आजकल कई पारंपरिक डॉक्टर भी इन तकनीकों की मदद लेने लगे हैं। चाहे आपने एपीड्यूरल ही क्यों न लेना हो, प्रसव से पहले ही इन तकनीकों का अभ्यास शुरू कर दें व किसी लाइसेंसशुदा विशेषज्ञ से ही प्रशिक्षण लें, उसे गर्भावस्था प्रसव व डिलीवरी का अनुभव होना चाहिए।
एक्यूपंचर व एक्यूप्रेशर :- वैज्ञानिक अध्ययनों ने माना है कि चीनी हजारों वर्षों से एक्यूपंचर व एक्यूप्रेशर की दर्द निवारक तकनीक जानते थे। एक्यूपंचर की मदद से शरीर के कुछ खास बिंदुओं में सुई चुभो कर प्रसव का दर्द घटाया जा सकता है। एक्यूप्रेशर में सिर्फ अंगुलियों से बिंदुओं पर दबाव दिया जाता है। यदि आप प्रसव के समय इनमें से किसी एक विशेषता को साथ रखना चाहती हैं। तो अपने डॉक्टर को पहले ही बता दें।
रिफ्लैक्सोलॉजी :- वे मानते हैं कि घाव के कुछ बिंदुओं पर मालिश करने से प्रसव का दर्द घटाया जा सकता है। इससे प्रसव काल की अवधि भी घटती है। कुछ बिंदु तो इतने शक्तिशाली हैं कि आपको प्रसव में जाने से पहले, उन्हें नहीं दबाना चाहिए या उत्तेजित नहीं करना चाहिए।
फिजिकल थैरेपी :- मालिश व गर्म-ठंडे सेंक से भी प्रसव का दर्द घटाया जा सकता है।किसी अनुभवी हाथों से मालिश होने पर दर्द घटने में मदद मिलती है।
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हाइड्रोथैरेपी :- लेबर के दौरान गुनगुना पानी बहुत आराम देता है। लेबर के दौरान पानी से भरे टब में लिटा कर, प्रसव का दर्द घटा सकते हैं। कई अस्पतालों में यह सुविधा दी जाने लगी है।
हिप्नोबर्धिंग :- हालांकि सम्मोहन न तो दर्द घटाएगा और न ही शरीर के किसी हिस्से को सुन्न करेगा बस आप गहराई से रिलैक्स हो जाएँगी। यह सब पर असर नहीं करता। आपको गर्भावस्था के दौरान ही किसी अनुभवी विशेषज्ञ की मदद से इसका अभ्यास भी करना होगा।तब आप उस समय के दर्द व तकलीफों से भी छुटकारा पा सकती हैं इसका एक फायदा यह है कि आप शिशु के जन्म की सारी प्रक्रिया स्वयं देख पाएँगी। शिशु पर भी कोई शारीरिक प्रभाव नहीं होगा।
डिस्ट्रैक्शन :- आप डिस्ट्रैक्शन यानी ध्यान हटाने वाली तकनीकें भी इस्तेमाल कर सकती हैं जैसे टी.वी. देखना, संगीत सुनना, ध्यान करना आदि। इससे आपका ध्यान दर्द से थोड़ा हट जाएगा। आप किसी प्यारी तस्वीर या सीनरी पर भी ध्यान केन्द्रित कर सकती हैं। इसके अलावा मानसिक चित्रण का व्यायाम करें। कल्पना करें कि शिशु गर्भाशय से बाहर आ रहा है और आप उसे बांहों में ले रही हैं। इस तरह आप काफी आरामदायक महसूस करेंगी।
ट्रांसक्यूटेनियस इलैक्ट्रिकल नर्व्सस्टिम्युलेशन :- इस विधि में इलैक्ट्रोड, हल्केवोल्टेज के पल्स से गर्भाशय व सर्विक्स के स्नायु उत्तेजित कर देते हैं जिससे दर्द घट जाता है। हालांकि इस बारे में कोई पक्के सबूत नहीं मिले हैं।
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फैसला करना
अतः आपने प्रसव के समय दर्द घटाने की सारी तकनीकें सीख ली हैं इसलिए आपने फैसला करना है लेकिन कोई भी फैसला लेने से पहले –
- डॉक्टर से खुलकर बात करें वे फैसला लेने में मदद करेंगे. दवाओं व पद्धतियों के सभी फायदे नुकसान पहले से जान लें.
- विकल्प खुले रखें क्योंकि आप नहीं जानती कि डिलीवरी के समय हालात में क्या बदलाव आ सकते हैं.यदि आपने दवा न लेने की सोची है तो दवा लेनी पड़ सकती है, यदि आपने दवा लेने की सोची है तो हो सकता है कि उसके बिना ही काम चल जाये इसलिए कई तरह की तकनीकों का अभ्यास व जानकारी रखे.
- चाहे प्रसव का दर्द आपके तरीके से घटे या फिर डॉक्टर के तरीके से, अंत में बस नतीजा सकारात्मक आना चाहिए यानि नन्हा सा गोल मटोल शिशु बाँहों में आना चाहिए, यही तो सबसे बड़ी बात है.
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