क्या है लेट मिसकैरिज ?

पहली तिमाही व 20वें सप्ताह के अंत में होने वाला मिसकैरिज, लेट मिसकैरिज कहलाता है। 20वें सप्ताह के बाद इसे ‘स्टिलबर्थ’कहते हैं। इस मिसकैरिज का संबंध माँ की तबीयत, सर्विक्स या गर्भाशय की दशा, कुछ खास दवाओं व जहरीले तत्त्वों तथा प्लेसेंटा की समस्या से होता है।

यह कितना सामान्य है?

1000 में से 1 गर्भावस्था में ऐसे होता है।

संकेत व लक्षण क्या हैं?

पहली तिमाही के बाद कई दिन तक होने वाला गुलाबी या भूरा स्राव इसका संकेत हो सकता है। यदि भारी रक्तस्राव के साथ ऐंठन हो, फिर तो लक्षण बिल्कुल साफ है। हालांकि प्लेसेंटा प्रीविया,प्लेसेंटा एबरप्शन, प्रीमेच्योर लेबर या यूटेराइनलाइनिंग में टियर की वजह से भी रक्तस्राव हो सकता है।

आप डॉक्टर क्या कर सकते हैं?

ऐसा कोई स्राव देखते ही डॉक्टर से मिलें। वे रक्तस्राव का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड करेंगे व गर्भाशय के मुख की जांच करेंगे व बैड रेस्ट की सलाह देंगे। स्राव रुक गया तो इसका मतलब है कि यह मिसकैरिज नहीं था कई बार भीतरी जांच या संभोग की वजह से भी ऐसा हो जाता है। इसका मतलब है कि आप सामान्य गतिविधि चालू रख सकती हैं। यदि कोई दर्द या स्राव के बिना गर्भाशय का मुख खुल रहा है तो उसे ‘इनकंपीटेंट सर्विक्स’ का केस माना जाएगा। ऐसे में उसे स्टिच करके लेट मिसकैरिज को रोक सकते हैं यदि तेज ऐंठन के साथ भारी रक्तस्राव हो तो यह लेट मिसकैरिज का ही लक्षण है। डॉक्टर कुछ नहीं कर पाएंगे। बस आपकी डी एंड सी की जाएगी ताकि गर्भावस्था का कोई अंश भीतर न रह जाए।

क्या इसे रोका जा सकता है?

यदि यह शुरू हो चुका हो तो इसे रोकना नामुमकिन है। यदि पहले भी ऐसा हो चुका हो तो बचाव के उपाय खोज सकते हैं। यदि यह इनकंपीटेंट की वजह से था तो उसे रोकने का उपाय किया जाएगा यदि यह हाइपरटेंशन, मधुमेह या थाइरॉइड जैसी क्रॉनिक अवस्था (पुराने रोग से ग्रस्त) की वजह से था तो उसे गर्भ धारण से पहले रोकने का प्रयास किया जाएगा। गंभीर संक्रमण काभी उपचार हो सकता है। सर्जरी से गर्भाशय बिगड़े आकार को भी सुधार सकते हैं। एंटीबॉडीज होने पर एस्प्रिन या हीपेरिन की हल्की खुराक दे सकते हैं।

मिसकैरिज का दोहराव

हालांकि एक बार मिसकैरिज का मतलब यह नहीं कि दोबारा भी आपके साथ यही होगा लेकिन ऐसा कई बार हो चुका हो तो उसके कारक पता लगाने की कोशिश करें। मेडिकल जांच-पड़ताल होना जरूरी है। अब ऐसे कई टेस्ट भी होते हैं, जिसे मिसकैरिज के कारणों का पता लगाया जा सकता है। दोनों साथियों की जांच भी की जा सकती है। अल्ट्रासांउड,एम आर आई या सी.टी. स्कैन की मदद से कई तरह की असामान्यताओं का पता चल जाता है।

कारण जानने के बाद डॉक्टर से इलाज के विकल्प पूछें। कई बार सर्जरी, थाइरॉइड की दवा या विटामिन की दवा से कमी पूरी हो जाती है। हारमोन ट्रीटमेंट से भी मदद मिलती है। चाहे आपको लगातार मिसकैरिज क्यों न हुए हों, फिर भी आप एक स्वस्थ शिशु की माँ बनने की पूरी क्षमता रखती हैं।आपको अपने डर से ऊपर उठकर मिसकैरिज के कारणों का इलाज कराना होगा। ऐसे में अपने परिवार वालों की मदद लें। साथी सेभावनात्मक मदद मांगें। अपने साथी से मन की भावनाएं बांटें क्योंकि इस प्रक्रिया में आप दोनों बराबर के हिस्सेदार हैं।

 

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