क्या है नॉरमोसिटिक एनीमिया और किस तरह से किया जाता है इसका उपचार
नॉरमोसिटिक एनीमिया, एनीमिया का ही एक प्रकार है। इसके कारण रोगी के शरीर में रेड ब्लड सेल्स कम हो सकते हैं। जानिए इस रोग के बारे में और पहचानिए इसके लक्षणों को।
Normocytic Anemia: नॉरमोसिटिक एनीमिया की समस्या तब होती है, जब रोगी में सामान्य से कम रेड ब्लड सेल्स होते हैं और इन ब्लड सेल्स में हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य नहीं होती है। अगर बात की जाए हीमोग्लोबिन की, तो यह रेड ब्लड सेल्स में पाई जाने वाली प्रोटीन है। यह प्रोटीन रेड ब्लड सेल्स को पूरे शरीर में ऑक्सीजन को कैरी करने में मदद करती है। डॉक्टर इस रोग को एक मेडिकल कंडिशन या किसी अन्य कंडिशन के लक्षण के रूप में पारिभाषित करते हैं। कई परिस्थितियों में यह समस्या किसी इनहेरिटेड कंडिशन के कारण हो सकती है। लेकिन, अधिकतर यह समस्या किसी अंडरलायिंग क्रॉनिक डिजीज के कारण होती है। ऐसे में, डॉक्टर नॉरमोसिटिक एनीमिया का उपचार इस अंडरलायिंग कंडिशन का उपचार करके करते हैं।
नॉरमोसिटिक एनीमिया के लक्षण
नॉरमोसिटिक एनीमिया कई प्रकार के एनीमिया में से एक है। इसके लक्षणों का विकास धीरे-धीरे होता है। इसका पहला लक्षण थकावट और पेल कॉम्प्लेक्शन हो सकता है। इसके अलावा इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- चक्कर आना
- सांस लेने में समस्या
- कमजोरी
क्योंकि, नॉरमोसिटिक एनीमिया को किसी अंडरलाइंग रोग के साथ जोड़ा जाता है। ऐसे में इस एनीमिया के लक्षणों को पहचाना मुश्किल हो सकता है।

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नॉरमोसिटिक एनीमिया के कारण
नॉरमोसिटिक एनीमिया एक जन्मजात रोग हो सकता है। दुर्लभ मामलों में यह रोग किसी खास मेडिकेशन के कारण भी हो सकता है। इंफ्लेमेशन हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकती है जिससे रेड ब्लड सेल्स प्रोडक्शन पर असर हो सकता है। इससे कमजोर रेड ब्लड सेल्स की प्रोडक्शन हो सकती है। जो बीमारियां नॉरमोसिटिक एनीमिया का कारण बनती हैं, वो इस प्रकार हैं:
- इंफेक्शंस
- कैंसर
- क्रॉनिक किडनी डिजीज
- हार्ट फेलियर
- मोटापा
- आर्थराइटिस
- वास्कुलिटिस
- इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज
- बोन मैरो डिसऑर्डर
इसके साथ ही प्रेग्नेंसी और कुपोषण को भी इस रोग का कारण माना जा सकता है।

नॉरमोसिटिक एनीमिया का उपचार
नॉरमोसिटिक एनीमिया को आमतौर पर क्रॉनिक हेल्थ कंडिशन के साथ जोड़ा जाता है, ऐसे में इसके उपचार की प्राथमिकता उस कंडिशन का उपचार होता है। इसके उपचार में रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए एंटी-इंफ्लेमटरी मेडिकेशन्स या मोटापे का शिकार लोगों के लिए वजन को कम करना आदि शामिल हैं। अगर रेड ब्लड सेल्स के कम होने का कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन है, तो इसके लिए एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं। नॉरमोसिटिक एनीमिया के गंभीर मामलों में, बोन मैरो में रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एरीथ्रोपोईटिन की सलाह भी दी जा सकती है। यही नहीं बहुत अधिक गंभीर मामलों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन भी दी जा सकती है ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे अंग और अन्य टिश्यूज को हेल्दी रखने के लिए ब्लड ऑक्सीजन को सही से डिलीवर कर रहा है। आयरन पिल्स लेने से भी आयरन की कमी को कम किया जा सकता है। हालांकि, आयरन सप्लीमेंट लेने किसी भी तरह के एनीमिया में खतरनाक हो सकता है।

नॉरमोसिटिक एनीमिया से बचाव
कई कंडिशंस के कारण नॉरमोसिटिक एनीमिया हो सकता है। ऐसे में, इसके कारणों के बारे में जानना बहुत मुश्किल है। इसके साथ ही इससे बचाव भी मुश्किल हो सकता है। नॉरमोसिटिक एनीमिया तब होता है जब किसी बीमारी के कारण शरीर में ब्लड कम हो जाए। हालांकि, इससे बचाव संभव नहीं है, लेकिन इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। अगर आपको कोई ऐसी बीमारी है, जिससे नॉरमोसिटिक एनीमिया का जोखिम बढ़ सकता है, तो इसके बारे में डॉक्टर से बात करें।
संक्षेप में कहा जाए तो नॉरमोसिटिक एनीमिया, एनीमिया का एक प्रकार है। हालांकि, यह आमतौर पर किसी भी ऐसी क्रॉनिक हेल्थ प्रॉब्लम के साथ मेल खा सकता है, जो शरीर में एक इंफ्लेमटरी रिस्पांस को ट्रिगर करती है। अगर आपको असामान्य थकावट जैसे लक्षण नजर आएं ,तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। ब्लड टेस्ट्स से इस रोग का निदान हो सकता है।
