैं।
पानी में घुलनशील
पानी में घुलनशील विटामिन हमारे शरीर में ज्यादा दिनों तक जमा नहीं हो सकते हैं यह पानी में घुल कर किडनी द्वारा बाहर कर दिए जाते हैं।
विटामिन सी और सभी प्रकार के विटामिन बी पानी में घुलनशील है।
विटामिन ‘ए’
विटामिन ‘ए’ आंखों से देखने के लिये अत्यंत आवश्यक होता है। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि स्किन, बाल, नाखून, ग्रंथि, दांत, मसूड़ा और हड्डी। सबसे महत्त्वपूर्ण स्थिति जोकि सिर्फ विटामिन ‘ए’ के अभाव में होती है, वह है अंधेरे में कम दिखाई देना, जिसे रतौंधी कहते हैं। बच्चों में विटामिन ‘ए’ के अभाव में विकास भी धीरे होता है, जिससे कि उनके कद पर असर कर सकता है। स्किन और बालों में भी सूखापन हो जाता है और उनमें से चमक चली जाती है। संक्रमित बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।

यह विटामिन फैट में घुलनशील होता है और यह 2 प्रकार का होता है रेटिनॉइड्स और करोटिनॉइड्स जिन सब्जियों के रंग जितने ज्यादा गहरे होते हैं उन सब्जियों में करोटिनॉइड्स उतनी ही ज्यादा मात्रा में होता है।
विटामिन ‘ए’ की आवश्यकता
विटामिन ‘ए’ आंखों के लिए बहुत जरूरी होता है। यह स्वस्थ मसूड़ों, दांतों, हड्डियों सॉफ्ट टिश्यू और म्यूकस मेम्ब्रेन, फर्टिलिटी और स्तनपान के लिए बहुत जरूरी होता है।
विटामिन ‘ए’ की कमी से होने वाले रोग
विटामिन ए की कमी से रतोंधी रोग हो सकता है। विटामिन ए की कमी से बच्चों को कई रोग जैसे पाचन मार्ग और श्वास मार्ग के ऊपरी भाग में इन्फेक्शन हो सकता है।
विटामिन ‘ए’ इनसे होता है प्राप्त
विटामिन ‘ए’ हरी पत्तेदार सब्जियों, गाजर,पालक, ब्रोकली, अंडे, कद्दू, पपीता, आम,मछली, क्रीम आदि चीजों में पाया जाता है। यह याद रखें की नारंगी और पीले रंग वाले फल और सब्जियों में विटामिन ‘एÓ सबसे अधिक होता है।
विटामिन ‘बी’
विटामिन ‘बी’ शरीर को जीवन शक्ति देने के लिए अति आवश्यक होता है। विटामिन बी की कमी से शरीर अनेक रोगो का गढ़ बन जाता है। विटामिन ‘बी’ के कई विभागों की खोज की जा चुकी है। ये सभी विभाग मिलकर ही विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स कहलाते हैं। हालांकि सभी विभाग एक दुसरे के अभिन्न अंग है, लेकिन फिर भी सभी आपस में भिन्नता रखते हैं।
यह विटामिन पानी में घुलनशील है। इसका प्रमुख कार्य स्नायु को स्वस्थ रखना तथा भोजन के पाचन में सक्रिय योगदान देना होता है। भूख को बढ़ाकर यह शरीर को जीवन शक्ति देता है। क्षार पदार्थों के संयोग से यह बिना किसी ताप के नष्ट हो जाता है, पर अम्ल के साथ उबाले जाने पर भी नष्ट नहीं होता।
विटामिन बी 1- इस विटामिन को थायमीन भी कहा जाता है। इसका स्वाद नमकीन होता है। विटामिन बी 1 की कमी से कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। जैसे – कब्ज की शिकायत होना ,चक्कर आना, आंखों में अंधेरा छा जाना, चिड़चिड़ा हो जाना, एकाग्रता का न होना व झगड़ालू हो जाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसकी कमी से बेरी-बेरी नाम की बीमारी हो जाती है।
विटामिन बी 1 हमें गेहूं, मूंगफली, हरे मटर, संतरे, खमीर, अंडे, हरी सब्जियां, चावल और अंकुर वाले बीजों में पाया जाता है।
विटामिन बी 2- इस विटामिन को रिबोफ्लाविन भी कहा जाता है। पीले रंग का यह विटामिन सूरज की रोशनी और खाने को अधिक पकाने से समाप्त हो जाता है। शरीर में इस विटामिन की कमी से मुंह और होठ फटने लगते हैं । यह विटामिन आंखों,नाक और जीभ को स्वस्थ रखने के लिये अति आवश्यक है।
विटामिन बी 2 विटामिन हमे अंडे की जर्दी, मछली, दालों, मांस, मटर, चावल व खमीर में पाया जाता है।
विटामिन बी 3- इस विटामिन को नियासिन भी कहा जाता है। शरीर की वृद्धि में सहायक यह विटामिन लोगों के सफेद रंग के बाल होने से बचाता है।
विटामिन बी 3 दूध में सबसे ज्यादा पाया जाता है। इसके अलावा यह अंडे की जर्दी,मेवा व अखरोट में भी पाया जाता है।
विटामिन बी 5- इस विटामिन को पैंटोथेनिक भी कहा जाता है। इस विटामिन की कमी से पैलेग्रा रोग हो सकता है। यह विटामिन हमारे वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
यह विटामिन खमीर,दूध,मक्खन,पिस्ता और दाल में पाया जाता है।
विटामिन बी 6- यह विटामिन हीमोग्लोबिन के निर्माण में मदद करता है। यह विटामिन त्वचा को भी स्वस्थ रखता है। यह विटामिन मांस, मछली,खमीर,अंडे की ज़र्दी,चावल,गेहूं व मटर में पाया जाता है।
विटामिन बी 7- इसका रसायनिक नाम बायोटिन है। इसकी कमी से तनाव हो सकता है।
यह बाजरा, ज्वार, मैदा, चावल, सोयाबीन, गेंहू, आदि में पाया जाता है।
विटामिन बी 9- यह विटामिन पीले रंग का स्वादहीन और रंगहीन होता है। भोजन को पकाते वक्त इस विटामिन की ज्यादातर मात्रा समाप्त हो जाती है। यह विटामिन खून के निर्माण में मदद करता है। यह हमें अंकुरित अनाज, दलिया, मटर और मूंगफली से मिलता है।
विटामिन बी 12- यह विटामिन लाल रंग का होता है। खाने को ज्यादा पकाते वक्त यह विटामिन नष्ट हो जाता है। इस विटामिन की कमी से अनीमिया रोग हो सकता है। साथ ही इस विटामिन की कमी से नसों में जमना,बहुत ज्यादा थकान और सर्दी, तनाव और याददाश्त भी कमजोर हो सकती है।
यह विटामिन मांस,मछली और अंडो में काफी मात्रा में पाया जाता है।
विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग
विटामिन बी की कमी होने पर शरीर में थकावट, एनीमिया, डिप्रेशन, भूख न लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं साथ ही मसल्स कमजोर हो जाती है, बालों का झड़ना और एक्सिमा जैसी बिमारियां भी हो सकती हैं।
हाथ पैरो की उंगलियों में सनसनाहट होना, मस्तिष्क की स्नायु में सूजन व दोष होना, पैर ठंडे व गीले होना, सिर के पिछले भाग मे स्नायु दोष हो जाना, मांसपेशियों का कमजोर होना, हाथ पैरों के जोड़ अकड़ना, शरीर का वजन घट जाना, नींद कम आना, मुत्राशय मसाने मे दोष आना, माहवारी की खराबी होना, शरीर पर लाल चकती निकलना, दिल कमजोर होना, शरीर मे सूजन आना, सिर चकराना, नजर कम हो जाना, पाचन क्रिया की खराबी होना।
विटामिन ‘बी’ की आवश्यकता
विटामिन बी 1 और बी 2 मांसपेशियों, नर्वस सिस्टम और शरीर की कार्यप्रणाली के लिए जरूरी होता है। विटामिन बी 3 पाचन तंत्र और नर्वस सिस्टम को कण्ट्रोल करने का काम करता है। विटामिन बी 6 रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनता है। विटामिन बी 9 ब्रेस्ट कैंसर से बचाव करता है। विटामिन बी 12 सर्विकल कैंसर से बचाता है।
विटामिन बी के स्त्रोत क्या हैं
विटामिन बी कॉम्प्लेक्स के स्रोतों में टमाटर, भूसी दार गेंहु का आटा, अण्डे की जर्दी, हरी पत्तियों के साग, बादाम, अखरोट, बिना पालिश किया चावल, पौधों के बीज, सुपारी, नारंगी, अंगूर, दूध, ताजे सेम, ताजे मटर, दाल, जिगर, वनस्पति साग सब्जी, आलू, मेवा, खमीर, मक्की, चना, नारियल, पिस्ता, ताजे फल, कमरकल्ला, दही, पालक, बन्दगोभी, मछली, अण्डे की सफेदी, माल्टा, चावल की भूसी, फलदार सब्जी आदि आते हैं। विटामिन बी नॉन वेजेटेरियन भोजन, डेरी उत्पाद, सूखे मेवे, अंकुरित अनाज, अंडे के पीले हिस्से, साबुत अनाज, पालक फल्लिया आदि में भरपूर रूप से पाया जाता है।
विटामिन ‘सी’
विटामिन सी का प्रयोग हमारे शरीर के लिये बहुत ही लाभदायक है। इसके उपयोग से शरीर स्वस्थ रहता है। विटामिन सी को एसकोरबिक एसिड के नाम से भी जाना जाता है। यह शरीर की कोशिकाओं को बांध के रखता है। इससे शरीर के विभिन्न अंग को आकार बनाने में मदद मिलती है। इसके अभाव में शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कम या समाप्त हो जाती है, यह शरीर के ब्लड वेस्सल या खून के नसों (रक्त वाहिकाओं,) को मजबूत बनाता है।

विटामिन सी जरूरी क्यों?
विटामिन सी शरीर के सेल्स को एक साथ जोड़ कर रखता है और खून नलिकाओं की दीवार को मजबूत बनाता है दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ बनाये रखता है। इससे शरीर की इम्युनिटी भी मजबूत होती है।
विटामिन सी की कमी से होने वाले रोग
इसके एंटीहिस्टामीन गुणवत्ता के कारण, यह सामान्य सर्दी-जुकाम में दवा का काम कर सकता है। इसके अभाव में मसूडों से खून बहता है, दांत दर्द हो सकता है, दांत ढीले हो सकते हैं या निकल सकते हैं। स्किन या चर्म में भी चोट लगने पर अधिक खून बह सकता है, रुखरा हो सकता है। आपको भूख कम लगेगी। बहुत अधिक विटामिन के अभाव से स्कर्वी हो सकता है।
इससे शरीर के विभिन्न अंगों में, जैसे कि गुर्दे में, दिल में और अन्य जगह में, एक प्रकार की पथरी हो सकती है। यह ओक्सलेट क्रिस्टल का बना होता है। इससे पेशाब में जलन या दर्द हो सकता है, या फिर पेट खराब होने से दस्त हो सकता है। खून में कमी या एनीमीया हो सकता है।
विटामिन सी इनसे होता है प्राप्त
विटामिन सी सबसे ज्यादा खट्टे फलों जैसे की संतरा, मौसमी, अमरूद, नींबू, टमाटर आदि में पाया जाता है। इसके अलावा ब्रोकली, गोभी, अंकुरित अनाज, पालक, आंवला आदि में भी पाया जाता है।
विटामिन डी
यह हमारे शरीर के लिए सबसे जरूरी विटामिन होता है। यह शरीर की हड्डियों को बनाने और संभाल कर रखने में मदद करता है। साथ ही यह शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित रखता है। इसके अभाव में हड्डी कमजोर होती है और टूट भी सकती है। बच्चों में इस स्थिति को रिकेट्ïस कहते हैं और व्यस्क लोगों में हड्डी के मुलायम होने को ऑस्टियोमलेशिया कहते हैं। इसके अलावा, हड्डी के पतला और कमजोर होने को ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं।
विटामिन डी के अन्य नाम हैं –
विटामिन डी2 या अर्गोकैल्सिफेरॉल।
विटामिन डी3 या कोलेकेलसीफेरोल।

विटामिन डी जरूरी क्यों?
शरीर में कैल्शियम के लेवल को कण्ट्रोल में रखता है। जिससे नर्वस सिस्टम की कार्यप्रणाली सही रहती है और हड्ïिडयां मजबूत होती हैं। यह बॉडी के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है।
विटामिन डी की कमी से होने वाले नुकसान
विटामिन डी की कमी होने पर मसल्स कमजोर हो जाते हैं, जोड़ों में दर्द होता है, शारीरिक कमजोरी भी हो जाती है। इससे शरीर के विभिन्न अंगों में, जैसे कि गुर्दे में, दिल में, नसों में और अन्य जगह में, एक प्रकार की पथरी हो सकती है। यह कैल्शियम का बना होता है। इससे ब्लड प्रेशर या रक्तचाप बढ़ सकता है, खून में कोलेस्ट्रॉल अधिक हो सकता है और दिल पर असर कर सकता है। साथ ही चक्कर आना, कमजोरी लगना और सिरदर्द हो सकता है। पेट खराब होने से दस्त भी हो सकता है।
विटामिन डी इनसे प्राप्त होता है
सूरज की किरणें विटामिन डी का सबसे अच्छा स्त्रोत मानी हैं, जब हमारी त्वचा पर सूरज की किरणें पड़ती हैं तब हमारी त्वचा उन किरणों को अवशोषित कर लेती हैं जिससे शरीर में विटामिन डी का निर्माण होता है। इसके अलावा विटामिन डी चिकन, मछली, दूध, अंडा और समुंद्री भोजन से आप आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
विटामिन ‘ई’
विटामिन ई मनुष्य को स्वस्थ रखने के लिए और विभिन्न रोगों से लड़ने के लिए महत्त्वपूर्ण है। विटामिन इ, खून में रेड ब्लड सेल या लाल रक्त कोशिका को बनाने के काम आता है। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि मांसपेशियां, अन्य टिशू। यह शरीर को ऑक्सीजन के एक नुकसानदायक रूप से बचाता है, जिसे ऑक्सीजन रेडिकल्स कहते हैं। इस गुण को एंटीऑक्सिडेंट कहा जाता है। विटामिन ई, सेल के अस्तित्व बनाये रखने के लिये, उनके बाहरी कवच या सेल मेमब्रेन को बनाए रखता है। विटामिन ई, शरीर के फैटी एसिड को भी संतुलन में रखता है।

विटामिन ई जरूरी क्यों?
यह त्वचा को जवा बनाये रखता है। स्त्री पुरुष की कमजोरी को दूर करता है। शरीर को जल्दी बूढ़ा होने नहीं देता इससे स्किन सेल्स रिपेयर होता है यह आंखों के लिए फायदेमंद होता है। कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखता है।
विटामिन ई की कमी से होने वाले नुकसान
समय से पहले हुए या प्रीमेच्योर नवजात शिशु में, विटामिन ई की कमी से खून में कमी हो जाती है। इससे उनमें एनीमिया हो सकता है। बच्चों और व्यस्क लोगों में, विटामिन ई के अभाव से, न्युरोलोजीकल समस्या हो सकती है। अत्याधिक विटामिन इ लेने से खून के सेलों पर असर पड़ सकता है, जिससे कि खून बहना या बीमारी होना मुमकिन है। इसकी कमी से चेहरे पर मुहांसे आदि होते हैं स्त्री और पुरुष दोनों में बांझपन की समस्या हो सकती है बुढ़ापा जल्दी आने लगता है।
विटामिन ई इनसे होता है प्राप्त
विटामिन ई सूरजमुखी के बीज, बादाम, आम, हरीमिर्च, एवाकाडो, कीवी, टमाटर, पालक, ब्रोकली, मक्खन, चोकरयुक्त आटा आदि में पाया जाता है।
विटामिन ‘के’
विटामिन के हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक है।
विटामिन ‘के’ शरीर के रक्त में जमने की प्रक्रिया बनाता है अर्थात् जब रक्त किसी कारणवश बहने लगता है तो यह रक्त-प्रवाह के स्थान पर एक थक्का बना देता है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि खून का रुकना संभव हो जाए। यदि रक्त में जमने की क्षमता न हो तो खून बहता रहेगा और शरीर को इस उपयोगी तत्त्व से हाथ धोना पड़ेगा। विटामिन के रक्त-प्रवाह को नियंत्रित करता है। यकृत की सामान्य प्रक्रिया के संचालन में भी यह विटामिन बहुत सहायता करता है। छिलकेदार अनाज, अनाजों से इसकी पूर्ति की जा सकती है। मानव शरीर की आंतों में स्थित जीवाणु इसे बनाते रहते हैं।
विटामिन ‘के’ के प्रकार
विटामिन के दो प्रकार का होता है ‘के 1’ और ‘के 2’ विटामिन के 1 हरी सब्जियों, दूध। चीज आदि में पाया जाता है, वही विटामिन के 2 नॉन वेज जैसे की मीट, अंडे में पाया जाता है। विटामिन के शरीर में खून के थक्के को जमाने का काम करता है।
विटामिन ‘के’ जरूरी क्यों?
विटामिन ‘के’ खून के थक्के बनता है ,यह कार्डिओ वैस्कुलर को सही ढंग से काम करने में मदद करता है, यह हड्डियों को मजबूत बनाता है कैंसर से बचने में भी मददगार है।
विटामिन की कमी से होने वाले रोग
शरीर में विटामिन के की कमी होने पर ब्लीडिंग होना बंद नहीं होती अगर किसी को चोट लग जाये फिर तो वह जल्दी ठीक नहीं होता क्योंकि खून के थक्के नहीं बन पाते और खून पतला होकर लगातार बहता रहता है। इसकी कमी से हड्डियां भी कमजोर हो जाती है।
विटामिन ‘के’ इनसे होता है प्राप्त
विटामिन के हमको शलगम, गोभी, शतावरी, सरसों का साग, पालक, एवाकाडो, मीट, अंगूर, अंडा, दूध आदि में पाया जाता है।
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