urine leakage in pregnancy: मां बनने के बाद एक महिला की जिंदगी में कई तरह के बदलाव आ जाते हैं। इसके बाद उन्हें फिजिकली कई तरह के बदलाव और परेशानियां देखनी पड़ती हैं। बच्चे के जन्म के बाद मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से कई बदलाव आते हैं।
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एक बच्चे को जन्म देने के बाद एक महिला का शरीर पूरी तरह से बदल जाता है और फिर से कभी पहले से जैसा नहीं हो पाता। इसके साथ ही डिलीवरी के बाद महिलाओं की पेशाब को रोक पाने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है।
दरअसल यह समस्या शिशु के जन्म के कुछ हफ्तों के बाद ही शुरू हो जाती है। यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस एक पोस्टपार्टम कंडीशन है, जिसमें डिलीवरी के बाद महिलाओं का ब्लैडर पर कंट्रोल बहुत कम हो जाता है। इससे दिन में कई बार यूरिन लीकेज की समस्या होती है। आइए आज हम आपको इस समस्या से छुटकारा पाने के उपायों के बारे में बताएंगे।
पेशाब ना रोक पाने का कारण

शिशु को जन्म देने के बाद शरीर में कई तरह के बदलाव आ जाते हैं। पेट में शिशु के लिए जगह बनाने के लिए कई अंगों को एडजस्ट करना पड़ता है और इससे मूत्राशय और पेल्विक की मसल्स पर दबाव पड़ता है, जिसके चलते इन अंगों में कमजोरी आ जाती है।
गर्भवती महिला का शरीर डिलीवरी के लिए खुद को तैयार करता है, जिसकी वजह से कूल्हे के जोड़ ढीले पड़ जाते हैं और गर्भाशय में खिंचाव आता है। इसके बाद शिशु के बाहर आने पर पेल्विक हिस्से की मांसपेशियों, हड्डियों और लिगामेंट्स में भी खिंचाव आता है। इन सभी अंगों को शिशु के जन्म के बाद वापस से ठीक होने में छह हफ्तों का वक्त लगता है।
डिलीवरी के बाद मूत्राशय पर प्रभाव डालने वाले हार्मोन्स में बदलाव आता है। जिससे मूत्राशय पर दबाव पड़ता है और वो कमजोर हो जाता है। इसी की वजह से पेशाब को रोक पाने या कंट्रोल करने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
यूरिन लीकेज का इलाज

डिलीवरी के बाद अगर आप भी यूरिन लीकेज की समस्या से गुजर रही हैं और इससे निजात पाना चाहती हैं, तो आपको कुछ उपाय करने चाहिए। जिनसे आपको इससे राहत मिल सकती है।
- ऐसी स्थिति में आपको हल्की कीगल एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसके अभ्यास से पेल्विक मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। दिन में तीन बार कीगल एक्सरसाइज करें और धीरे-धीरे इसे बढ़ाते रहें।
- यूरिन आने पर उसे रोकें नहीं। हर दो से तीन घंटे में पेशाब करने जाएं। इसके अलावा हर 30 मिनट में यूरिन करने की आदत बनाएं।
- अपने खाने में फल और सब्जियों को शामिल करें। इसमें फाइबर युक्त चीजें लें और कॉफी, कैफीन, मसालेदार चीजें और रिफाइंड शुगर ना लें।
- दिनभर में कम से कम 7-8 गिलास पानी का सेवन जरूर करें। इससे मूत्राशय और शरीर साफ रहता है और मूत्र मार्ग में संक्रमण नहीं होता है और बार-बार यूरिन करने से पानी की कमी भी नहीं होती।
- अपने वजन को कम करें। इसके लिए एक्सरसाइ़ज करें। इससे शरीर के सभी अंग एक्टिव रहते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान फिजियोथेरेपी लेने से महिलाओं को पेल्विक फ्लोर की मसल्स को मजबूत करने में मदद मिलती है
इन सभी उपायों को आजमाने से पहले अपनी हेल्थ कंडीशन के अनुसार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
